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15 दिसंबर 2011

यूपीःशिक्षक भर्ती का जिन्न नहीं छोड़ रहा पीछा

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के जिन्न को बेसिक शिक्षा विभाग बोतल में बंद नहीं कर पा रहा है। बीएड डिग्रीधारकों को परिषदीय स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की कवायद पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी, लेकिन सवा साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई है। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर गफलतों का सिलसिला लगातार जारी है और इस कवायद से बेसिक शिक्षा विभाग का पिंड छूटता नहीं दिख रहा। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में रिक्त 80,000 पदों पर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को अक्टूबर 2010 में प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इसे शासन की स्वीकृति इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि तब राज्य में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की नियमावली अधिसूचित नहीं थी। नियमावली अधिसूचित न होने के कारण राज्य सरकार को यह आशंका थी कि कहीं शिक्षकों के वेतन पर होने वाले खर्च में केंद्र अपनी हिस्सेदारी से हाथ न खींच ले। शिक्षा के अधिकार पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 65:35 के अनुपात में है। 27 जुलाई 2011 को कैबिनेट द्वारा उप्र नि:शुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 को मंजूरी देने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति के मामले ने तेजी पकड़ी। 14 सितंबर को कैबिनेट ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी। उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 के नियम 14 के तहत परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति गृह जिले में करने का प्रावधान है, लेकिन 72,825 पदों पर अर्हताधारी बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति के लिए कैबिनेट ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी उसमें अभ्यर्थियों को एक के बजाए तीन जिलों में आवेदन का विकल्प दे दिया गया। जब 30 नवंबर को शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने विज्ञापन प्रकाशित किया तो उसमें अभ्यर्थियों को पांच जिलों में आवेदन का विकल्प दे दिया गया। इसी विज्ञप्ति को हाई कोर्ट ने रद करने का आदेश दिया है। 14 सितंबर को हुए कैबिनेट के फैसले के आधार पर 27 सितंबर को जो शासनादेश जारी किया गया उसमें सिर्फ बीएड डिग्रीधारकों को ही नियुक्ति के योग्य माना गया था, लेकिन बाद में शासन ने नियुक्ति के लिए टीईटी उत्तीर्ण बीटीसी 2004 और विशिष्ट बीटीसी 2007 व 2008 का प्रशिक्षण हासिल कर चुके उन अभ्यर्थियों को भी भर्ती के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी जिन्हें नियुक्त नहीं किया जा सका था। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अब दबी जुबान स्वीकार कर रहे हैं कि बीएड डिग्रीधारकों के साथ बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण हासिल करने वालों को आवेदन की छूट देने की वजह से ही यह समस्या पैदा हुई। वजह यह है कि राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक अर्हता स्नातक व बीटीसी है। बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर चुके अभ्यर्थी को उसी जिले में नियुक्त करने की व्यवस्था है जहां से उसने बीटीसी ट्रेनिंग की हो। गफलतों का यह सिलसिला शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर भी बरकरार रहा। टीईटी के संबंध में पहला शासनादेश सात सितंबर को जारी हुआ और 15 दिनों के अंदर इसमें तीन संशोधन हुए(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,15.12.11)।

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