गजराराजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर के 2009 बैच के निलंबित चल रहे एमबीबीएस के 36 छात्रों में से 15 छात्रों के एडमिशन निरस्त कर दिए गए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश के बाद डीन ने इन छात्रों के एडमिशन निरस्त करने के आदेश स्पीड पोस्ट द्वारा उनके घर पर भेज दिए हैं। इन छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए विभाग ने पुलिस अधीक्षक को भी पत्र लिखा है।
चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. एससी तिवारी ने बताया कि वर्ष 2009-10 की पीएमटी में भरे गए फार्म और काउंसलिंग के दौरान भरे गए फार्म के मिलान करने पर पूरे प्रदेश के 114 छात्रों के फोटो अलग-अलग पाए गए थे। पीएमटी में शामिल होने के दौरान भरे गए फार्म पर चस्पा फोटो का मिलान एडमिशन लेने वाले छात्रों के फोटो से नहीं हुआ था। इस आधार पर लंबी जांच के बाद रीजनल फोरेंसिक लैब, सागर और सेंट्रल फोरेंसिक लैब बेंगलुरू की रिपोर्ट के आधार पर पाया गया कि इन छात्रों ने धोखाधड़ी की है। इनमें ग्वालियर के साथ ही भोपाल, इंदौर और सागर के मेडिकल कॉलेजों के भी छात्र शामिल थे। ग्वालियर के कुल 36 छात्र जांच के दायरे में आए थे। इनमें से 15 छात्रों के एडमिशन निरस्त किए गए हैं।
ऐसे चला घटनाक्रम:-
1. चिकित्सा शिक्षा विभाग भोपाल को एक शिकायत मिली थी कि 2009 में पीएमटी में चयनित हुए छात्रों के दस्तावेज सही नहीं है। छानबीन में जीआरएमसी के 36 छात्र ऐसे पाए गए थे जिनके द्वारा लगाए गए फोटो एवं कुछ दस्तावेज में समानता नहीं मिली।
2. संचालक चिकित्सा शिक्षा ने 4 मई 2011 को इन छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जीआरएमसी की तत्कालीन डीन डॉ. शैला सप्रे को दिए थे। डॉ. सप्रे ने इस मामले की कॉलेज स्तर पर जांच करने के लिए एक टीम निश्चेतना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता
मेहरोत्रा की अध्यक्षता में गठित कर दी और छात्रों को निलंबित कर दिया।
3. 6 मई 2011 को डॉ. सप्रे ने इन छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा था। इसके बाद छात्र न्यायालय की शरण में चले गए थे।
4. 20 सितंबर 2011 को न्यायालय ने छात्रों के दस्तावेजों की जांच राज्य न्यायालयीन विज्ञान प्रयोगशाला सागर से कराने के निर्देश दिए।
5. 5 नवंबर 2011 को सागर से रिपोर्ट आई, जिसमें कहा गया कि 21 छात्रों के बारे में वैज्ञानिक निश्चितता से यह बताना संभव नहीं है कि प्रदर्श ए और बी की फोटोग्राफ के चेहरे एक है या नहीं। लेकिन 14 छात्रों के प्रदर्श ए और बी दोनों की तस्वीर प्रदर्श एक और बी फोटोग्राफ की पुष्टि नहीं होती , इसलिए ये अलग-अलग हैं।
6. तत्कालीन डीन ने इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा था। इसी बीच प्रमुख सचिव ने इन छात्रों के फोटो की जांच केंद्रीय लैब में कराने की बात कही थी।
पुलिस दर्ज नहीं कर रही थी मामला
डिप्टी सेक्रेटरी मेडिकल एजुकेशन एसएस कुमरे ने बताया कि संदिग्ध विद्यार्थियों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को दिए गए हैं। दरअसल कॉलेजों से संबद्ध थानों की पुलिस कॉलेज डीन की शिकायत के बाद भी संदिग्ध विद्यार्थियों के खिलाफ अवैध तरीके से परीक्षा पास कर दाखिला लेने का मामला दर्ज नहीं कर रही थी।
इन छात्रों के प्रवेश निरस्त किए
सागर की लैब की रिपोर्ट ने इन छात्रों के फोटोग्राफ अलग-अलग पाए थे उनमें दिलीप सिंह चौहान, ज्ञान सिंह रावत, अमितोष कुमार सिंह, मेर सिंह रावत, इंद्रभान सिंह,प्रेम लाल अहाते, विकास ब्रह्म सेनानी, जितेंद्र सिंह, पवन कुमार नरवरिया, अविनाश कुंद्रा, संजय सिंह सिसौदिया, संजय मौर्य, संतोष कुमार, मोहम्मद अजहर बेग, पंकज सिंह तोमर शामिल है।
ये हैं दोषी छात्र
अरुण सिंह यादव, अजितेष यादव, मोनिम यादव, सचिन यादव, संजय मौर्य, देवेंद्र प्रताप सिंह, पंकज तोमर, तपरू शर्मा, मो. अजहर बेग, मयंक शर्मा, अरुण कुमार गौतम, ज्ञान सिंह रावत, राकेश निमामा, संजय बाथम, धीरज पटेल, बृजेंद्र सिंह, संतोष शर्मा, पवन नरवरिया, चांद खां, विशाल वर्मा, प्रेम लाल, इंद्रभान सिंह, आशुतोष सिंह, दिलीप चौहान, वैभव सिंह गुरुवाणी, संजय सिंह, कुलदीप तोमर, अविनाश कुमार, विवेक सिंह निरंजन, अनिल मालोनी, संतोष कुमार, चंद्रशेखर माहौर, जितेंद्र शाक्य, नरेंद्र सिंह, निर्मल सोलंकी, विकास सैलनी। इन छात्रों में 13 छात्र ग्वालियर-भिंड के हैं, जबकि शेष छात्र अन्य जिलों के रहने वाले हैं(दैनिक भास्कर,ग्वालियर/भोपाल,26.5.12)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।