प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी के पदों पर तैनाती की मांग कर रहे प्रशिक्षुओं ने सरकार को लीगल नोटिस भेजा है। प्रशिक्षुओं ने सरकार से टीईटी टेस्ट की अनिवार्यता को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा है। यह लीगल नोटिस मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव और निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को भेजा गया है।
आंदोलन करना मजबूरी
हिमाचल प्रदेश जेबीटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रमोहन नेगी का कहना है कि प्रशिक्षु आंदोलन करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि पहले जेबीटी प्रशिक्षुओं ने सरकार और विभाग के समक्ष अपना पक्ष रखा। अब जबकि उनकी बात को कोई नहीं सुन रहा है, तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उनको जल्द तैनाती देगी। गौरतलब है कि जेबीटी प्रशिक्षित पिछले कई दिन से टीईटी की अनिवार्यता उन पर लागू करने का विरोध कर रहे हैं लेकिन अभी तक समस्या को समाधान नहीं निकला है।
लीगल नोटिस की खास बातें
हिमाचल प्रदेश जेबीटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रमोहन नेगी के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को गलत पत्र भेज कर टीईटी परीक्षा में छूट देने संबंधी मामला उठाया है। उनका आरोप है विभाग ने मंत्रिमंडल के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किए। इस कारण प्रदेश सरकार और जेबीटी प्रशिक्षुओं के बीच मतभेद पैदा हुए। उनका कहना है कि नोटिस में
यह भी पूछा गया है कि 144 भाषा अध्यापक, 89 शास्त्री और 6 जेबीटी पदों को भरने से टीईटी की छूट क्यों दी गई।
साथ ही ऐसे शिक्षकों को फरवरी-मार्च, 2012 में कैसे नियुक्तियां दी गई। उनका कहना है कि जब प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया, तो उस समय वर्ष, 2000 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को आधार बनाया गया था। ऐसे में टीईटी की शर्त को उन पर नहीं थोपा जा सकता। उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि सरकार किस कोर्ट केस का हवाला देकर नियुक्तियां करने में असमर्थता जता रहे हैं(दैनिक भास्कर,शिमला,26.5.12)।
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