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28 मई 2012

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयःएमबीबीएस में पास-फेल का खेल

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में एमबीबीएस परीक्षा को लेकर पास -फेल का खेल चल रहा है। गोपनीय विभाग की मनमानी चल रही है। पुनर्मूल्यांकन के एक आवेदन पर दो-दो बार नतीजे जारी किए जा रहे हैं। ऐसे दो केस सामने आए हैं। मामला उजागर होने पर रविवि प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करने की जगह लीपापोती में जुट गया है। कुलसचिव केके चंद्राकर का कहना है कि एमबीबीएस के लिए दो-तीन नियम हैं। इसकी वजह से गलतफहमी हो गई होगी। यह बात सामने आते ही नतीजे सुधार दिए गए हैं। 

एमबीबीएस अंतिम भाग दो के नतीजे इसी साल 27 मार्च को जारी किए गए। इसमें रायपुर और जगदलपुर के 103 छात्र पास हुए। परीक्षा में शामिल रेशमा और प्रेमलता समेत कुछ छात्रों को पूरक की पात्रता दी गई। नतीजे जारी होने के बाद रेशमा और प्रेमलता ने शिशु रोग के पर्चे में पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। 32 दिन बाद यानी 28 अप्रैल को इनके नतीजे घोषित कर दिए गए। रेशमा को शिशुरोग पेपर एक में 9 अंक दिए गए और पेपर दो में 11 अंक। मुख्य परीक्षा में उनके अंक क्रमश: 6 व 7 थे। इसमें उन्हें कृपांक (ग्रेस मार्क्‍स) देकर पास कर दिया गया। जबकि चार छात्र और हैं जिनके अंक 42 हैं। इसके बावजूद उन्हें रेशमा की तरह कृपांक का लाभ नहीं दिया गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने 21 मई को तीसरा नतीजा घोषित किया। इसमें रेशमा को पास से फिर पूरक कर दिया। ऐसा क्यों किया गया, साफ नहीं किया गया। 

दूसरा मामला प्रेमलता का है। पुनर्मूल्यांकन के घोषित नतीजों की मानें तो मुख्य परीक्षा की तुलना में प्रेमलता के अंक 20 फीसदी बढ़ गए थे। शक होने पर उनका नतीजा रोक दिया गया। इसी दौरान मामले का भंडाफोड़ हुआ। 21 मई को जारी परिणाम में प्रेमलता का परिणाम नो चेंज बताया गया। 24 मई को परीक्षा विभाग और गोपनीय विभाग को कुलसचिव की तरफ से जारी एक पत्र में लिखा गया कि कंप्यूटर में मुद्रण त्रुटी की वजह से प्रेमलता का परिणाम गलत आ गया, इसे सुधारा गया । इसका खुलासा होते ही आनन-फानन में गोपनीय विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी को 15 दिन की छुट्टी पर भेज दिया गया(संजय पाठक,दैनिक भास्कर,रायपुर,28.5.12)।

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