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09 जून 2012

हरियाणाःएजुसेट प्रोजेक्ट का निकला दम

हरियाणा में स्कूल कॉलेज के बच्चों को सैटेलाइट के जरिए पढ़ाने के एजुसेट प्रोजेक्ट का दम निकल रहा है। यह प्रोजेक्ट करीब 12 हजार संस्थानों में लागू है और इनमें तकरीबन 60 फीसदी सिस्टम खराब पड़े हैं। कहीं बैकअप के लिए बैटरियां खराब और कहीं यूपीएस काम नहीं कर रहे हैं। कई जगह स्पेयर पार्ट्स के अभाव में सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल (सिट) बंद पड़े या सिस्टम न चलने के लिए अन्य कारण जिम्मेदार हैं। 

नतीजा ये है कि एजुसेट के पंचकूला स्थित चार स्टूडियोज से सप्ताह में छह दिन सैटेलाइट से तय टाइम टेबल के अनुसार सुबह 8.20 से शाम 4 बजे के बीच लेक्चर डिलीवर किए जाते हैं जो तकनीकी फेल्योर के चलते सभी संस्थानों तक नहीं पहुंचते हैं। यानी विभिन्न विषयों पर अच्छी पकड़ के लिए सिलेक्टिव चैप्टर पढ़ाने की हाई प्रोफाइल स्कीम का लाभ कहीं डेढ़ साल से और कई जगह पिछले कई महीनों से हजारों बच्चों को नहीं मिल रहा है। 

इसलिए है दिक्कत : 
एजुसेट का प्रोजेक्ट इसरो के कमर्शियल विंग अंतरिक्ष विंग के जरिए शुरू किया गया था। इसके लिए हरियाणा के शिक्षा विभाग ने उत्कर्ष सोसायटी बनाई थी। सिस्टम के रखरखाव के लिए दो साल का एग्रीमेंट किया गया। नतीजतन इसरो ने प्रोजेक्ट में रुचि लेनी कम कर दी है। इसी वजह से सिट के लिए कई स्पेयर पार्ट्स विदेश से मंगाए जाने में देरी हो रही है। दूसरी तरफ उत्कर्ष ने पिछले साल राज्य सरकार से 14 हजार बैटरियां मांगी थीं लेकिन सरकार की हाई पॉवर परचेज कमेटी ने सिर्फ चार हजार बैटरियां खरीदने की ही मंजूरी दी जबकि हरेक सिस्टम को दो बैटरियां लगती हैं। 

 -बैकअप के लिए बैटरियां खराब। 

 -यूपीएस काम नहीं कर रहे हैं। 

इसरो का था यह प्रोजेक्ट 
यह प्रोजेक्ट इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन(इसरो) के मार्गदर्शन में वर्ष 2005 से 2007 के बीच शुरु किया गया था। इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने पर राज्य सरकार ने करीब 80 करोड़ रुपए खर्च किए थे। उसके बाद करीब 10 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट के चैप्टर तैयार कराने व सिस्टम्स के रखरखाव आदि पर खर्च किए जा चुके हैं। एजुसेट का प्रोजेक्ट इसरो के कमर्शियल विंग अंतरिक्ष विंग के जरिये शुरू किया गया था। 

क्या है प्रोफाइल 
हरियाणा में पहली से 12वीं क्लास के बच्चों को किताबी पाठ्यक्रम के साथ चुनिंदा चैप्टर सैटेलाइट से (विजुअल और साउंड सहित सहित) पढ़ाने का प्रावधान है। इसी तरह कालेज व पॉलीटेक्निक के स्टूडेंट्स को एक्सपर्ट्स का मार्गदर्शन दिया जाता है। इसके लिए करीब नौ हजार प्राइमरी व 13सौ स्कूलों में आरओटी(रिसीव ओनली टíमनल) और 500 कालेजों, पालीटेक्निक, सभी बीईओ, डीईओ, डाइट ऑफिसेज और चुनिंदा स्कूलों में सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल(सिट) लगे हैं। 

एजुसेट प्रोजेक्ट के तहत कुछ और बैटरियां खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। इस तरह सिट के लिए स्पेयर पार्ट्स आयात किए जा रहे हैं जिसके अगले दो माह में मिलने की उम्मीद है। एजुसेट के सभी खराब सिस्टम्स जल्द चालू कराने की कोशिश हो रही है। सुरीना राजन, वित्तायुक्त व प्रधान सचिव(कपिल चड्ढा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,9.6.12ः

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