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09 जून 2012

यूपीःमेधावियों ने दसवीं में रच दिया इतिहास

माध्यमिक शिक्षा परिषद के दसवीं के परीक्षार्थियों ने इस बार इतिहास रच दिया। दो साल से 70 फीसद पर रुका रिजल्ट इस बार 83.75 फीसद तक गया है। बाराबंकी की पूजा यादव व आकांक्षा सिंह ने 96.50 प्रतिशत अंक हासिल कर प्रथम स्थान पाया है, इसी जिले के अन्ना यादव भी इतने ही अंक हासिल कर प्रथम स्थान पर रहे। पूजा यादव बाराबंकी के उसी कॉलेज की छात्रा है, जहां की दो अन्य छात्राओं ने इंटर में यूपी टॉप किया था। हाईस्कूल परीक्षा में छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 79.61 व छात्राओं का 88.95 रहा। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति बासुदेव यादव ने शुक्रवार को बताया कि पूजा यादव, आकांक्षा सिंह व अन्ना यादव ने संयुक्त रूप से 579/600अंक हासिल किए हैं। पूजा, महारानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल इंटर कॉलेज, बाराबंकी की छात्रा हैं। इसी कॉलेज की अभिलाषा यज्ञ सैनी व अपूर्वा वर्मा ने पांच जून को घोषित इंटरमीडिएट परीक्षा में 96.20 फीसद अंक हासिल कर संयुक्त रूप से टॉप किया था। आकांक्षा सिंह सरस्वती विद्यामंदिर इंटर कॉलेज बाराबंकी की छात्रा हैं। बालकों में टॉपर अन्ना यादव बीआरजीपी हायर सेकेंड्री स्कूल, बरैया मूरतगंज बाराबंकी के छात्र हैं। संस्थागत परीक्षार्थियों का रिजल्ट 84.36 और व्यक्तिगत का उत्तीर्ण प्रतिशत 83.75 फीसद रहा। हाईस्कूल परीक्षा में कुल 37 लाख 41 हजार 380 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए, जिसमें से 35 लाख 59 हजार 196 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,9.6.12)। 

पापा से दोगुना. बोर्ड की माया है! 
समय आगे बढ़ चुका है और पैदा हो गए हैं, नए समीकरण..। बेटे से कुछ ज्यादा की इच्छा रखने वाले पापा यूपी बोर्ड के दसवीं इम्तहान में फ‌र्स्ट डिवीजन भी नहीं ला पाए थे, जबकि उनके सुपुत्र दोगुने अंकों से आगे निकलते हुए सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। यह सब कुछ उनकी मेधा के साथ ही यूपी बोर्ड के बदले स्वरूप के कारण हुआ है। निश्चित रूप से तब आज की तरह समय नहीं था, पर..। यही नहीं सूचना क्रांति के इस दौर में तुरंत मार्कशीट का प्रिंट आउट पा जाने वाले बेटे-बेटियों के पापा को तो अपना रिजल्ट ही कुछ दिनों बाद जान सके थे! चौंकिए नहीं, हकीकत है ये..। नब्बे फीसद अंक लाने वाले वरुण शुक्ला के पिता रमेश चंद्र शुक्ला के हाई स्कूल में पचास फीसद अंक थे। उन्होंने 1985 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। उस दौर को याद करते हुए वह कहते हैं-तब का जमाना और था। माता-पिता भी रिजल्ट को लेकर इतने जिज्ञासु नहीं थे। बस उन्हें इतना पता चल जाता कि पास हो गए हैं, तो सब ठीक है। शुक्ल जी बताते हैं, मैं तो पहले ही प्रयास में पास हो गया था, पर मेरे भाई लोग तो दो-तीन प्रयासों के बाद हाईस्कूल की बाधा लांघ पाए थे। 91.9 फीसद अंक पाने वाली आकांक्षा के पिता कुलदीप मौर्या ने भी 1982 में हाईस्कूल में 54 फीसद अंक पाए थे। बताते हैं-तीसरे दिन जान पाया था कि पास हुआ या नहीं। पेपर से ही रिजल्ट पता होता था। ऐसा ही कुछ श्रद्धा सिंह यादव के पिता संजय सिंह यादव और श्रायति श्रीवास्तव के पिता शांभवी प्रकाश श्रीवास्तव भी बताते हैं। मानस्वी के पिता राजेश सिंह को तो एक सप्ताह बाद अपना परिणाम जानने को मिला था। असल में ये पिता उस समय के हैं, जब यूपी बोर्ड में मिठाइयों की तरह नंबर नहीं बंटते थे। बहुत ही कम लोग पास होते थे और गिने-चुने लोग फ‌र्स्ट डिवीजन निकलते थे। इस बारे में भी रमेश चंद्र शुक्ल बताते हैं-वह दौर आज से बिल्कुल अलग था। कहीं कोई सपोर्ट नहीं होता था। जो भी मिल गया, बस ठीक था। अब तो सारी मारकाट ही प्रतिशत को लेकर है(रोहित मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,9.6.12)। 

छोटे जिलों ने किया बड़ा कमाल 
गंगा किनारे बसे वाराणसी को हाईस्कूल के परीक्षार्थियों ने प्रदेश में पहला स्थान दिला दिया। यहां 92.13 फीसद परीक्षार्थियों ने सफलता हासिल की। बीते साल यह सूबे में 25वें पायदान पर था। पिछले साल वाराणसी का परीक्षाफल 73.75 प्रतिशत रहा। वर्ष 2012 की परीक्षा में वाराणसी जिले में कुल 73 हजार 567 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे, जिसमें 68 हजार 368 छात्र-छात्राएं शामिल हुई और 62 हजार 987 परीक्षार्थी सफल घोषित हुए। यही नहीं हाईस्कूल परीक्षा में छोटे जिलों ने बड़ा कमाल दिखाया। यदि वाराणसी और गाजियाबाद को छोड़ दें तो दूसरे से लेकर 10वें पायदान तक आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से पिछड़े जिलों के परीक्षार्थियों ने परचम लहराया। जिलों की टॉप टेन सूची में महराजगंज, बागपत, फैजाबाद, सिद्धार्थनगर शामिल हैं। क्षेत्रीय कार्यालयों में बरेली आगे : यूपी बोर्ड के चार क्षेत्रीय कार्यालयों में बरेली का झंडा बुलंद रहा। इसके अंतर्गत आने वाले जिलों के विद्यालयों का रिजल्ट 84.52 फीसद रहा। इसमें 80.52 प्रतिशत बालक और 90.06 फीसद बालिकाएं सफल रहीं। बीते साल बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के जिले चौथे स्थान पर थे। दूसरे स्थान पर मेरठ क्षेत्र है। यहां के 84.34 फीसद परीक्षार्थी उत्तीर्ण हैं। इनमें बालिकाओं का प्रतिशत 91.16 और बालकों का 79.98 रहा। इस सूची में वाराणसी तीसरे पायदान पर है। यहां का रिजल्ट 84.22 फीसद है। इलाहाबाद 82.38 फीसद के साथ अंतिम स्थान पर है। बीते साल मेरठ पहले, वाराणसी दूसरे, इलाहाबाद तीसरे स्थान पर था(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,9.6.12)।

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