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27 मई 2010

सुपर-30 की सुपर सफलता

टाइम पत्रिका द्वारा "बेस्ट आफ एशिया" के खिताब से नवाजे गए कोचिंग संस्थान सुपर-३० को फिर सुपर सफलता मिली है। शत प्रतिशत सफलता हासिल करते हुए इस संस्थान के सभी ३० छात्रों ने आईआईटी का संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बाजी मार ली। परिणाम से उत्साहित संचालक गणितज्ञ आनंद कुमार ने संस्थान को सुपर-६० में बदलने का ऐलान कर दिया है। इस संस्थान को पिछले साल भी शत प्रतिशत सफलता मिली थी। आनंद के प्रयासों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पहले ही सराहना मिल चुकी है और वे प्रधानमंत्री के बुलावे पर उनसे मिल चुके हैं। दूसरी और कोचिंग को व्यवसाय बनाने वाले पटना के कोचिंग संस्थानों के दावे खोखले साबित हुए हैं।

अगर पटना के सभी कोचिंग संस्थानों के दावों को जो़ड़ दिया जाए बिहार से सफल छात्रों की संख्या ७०० को पार कर जाती है जबकि पूरे गुवाहाटी जोन से सिर्फ ५७६ छात्र सफल हुए हैं और बिहार भी इसी जोन का हिस्सा है। आईआईटी परीक्षा के परिणाम आने पर कोचिंग संस्थानों की ओर से सफल छात्रों के लंबे चौ़ड़े दावे किए जाने लगे। एक्सिस क्लासेज नामक संस्थान ने ९६ छात्रों के सफल होने का दावा कर डाला मगर मांगने पर सूची पेश नहीं कर सके। एक संस्थान ने बिहार के टॉपर समीर सिंह को अपने संस्थान का छात्र घोषित कर दिया जबकि समीर की मां रश्मि अग्रवाल ने कहा कि समीर ने बिहार के किसी कोचिंग संस्थान से शिक्षा नहीं ली। वह कोटा में प़ढ़ा है। समीर के दो और भाइयों अंशुल और अंकित को भी सफलता मिली।

सुपर-३० के संचालक आनंद कुमार ने इस बार पिछ़ड़ी जाति के अधिक छात्रों को संस्थान में लिया था और वे सभी सफल हुए। इस संस्थान के बूते अब बिहार आईआईटी छात्रों को ग़ढ़ने की फैक्ट्री बन चुका है। दो साल में संस्थान ने आईआईटी को ६० छात्र दिए हैं।

सुपर-३० के संचालक आनंद कुमार ने कॉलेज के दिनों में ही रामानुजम स्कूल आफ मैथेमेटिक्स की स्थापना की थी। लेकिन बाद में धन के अभाव में वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्रस्ताव आने के बाद भी वहां नहीं जा सके। इस चोट ने उन्हें प्रेरणा दी और उन्होंने गरीब छात्रों को आईआईटी भेजने का संकल्प लिया। वे जांच से छात्रों का चयन करते हैं और खुद उन्हें प़ढ़ाते हैं। मामूली फीस ली जाती है जिसे गरीब छात्र वहन कर सकें। अति गरीब छात्रों से वे पैसे नहीं लेते और भोजन और आवास की व्यवस्था अपनी ओर से कर देते हैं। उनके भाई वायलिन वादक प्रणव कुमार ने उनकी टीम को ज्वाइन कर लिया। बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अभयानंद भी पहले उनके साथ थे लेकिन बाद में अलग हो गए। संस्थान ने छह साल में १३० गरीब छात्रों को आईआईटी में सफलता दिलाई है।
(नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010 में पटना से राघवेन्द्र नारायण मिश्र की रिपोर्ट)

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