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16 मई 2010

न्यूट्रशनिस्ट के तौर पर करियर

समय तेजी से करवट ले रहा है तथा लोगों के जीवन में जटिलताएं भी निरंतर बढ़ती जा रही हैं। परेशानी एवं जटिलता भरे इस माहौल में भी लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति तथा अपने खान-पान एवं परहेज संबंधित समस्याओं को लेकर जागरूक हैं तथा इनके समाधान के लिए आतुर रहते हैं। उनकी तमाम समस्याओं एवं जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं न्यूट्रीशनिस्ट।

एक सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले नागरिक से लेकर खिलाड़ियों के लिए जरूरी फूड सप्लिमेंट तक का उपाय इन्हीं न्यूट्रीशनिस्टों के जरिए होता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि न्यूट्रीशन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए फूड एवं अन्य पदार्थो को नियंत्रित करने का विज्ञान है। आज यह अपनी उपयोगिता के चलते नये प्रोफेशन का रूप अख्तियार कर चुका है। एक न्यूट्रीशनिस्ट का काम जीवन के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए खान-पान के तौर-तरीकों तथा अच्छे स्वास्थ्य के मद्देनजर जरूरी चीजों को बढ़ावा देना होता है। यह सारी क्रियाविधि मनुष्य की उम्र पर निर्भर करती है। इसके अलावा उनके रूटीन, बीमारी तथा कार्य के स्वरूप को देखते हुए खाद्य पदार्थों की रूपरेखा तय की जाती है।

यह सुखद संकेत है कि न्यूट्रीशन के सिद्धांतों एवं परिकल्पनाओं के जरिए लोगों के अंदर व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं। न्यूट्रीशनिस्ट अपने ज्ञान एवं शोधों के द्वारा खाद्य पदार्थों की सूची तैयार करता है तथा उस आधार पर उसे हॉस्पिटल, फिजिकल ट्रेनिंग कैम्प, पर्वतारोहियों आदि के लिए निर्धारित करता है। इन खाद्य पदार्थों में विटामिंस, मिनरल्स, आयरन आदि होते हैं, जो मनुष्य के लिए आवश्यक होते हैं।

पाचन क्रिया के अध्ययन व शोधों से यह पता चला है कि शरीर में अधिकांश रिएक्शन एवं शारीरिक परेशानियां संतुलित आहार न लेने से होती हैं। इन बीमारियों में डायबिटीज, लीवर व पेट संबंधी समस्याएं शामिल हैं। यदि ये न्यूट्रीशनिस्ट किसी प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग संस्थान में कार्यरत हैं तो वे अपनी प्लानिंग एवं शोधों के जरिए नए उत्पाद के सृजन की कोशिश करते हैं। वास्तव में ये न्यूट्रीशनिस्ट स्वस्थ जीवन की आधारशिला रखने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

बारहवीं के बाद रखें कदम

न्यूट्रीशन के फील्ड में जो भी करियर ऑप्शन हैं, वे ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट बनने के बाद ही सामने आते हैं। इसके लिए लोगों को होम साइंस, न्यूट्रीशन, फूड साइंस/ टेक्नोलॉजी से सबंधित कोर्स करने अनिवार्य हैं। बैचलर कोर्स (न्यूट्रीशन एवं डायटीशियन) के लिए छात्र को विज्ञान विषयों (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, होम साइंस एवं बायोलॉजी) में पास होना अनिवार्य है। तभी बीएससी इन होम साइंस तथा अन्य बैचलर प्रोग्राम जैसे फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेडिसिन, होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी से संबंधित अन्य विषयों को भी शामिल किया जाता है। कुछ ऐसे भी संस्थान हैं जो 10+2 के पश्चात चार वर्षीय फूड टेक्नोलॉजी कोर्स कराते हैं, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर न्यूट्रीशन का डायटीशियन से संबंधित कोर्स या तो दो वर्ष का है या फिर पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (1 वर्षीय) के रूप में है। पीजी तथा पीजी डिप्लोमा कोर्स करने के लिए फूड साइंस, होम साइंस, होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, बायो कैमिस्ट्री तथा मेडिसिन में बैचलर होना आवश्यक है। एमएससी इन होम साइंस भी इसी स्तर पर किया जाता है। इसके बाद पीएचडी का रास्ता खुलता है।

प्रमुख कोर्सों की रूपरेखा

एमएससी इन न्यूट्रीशन- 2 वर्षीय पाठय़क्रम
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन डायटेटिक्स एंड पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन-एक वर्ष का कोर्स व 3 माह की इंटर्नशिप
पीएचडी इन फूड एंड न्यूट्रीशन- न्यूनतम 3 साल
सर्टिफिकेट कोर्स इन फूड, न्यूट्रीशन एंड चाइल्ड केयर- छह माह
डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड हैल्थ एजुकेशन-छह माह
बीएससी इन न्यूट्रीशन एंड डायटेक्टिस
एमएससी इन अप्लाइड न्यूट्रीशन
पीएचडी इन न्यूट्रीशन

सिलेबस भी है कुछ खास

न्यूट्रीशन से संबंधित कोर्सो का सिलेबस काफी फैला हुआ तथा रुचिकर है। स्कूली स्तर से लेकर मास्टर एवं रिसर्च लेवल तक का पाठय़क्रम बताता है कि स्कूलों में न्यूट्रीशन प्रोग्राम के अंतर्गत स्वस्थ खाना एवं उसके फायदे, स्वास्थ्य की जरूरत, मेन्यू डिजाइनिंग, बच्चों में फैट की मात्र, कुकिंग वर्कशॉप तथा प्रकृति के प्रति सहानुभूति दर्शाई जाती है। इसी तरह से एमएससी होम साइंस के सिलेबस में बायोकैमिस्ट्री, न्यूट्रीशन संबंधी रिसर्च, फिजियोलॉजी, बायोस्टेटिस्टिक, मनुष्य की न्यूट्रीशन की आवश्यकता, माइक्रोबायोलॉजी, प्रिंसिपल ऑफ फूड साइंस के अलावा अंतिम वर्ष तक ह्यूमन न्यूट्रीशन एंड डायटेक्टिक, इंस्टीटय़ूशनल मैनेजमेंट एवं फूड साइंस शामिल किया जाता है, जबकि एक वर्षीय डिप्लोमा इन डायटेक्टिस एंड पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन (डीडीपीएचएन) के अंतर्गत तीन माह की कंपलसरी इंटर्नशिप दी जाती है। यह इंटर्नशिप किसी हॉस्पिटल या योग्य डायटीशियन के अंडर कराई जाती है। इसमें बायोकैमिस्ट्री, न्यूट्रीशन, अप्लाइड फिडियोलॉजी, फूड माइक्रो बायोलॉजी, एडमिनिस्ट्रेशन, थिरैप्टिक न्यूट्रीशन तथा पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन आते हैं।

खान-पान में अभिरुचि जरूरी

एक अच्छे न्यूट्रीशनिस्ट की रुचि खानपान एवं उसे तैयार करने में अवश्य होनी चाहिए। तभी वह इस फील्ड की बारीकियों को समझ पाएगा। समूह में अथवा व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को अपने बोलने की कला से बांधे रखने (कम्युनिकेशन स्किल्स), विभिन्न रिपोर्ट तैयार करने का कौशल तथा पोस्टर, बैनर लिखने संबंधी ज्ञान भी कदम-दर-कदम काम आता है। उनकी वाणी में मिठास हो तथा मरीज के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाने की कला जानते हों। किसी भी संगठन के लिए प्लानिंग एवं इनके प्रशासनिक कार्यो को संभालने के साथ ही शारीरिक रूप से फिट तथा एक टीम लीडर की भांति काम करने का जज्बा सफलता का पैमाना तय कर सकता है। विज्ञान में अभिरुचि तथा उत्तरदायित्व जैसे गुणों को भी एक न्यूट्रीशनिस्ट के अंदर परखा जाता है।

मांग है तो संभावना है

एक रिपोर्ट के अनुसार 2008 में डायटीशियन एवं न्यूट्रीशनिस्ट के 60,300 जॉब सृजित हुए थे, जिनमें से अधिकांशत: हॉस्पिटल, नर्सिग केयर सेंटर, गैर सरकारी एवं सरकारी एजेंसी फिजीशियन के यहां थे। इसके अलावा केन्द्र एवं राज्य सरकारें भी हैल्थ डिपार्टमेंट में न्यूट्रीशनिस्टों को प्रमुखता से रखती हैं। यह मांग साल-दर-साल 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।

क्या काम है न्यूट्रीशनिस्ट का

एक न्यूट्रीशनिस्ट का कार्य क्षेत्र काफी फैला हुआ है। फूड की प्लानिंग, न्यूट्रीशन प्रोग्राम तैयार करने, बीमारियों तथा जंक फूड से बचाने, पोषक गुणों से युक्त खाना खाने को प्रेरित करने से लेकर फूड सर्विस सिस्टम को प्रमुख संस्थानों जैसे स्कूल, हॉस्पिटल आदि जगहों पर प्रमोट करने संबंधी सभी कार्य इनके जिम्मे होते हैं।

कुछ प्रमुख कार्य क्षेत्र इस प्रकार हैं-

क्लीनिकल डाइटीशियन

इनका कार्य किसी हॉस्पिटल, नर्सिग केयर सेंटर अथवा अन्य संस्थानों में मरीजों को न्यूट्रीशन से संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराना है। वे पता लगाते हैं कि मरीज को न्यूट्रीशन की कितनी आवश्यकता है तथा उसे किस रूप में इसे दिया जा सकता है। इसके बाद मिलने वाले परिणामों तथा डॉक्टर के साथ न्यूट्रीशन संबंधित आश्यकताओं पर चर्चा करते हैं।

कम्युनिटी डाइटीशियन

इनकी प्रमुख भूमिका व्यक्तिगत अथवा समूह के रूप में हैल्थ को बढ़ावा देने के लिए न्यूट्रीशन प्रैक्टिस को कारगर बनाना है। इनके काम करने का स्थान मुख्यत: पब्लिक हैल्थ क्लीनिक, होम हैल्थ एजेंसी तथा हैल्थ मेंटीनेंस ऑर्गेनाइजेशन है। कम्युनिटी डाइटीशियन किसी भी व्यक्ति अथवा उसके परिवार की डाइट को समझने, न्यूट्रीशन केयर प्लान तैयार करते हैं।

मैनेजमेंट डाइटीशियन

ये किसी भी कंपनी, स्कूल, कैफिटेरिया अथवा बड़े पैमाने पर हैल्थ केयर से संबंधित सुविधाओं की प्लानिंग करते हैं तथा उन्हें तैयार भी करते हैं। इसके लिए वे सीधे तौर पर या कड़ी के रूप में डाइटीशियन, फूड सर्विस वर्कर को अनुबंधित करते हैं। बजट, जरूरी उपकरणों, गुलेशन आदि कार्य भी इन्हीं के जिम्मे होता है।
कंसल्टेंट डाइटीशियन

ये प्राइवेट प्रैक्टिस के जरिए लोगों को हैल्थ केयर सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। ये अपने क्लाइंट्स को वेट कम या अधिक करने, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखने जैसे कार्यो की स्क्रीनिंग करते हैं। कुछ तो वेलनेस प्रोग्राम, स्पोर्ट्स टीम, सुपर मार्केट एवं अन्य न्यूट्रीशन से संबंधित बिजनेस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

न्यूट्रीशनिस्ट के प्रमुख संस्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), नई दिल्ली
वेबसाइट- www.du.ac.in

डीयू के अंतर्गत दो कॉलेज लेडी इरविन कॉलेज, दिल्ली तथा इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स में न्यूट्रीशन से संबंधित कोर्स कराए जाते हैं। इन कोर्सों का विवरण निम्न है:

पीजी डिप्लोमा इन पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन
पीजी डिप्लोमा इन डायटेक्टिस
एमएससी इन होम साइंस
बीएससी (ऑनर्स) होम साइंस

इन सस्थानों में दाखिले के लिए मई के प्रथम अथवा दूसरे सप्ताह में नोटिस दिया जाता है। दाखिले का आधार एंट्रेंस टैस्ट/इंटरव्यू होता है।

अन्य प्रमुख संस्थान

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली
वेबसाइट- www.ignou.ac.in

नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ न्यूट्रीशन, हैदराबाद
वेबसाइट- www.ninindia.org

जेडी बिरला इंस्टीटय़ूट, कोलकाता
वेबसाइट- www.jdbikolkata.com

इंटरनेशनल लाइफ साइंस इंस्टीटय़ूट, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.india.ilsi.org

गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
वेबसाइट- www.gnduonline.org

यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर (सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिस्ट रिसर्च इंस्टीटय़ूट), मैसूर
वेबसाइट- www.cftri.org

यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई
वेबसाइट- www.mu.ac.in

कोचिंग संस्थान

न्यूट्रीशनिस्ट के लिए कोई कोचिंग सेंटर जैसी संस्था नहीं है। इसके लिए न्यूट्रीशन कंसल्टेंट जगह-जगह वर्कशॉप, सेमिनार का आयोजन कर पेशे तथा इस फील्ड के प्रति जागरुकता फैलाते हैं। विदेशों में इससे संबंधित कई कोचिंग सेंटर कार्यरत हैं। छात्र अपनी जिज्ञासा के समाधान के लिए न्यूट्रीशन कंसल्टेंट या काउंसलर की मदद ले सकते हैं।

स्कॉलरशिप

कई प्रमुख संस्थान छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं। इनमें कुछ तो कोर्स के दौरान प्रदान की जाती हैं तो कुछ पीएचडी के दौरान जेआरएफ के रूप में दी जाती हैं। नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ न्यूट्रीशन, हैदराबाद द्वारा हर साल 7-10 छात्रों को जेआरएफ प्रदान की जाती है। इसके अलावा अधिकांश संस्थान अपने छात्रों को स्कॉलरशिप अथवा फीस में छूट संबंधी सुविधाएं प्रदान करते हैं।

वेतन

मुख्य तौर पर एक न्यूट्रीशनिस्ट का वेतन उसके कार्य एवं कार्य-क्षेत्र पर निर्भर करता है। फिर भी किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में बतौर ट्रेनी-न्यूट्रीशनिस्ट ज्वॉइन करने पर 5,000 रु. प्रति माह तथा एक से दो साल का अनुभव होने पर 10,000-12,000 रुपए हर महीने मिलते हैं। जो प्रोफेशनल फील्ड, टीचिंग एवं फूड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में काम करते हैं, उन्हें आकर्षक सेलरी मिलती है, जबकि कंसल्टेंट न्यूट्रीशनिस्ट प्राइवेट प्रैक्टिस के जरिए पैसा व शोहरत दोनों कमा सकते हैं।

परामर्श

उषा एल्बुकर्क, निदेशक, करियर स्मार्ट

मैंने 2009 में एनआईओएस से 12वीं पास की थी। मेरे विषय बिजनेस स्टडीज, पोलीटिकल साइंस, हिंदी और इंग्लिश थे। मैंने बीए (प्रोग्राम) से ग्रेजुएशन की है। क्या में डाइटीशियन का कोर्स कर सकता हूं। अगर हां तो इस कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता क्या है?
गणेश राव, करावल नगर, दिल्ली

न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स में कोर्स करने के लिए 12वीं में साइंस या होम साइंस पढ़ना जरूरी है। यदि आप ने साइंस, होम साइंस, कैमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, होटल मैनेजमेंट या कैटरिंग से ग्रेजुएशन की होती तो आप महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई आदि से दो वर्षीय एमएससी या एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड डाइटेटिक्स के लिए आवेदन कर सकते थे। आप ने जो विषय ले रखे हैं, उसके चलते आप डाइटीशियन का कोर्स नहीं कर सकते।

मैं स्कूल ऑफ ओपन लर्निग की छात्र हूं। मेरे विषय न्यूट्रीशन हैल्थ एजुकेशन, इंग्लिश, पोलीटिकल साइंस, कॉन्टेम्परेरी इंडिया और हिन्दी हैं। मैंने12वीं में होम साइंस पढ़ी थी और इसमें मेरे 72 प्रतिशत अंक थे। क्या मैं होम साइंस में ग्रेजुएशन कर सकती हूं? क्या होम साइंस में बीएड करना संभव है?
सोनिया, मोती बाग, दिल्ली

12वीं में होम साइंस होने से होम साइंस कोर्स किया जा सकता है। ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुएशन (एमएससी) कर सकता है और किसी स्पेशलाइजेशन को ले सकता है। होम साइंस की विभिन्न शाखाओं में अलग-अलग कोर्स किए जा सकते हैं, जिनमें फूड, न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स, रूरल कम्युनिटी एक्सटेन्शन, चाइल्ड डेवलपमेंट, फैमिली रिलेशन, टैक्सटाइल और क्लोदिंग, होम मैनेजमेंट शामिल हैं। अधिकांश विश्वविद्यालय बीएससी इन होम साइंस कोर्स ऑफर करते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय लेडी ईरविन कॉलेज और इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स होम साइंस कोर्स ऑफर करते हैं। भास्कराचार्य कॉलेज और श्री राजगुरु कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी कोर्स ऑफर करते हैं। आप बीएससी इन होम साइंस करने के बाद बीएड कर सकती हैं और स्कूल में न्यूट्रीशनिस्ट एंड डाइटेटिक्स के रूप में पढ़ा सकती हैं, पर कॉलेज तथा मेडिकल स्कूल में पढ़ाने के लिए आप को एमएससी करनी पड़ेगी।

मैंने आर्ट्स विषयों से 12वीं की है। क्या मैं न्यूट्रीशन में कोर्स कर सकती हूं? मैंने 10वीं तक होम साइंस की पढ़ाई की है, पर 12वीं में नहीं पढ़ी।
शैली चौधरी, कमला नगर, दिल्ली

न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स में पढ़ाई के लिए प्लस टू में साइंस पढ़ना जरूरी है। जो उम्मीदवार न्यूट्रीशन एंड डाइटेटिक्स में बैचलर कोर्स करना चाहते हैं, उन्हें 10+2 में साइंस विषय फिजिक्स, कैमिस्ट्री, होम साइंस या बायोलॉजी के साथ पढ़ा होना चाहिए।

अगर आप ने 12वीं में साइंस नहीं पढ़ी है तो आप आगे इस विषय को नहीं पढ़ सकतीं, पर आप कोरसपोंडेंस से कोर्स कर सकती हैं। इग्नू, नई दिल्ली और एपी ओपन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद फूड एंड न्यूट्रीशन में छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर करते हैं।


विकल्पों की कमी नहीं है इसमें

आमतौर पर लोगों का यही मानना होता है कि होम साइंस का कोर्स सिर्फ खाने-खिलाने तक ही सीमित है। जब मैंने गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ होम साइंस, चंडीगढ़ में बीएससी इन होम साइंस में दाखिला लिया तो मुझे भी इस तरह के सवाल झेलने पड़े, लेकिन मुझे इसके स्कोप एवं ऑप्शंस के बारे में पता था। सफलतापूर्वक बीएससी करने के पश्चात मैंने मास्टर कोर्स के लिए लेडी इरविन कॉलेज, दिल्ली (दिल्ली विश्वविद्यालय) को चुना। कोर्स के दौरान ही मैंने आकलन किया कि यदि बतौर न्यूट्रीशनिस्ट करियर बनाना है तो फिर बेसिक नॉलेज मजबूत होनी चाहिए। इसका कोर्स एक यूनिवर्सल कोर्स है, जिसमें खान-पान के साथ-साथ पेंटिंग, सिलाई-कढ़ाई (बुटीक), न्यूट्रीशन, टैक्सटाइल आदि सभी चीजों का अध्ययन किया जाता है। सही है कि इसके लिए होम साइंस सब्जेक्ट होना जरूरी है, लेकिन इसे ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में भी किया जा सकता है, क्योंकि इस बैकग्राउंड के छात्रों को काफी सम्यक सहायता मिलती है।

जो भी छात्र इसमें करियर बनाना चाहते हैं, उनकी खाने-पीने में रुचि, विभिन्न रेसिपीज की जानकारी तथा सीखने की ललक होनी चाहिए। बतौर न्यूट्रीशनिस्ट मैंने यही सीखा है कि जिस दिन आपकी सीखने की इच्छा खत्म हो जाती है, उस दिन आप पीछे की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर देते हैं। आजकल डाइट को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। यदि आपके अंदर इच्छा है तथा आपके हौंसले बुलंद हैं तो इसमें करियर बनाने का सही समय है।

एक्सपर्ट व्यू
डॉ. दीपिका मलिक, (न्यूट्रीशन कंसल्टेंट/ डायरेक्टर)

डॉ. दीपिकाज वेलनेस, गुड़गांव, सेवा और सहानुभूति का कार्य है न्यूट्रीशनिस्ट

समाज को खुशहाल बनाने में न्यूट्रीशनिस्ट की क्या भूमिका है?

सभी जानते हैं कि वे जैसा खाते हैं, उनके शरीर का विकास भी वैसे ही होता है। जिनकी डाइट सही होती है, उनका शरीर भी अच्छा होता है। आजकल जो भी खाना खाया जा रहा है, उसमें न्यूट्रीशन एवं विटामिन की मात्र कम ही होती है। एक न्यूट्रीशनिस्ट ही बताता है कि खाने में वो कौन-सी चीजें जोड़ लें तो बॉडी की मांग पूरी हो सकती है और बीमारियों को रोकने में सहायता मिल सकती है। शोधों से साबित हो चुका है कि यदि हमारा खान-पान न्यूट्रीशनिस्ट द्वारा बताई गई डाइट पर आधारित है तो कैंसर जैसी भयानक बीमारी को भी रोका जा सकता है।

एक डाइटीशियन एवं न्यूट्रीशनिस्ट में कितनी समानता है?

जिस तरह से एक व्यक्ति के दो नाम हो सकते हैं, उसी प्रकार डाइटीशियन एवं न्यूट्रीशनिस्ट एक ही क्षेत्र के दो नाम हैं। तकनीकी रूप से ये काफी समान हैं। कई संस्थान इससे संबंधित पाठय़क्रमों को न्यूट्रीशन का नाम देते हैं तो कई संस्थान उसे डाइटीशियन नाम से प्रचलित करते हैं। छात्रों को इससे भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। इसके अंतर्गत कई तरह के कोर्स हैं तथा कुछ-न-कुछ विविधता समेटे हुए हैं। इसी चक्कर में नामों को लेकर यह प्रयोग देखने को मिलता है।

कौन-सा अतिरिक्त गुण एक न्यूट्रीशनिस्ट को भीड़ से अलग बनाता है?

एक अच्छा न्यूट्रीशनिस्ट उसी को माना जाता है, जो लाइफ स्टाइल के हिसाब से डाइट प्लान करे। आजकल काम करने का तरीका भी बदलता जा रहा है तथा बैठ कर काम करने वालों की संख्या भी अधिक है। ऐसे में उनकी स्थिति के हिसाब से सलाह देनी चाहिए। इसके अलावा बच्चों में वेट बढ़ने या कोलेस्ट्रॉल अधिक होने की दशा में जरूरी उपाय ढूंढ़ने, शाकाहारी व्यक्ति को प्रोटीन किस रूप में देना है, दूध से एलर्जी होने वाले व्यक्ति की समस्या को सुनने के बाद उसका विकल्प बताने आदि जैसे गुण किसी भी न्यूट्रीशनिस्ट को सफल बना सकते हैं।

समय की मांग के मुताबिक खुद को कैसे तैयार करें न्यूट्रीशनिस्ट?

आज के दौर में प्रतिस्पर्धा अधिक है तथा काबिल लोगों की भरमार है। जो छात्र हर एंगल से मंजे हुए हैं, उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। न्यूट्रीशनिस्ट के लिए सबसे जरूरी होता है कि वह किसी भी रोगी अथवा व्यक्ति की दिक्कतों को ध्यानपूर्वक सुने तथा उनके साथ सहानुभूतिपूर्वक पेश आए। यह कार्य वह अपनी एकेडमिक इंटर्नशिप से ही शुरू कर दे, तभी आगे चल कर दक्ष बन पाएंगे।

लड़कियों के लिए यह फील्ड कितनी उपयोगी है?

लड़कियां पहले भी इस फील्ड की ओर ज्यादा आकर्षित होती थीं और आज भी उनकी रुचि इसकी ओर बनी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण होम साइंस बैकग्राउंड का होना है। होम साइंस के विषयों में न्यूट्रीशन को प्रमुखता से पढ़ाया जाता है तथा आगे चल कर यह एक स्पेशलाइजेशन का रूप अख्तियार करता है। इसके साथ ही लड़कियां खान-पान के प्रति अधिक सजग होती हैं। अत: उनके लिए इस फील्ड में अवसरों की कोई कमी नहीं है।

विदेश में रोजगार की कितनी संभावनाएं हैं?

जो भी छात्र भारत में कोर्स करके विदेश में काम करने की इच्छा रखता है, उसे भी वहां जाने के बाद कोई न कोई फाउंडेशन या सर्टिफिकेट कोर्स जरूर करना पड़ता है। इससे उसे मान्यता भी मिलती है तथा स्थानीय चीजों को समझने में सहायता मिलती है।

(नमिता सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,27.4.2010)

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