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16 मई 2010

एयर होस्टेस/ फ्लाइट पर्सर के तौर पर करियर

समय और दूरी के लिहाज से विश्व के सिमटने के पीछे वायुयानों का करतब है। धरती के किसी भी कोने में आना-जाना इतने कम समय में संभव हो गया है कि अब इनके बिना आधुनिक विश्व की कल्पना नहीं की जा सकती। चाहे बिजनेस की बात हो या पर्यटन की, हवाई जहाज का सफर एक जरूरत बन गया है। पहले माना जाता था कि हवाई जहाज से सफर करना अमीरों के लिए है, लेकिन बढ़ती प्रतियोगिता और गिरते किराए ने हवाई यात्रियों का एक नया वर्ग तैयार किया है, जो अधिक से अधिक हवाई यात्रा करता है और अपने काम को समय के तराजू में तौल कर देखता है। इन बढ़ते हवाई यात्रियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे उच्च कोटि की सुरक्षा और सेवा के साथ अपना सफर पूरा करें। इनको एक सेक्रेटरी की कुशलता और डिप्लोमैट के आकर्षण के साथ सेवा देने का काम जो करती/ करते हैं, उन्हें एयर होस्टेस/फ्लाइट पर्सर कहते हैं।

हवाई जहाज के अंदर वह एयर होस्टेस ही होती है, जो कभी यहां तो कभी वहां दिखती है, पैसेंजर को उसकी सीट तक ताजगी भरी मुसकान के साथ पहुंचाती है, सुरक्षाकर्मियों के साथ तालमेल रखती है, ऊर्जा से भरपूर होकर सबके लिए खानपान की चीजें पलक झपकते लाती है और किसी भी इमरजेंसी के समय हिम्मत बंधाती है। ऐसा करना आसान नहीं है। इसमें अधिकांशत: लड़कियां ही आती हैं, लेकिन यह लड़कों के लिए भी है और वे भी इस काम को बड़ी सहजता से कर पाते हैं। उन्हें फ्लाइट पर्सर कहते हैं। जहाज में सफर करते हुए ऐसी सेवाएं देना एक अलग किस्म की ऊर्जा की मांग करता है। वह उनमें ही होती है, जो आसमान छूने की चाहत व हिम्मत रखते हैं।

इतिहास के पन्ने

100 साल से भी अधिक समय पहले आसमान में उड़ने की कला का आविष्कार होने के बाद से आज एयर होस्टेस ट्रेनिंग इंडस्ट्री ने ऊंची उड़ान भरी है। 1930 में एलेन चर्च नामक एक नर्स ने बोइंग एयर ट्रांसपोर्ट के स्टीव स्टिम्पसन के साथ मिल कर हवाई जहाज में सेवाएं देने वालों को एयर होस्टेस के रूप में पेश किया।

चर्च ने यह प्रस्ताव दिया था कि पंजीकृत नर्सों को एयर होस्टेस की ट्रेनिंग दी जाए, ताकि वे यात्रियों, खास तौर पर बीमार यात्रियों की बेहतर सेवा कर पाएं। बोइंग ने, जो उस समय विमान निर्माता होने के साथ-साथ एयरलाइन भी थी, ऐसी आठ नर्सो को चुना और उन्हें तीन महीने के लिए एयर होस्टेस की ट्रेनिंग दी। भारत में पहला एयर होस्टेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट 1994 में खुला।

क्या है काम

किसी भी एयर होस्टेस या फ्लाइट पर्सर की डय़ूटी यही होती है कि किसी भी यात्री को सफर के दौरान किसी किस्म की दिक्कत या परेशानी न आए और उसकी यात्रा आरामदेह हो। एयर होस्टेस का काम जहाज में यात्रियों के आने के पहले ही शुरू हो जाता है। वह सुरक्षा व अन्य चीजों की जांच करती है। वह सुरक्षा उपकरण, कम्बल, तकिया, मैगजीन, प्लेट, नैपकिन, दवाइयां इत्यादि सबकी समुचित उपलब्धता और उनके ठीक हालत में होने को सुनिश्चित करती है। इसके साथ वह जहाज में सफाई का भी ध्यान रखती है। इसके बाद जब पैसेंजर्स आने लगते हैं तो उनका अभिवादन करती है और उन्हें उनकी सीट तक पहुंचने में मदद करती है। खास ध्यान उनका रखना पड़ता है, जो बीमार होते हैं, वीआईपी हैं, बच्चे हैं या फिर बूढ़े हैं, जो अकेले यात्रा कर रहे होते हैं। जब सभी यात्री अपनी सीटों पर बैठ जाते हैं तो वह सीट बैल्ट बांधने व अन्य सुरक्षा उपकरणों के इस्तेमाल के बारे में बताती है। जरूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार भी मुहैया कराती है। एयर होस्टेस की जिम्मेदारियों की अग्नि परीक्षा तब होती है, जब कोई इमरजेंसी आ जाती है। ऐसी परिस्थिति में सबकी निगाहें उसकी ओर होती हैं। वह सबको ढांढ़स बंधाती है और उनमें हर परिस्थिति से निपटने की हिम्मत पैदा करती है। मामला चाहे विमान अपहरण का हो, इंजन फेल होने का हो या फिर मौसम खराब होने का हो, उसे हर स्थिति में शांत और धीरज बनाए रखना है और दूसरों से भी ऐसा करने को कहना है।

व्यक्तिगत गुण

वे अपने कार्य के दौरान अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, नए-नए लोगों से मिलते हैं, उनकी सभ्यता व संस्कृति के बारे में जानते हैं और ऐसे चुनौती भरे करियर के लिए अभ्यर्थी का युवा व स्मार्ट होना जरूरी है। उनमें जिम्मेदारी का भाव होना चाहिए। आकर्षक व्यक्तित्व होना चाहिए। हाजिर जवाब होना चाहिए, आगे बढ़कर काम करने वाला होना चाहिए, सेहतमंद होना चाहिए, क्योंकि काम के लंबे घंटों में भी थकान नहीं आनी चाहिए। उनमें अपने काम के प्रति सकारात्मक रवैया होना चाहिए। बातचीत करने का हुनर उच्च कोटि का होना चाहिए, आवाज अच्छी हो, टीम में काम करने का संकल्प हो और यदि विनोदी प्रकृति का हो तो कहने ही क्या।

पात्रता व चयन

एयर होस्टेस की ट्रेनिंग के लिए चयनित होने की पात्रता कमोबेश हर संस्थान की उनके हिसाब से है। एयर होस्टेस अभ्यर्थी को वांछित भाषाओं (आम तौर पर अंग्रेजी, हिन्दी और एक अन्य विदेशी भाषा) में दक्ष होना चाहिए और किसी भी विषय से स्नातक या किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया होना चाहिए। कई संस्थान 12वीं पास को भी प्रवेश दे देते हैं।

अभ्यर्थी की उम्र 17 साल से 25 साल के बीच होनी चाहिए, कद 157.5 से कम नहीं होना चाहिए, कद के मुताबिक वजन होना चाहिए, अविवाहित हो, पासपोर्ट बनाने की पात्रता हो, आकर्षक व्यक्तित्व हो और नजर ठीक हो।

प्रारंभिक जांच के बाद अभ्यर्थी को एक लिखित परीक्षा देनी होती है और फिर सामूहिक चर्चा व साक्षात्कार होता है। उसके बाद प्रशिक्षण के लिए चुना जाता है।

पाठय़क्रम

इसमें अलग-अलग संस्थान अलग-अलग पाठय़क्रम कराते हैं, जो एविएशन व हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट से जुड़े होते हैं। किसी का एक साल का डिप्लोमा है तो किसी का 6 महीने का। इनमें एविएशन, हॉस्पिटेलिटी, ट्रैवेल एंड टूरिज्म, स्पोकन इंग्लिश जैसे विषयों को पढ़ाया जाता है।
इसके अलावा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग सेशन भी होते हैं, जिनमें प्राथमिक उपचार, एयरपोर्ट व इन फ्लाइट प्रैक्टिकल ओरिएंटेशन के साथ-साथ किसी बोइंग एयरक्राफ्ट में ले जाकर छात्रों को उसे दिखाया व उसके बारे में सिखाया जाता है।

एयर होस्टेस/ फ्लाइट पर्सर के प्रमुख संस्थान

फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग

कोर्स: बीटीईसी (एचएनसी) इन एविएशन, हॉस्पिटेलिटी एंड ट्रैवल मैनेजमेंट। यह पाठ्यक्रम एक वर्ष का है।

योग्यता: न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास है और उम्र 17 से 24 के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा अभ्यर्थी का व्यक्तित्व आकर्षक होना चाहिए।

आवेदन कैसे करें: एयर होस्टेस या फ्लाइट पर्सर बनने के इच्छुक उम्मीदवार संस्थान से सम्पर्क करें और स्टूडेंट इन्क्वायरी फॉर्म भरें। अन्य योग्यताएं पूरी करने पर साक्षात्कार के आधार पर दाखिला दिया जाता है।

वेबसाइट: www.frankfinn.com

अन्य प्रमुख संस्थान

एयर होस्टेस एकेडमी
एएचए हाउस, कैलाश कालोनी, नई दिल्ली
वेबसाइट: www.airhostessacademy.com

किंगफिशर ट्रेनिंग एकेडमी
ए-6, साउथ एक्सटेंशन पार्ट-1, नई दिल्ली-49
वेबसाइट: www.kingfisheracademy.com

लाइववेल एकेडमी
विशाल एनक्लेव, राजौरी गार्डन, नई दिल्ली-27
वेबसाइट: www.livewelaviation.com

कोचिंग संस्थान

इस पाठय़क्रम में प्रवेश के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होती, इसलिए कोचिंग संस्थानों की भूमिका नहीं होती। सीधे साक्षात्कार देना होता है और उसमें आपको ठीक पाया गया तो दाखिला मिल जाता है।

स्कॉलरशिप

एयर होस्टेस और फ्लाइट पर्सर की ट्रेनिंग के लिए कुछ एविएशन संस्थानों व सरकार ने भी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ पिछड़े वर्ग/अन्य पिछड़े वर्ग के लिए स्कॉलरशिप देने की व्यवस्था की है। फ्लाईएयर एविएशन एकेडमी, चेन्नई, जो किसी शैक्षणिक न्यास द्वारा चलाई जाती है, ने ऐसी घोषणा की है। मध्य प्रदेश सरकार भी इन आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए स्कॉलरशिप का प्रावधान रखती है।

एजुकेशन लोन

इस पाठ्यक्रम की फीस इतनी नहीं होती कि इसके लिए लोन लेने की जरूरत पड़े। जो आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार निश्चित फीस देने की स्थिति में नहीं होते, उन्हें अलग-अलग राज्य सरकारें मदद देती हैं।

नौकरी के अवसर

एयर होस्टेस और फ्लाइट पर्सर कोर्स के सफल समापन के बाद करियर के तमाम विकल्प खुले होते हैं। इन्हें निजी या सरकारी विमान सेवाओं में नौकरी मिल सकती है। निजीकरण, विदेशी गठजोड़ व ओपन स्काई पॉलिसी की ओर बढ़ते कदमों के साथ एयर होस्टेस का भविष्य उज्जवल है। कई विमान सेवाएं अपने विमानों की संख्या बढ़ाने की सोच रही हैं और उसी के साथ एयर होस्टेस की मांग भी बढ़ने वाली है। पिछले दिनों आई मंदी के दौर से निकलने के बाद विमानन सेवाओं का कारोबार फिर से परवान चढ़ने को आतुर दिखता है। इंडियन एयरलाइन या एयर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन सेवाओं में अवसर मिल सकते हैं। इनके अलावा जेट एयरवेज, सहारा, किंगफिशर, इंडिगो, स्पाइस जेट, एयर डेक्कन जैसी निजी विमान सेवाएं भी हैं, जो एयर होस्टेस/फ्लाइट पर्सर भर्ती करती हैं। आगे एयर होस्टेस सीनियर फ्लाइट अटेंडेंट और फिर हेड अटेंडेंट बन सकती हैं। इनका करियर सामान्य तौर पर 8 से 10 सालों का होता है। उसके बाद ग्राउंड होस्टेस, चेक होस्टेस या एयर होस्टेस ट्रेनिंग या मैनेजमेंट में भी काम कर सकती हैं।

वेतन

किसी भी एयर होस्टेस को सामान्यतया अच्छी तनख्वाह मिलती है। घरेलू विमान सेवाओं की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवाओं में बेहतर वेतन मिलता है। किसी घरेलू विमान सेवा में एयर होस्टेस की शुरुआती सैलेरी 25,000 रुपये से 40,000 रुपये के बीच होती है। अनुभव व तरक्की के साथ-साथ वेतन भी बढ़ता जाता है। एक सीनियर एयर होस्टेस को 50,000 रुपये से लेकर 75,000 रुपये तक मिलते हैं। विदेशी विमान सेवाओं में यह कमाई दो लाख रुपये से भी अधिक हो सकती है।

परामर्श
परवीन मल्होत्रा
निदेशक, करियर गाइडेंस इंडिया

मैंने हाल में 12वीं की परीक्षा दी है और मैं एयर होस्टेस बनना चाहती हूं। न सिर्फ मेरा कद पांच फुट दो इंच है, बल्कि मैं देखने में भी खूबसूरत नहीं हूं।
रश्मि गुप्ता, पालम विहार

एयर होस्टेस बनने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं ही होती है, पर ज्यादातर एयरलाइंस होटल मैनेजमेंट/कैटरिंग/ट्रेवल एंड टूरिज्म में स्नातक या डिप्लोमाधारकों को ही प्राथमिकता देती हैं। जहां तक कद का सवाल है, अधिकतर एयरलाइंस नंगे पैर 154 सेंटीमीटर-170 सेंटीमीटर कद चाहती हैं, जबकि प्राइवेट एयरलाइंस इससे भी ज्यादा 157-160 सेंमी. कद की उम्मीद रखती हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप शारीरिक रूप से फिट हों, रंग साफ हो, व्यक्तित्व आकर्षक हो और वजन कद के अनुपात में हो। घरेलू एयरलाइंस में उम्र 25 साल से और अंतरराष्ट्रीय में 30 साल से कम होनी चाहिए। दृष्टि सामान्य हो, चाहें तो कॉन्टेक्ट लैंस लगा सकती हैं।

मैं एक विज्ञान स्नातक हूं मुझे दिल्ली और मुंबई के सबसे अच्छे एयर होस्टेस प्रशिक्षण संस्थानों के बारे में बताएं?
सुलेखा, नबी करीम

कुछ अच्छे संस्थान हैं-
- किंगफिशर ट्रेनिंग एकेडमी
- जेट एयरवेज
- फ्लाइंग कैट्स
- एयर होस्टेस एकेडमी
- फ्रैंकफिन एविएशन सर्विसेज लि.

मैंने 12वीं की परीक्षाएं दी हैं। मैं एयरलाइंस में नौकरी करना चाहती हूं, आवेदन कैसे करूं?
कमलप्रीत, विष्णु गार्डन

अगर आप 25 साल से कम उम्र की अविवाहित स्नातक हैं तो आवश्यक योग्यता होने पर अपना फुल लेंथ और पासपोर्ट साइज फोटो रिज्यूमे के साथ प्रमुख एयरलाइंस के एचआर विभाग में भेज दें।


एक्सपर्ट व्यू
हम एक अच्छा व्यक्तित्व चाहते हैं
समीर वालिया, वाइस प्रेसिडेंट, फ्रैंकफिन इंस्टीटय़ूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग, नई दिल्ली

एयर होस्टेस को लेकर जो भ्रांतियां थीं, वे खत्म हो रही हैं। एविएशन की बदली हुई सूरत ने यह संभव बना दिया है कि आम आदमी भी हवाई जहाज से सफर करने लगा है। लो कॉस्ट कैरियर इतने हो गए हैं कि हवाई यात्रा विलासिता की श्रेणी से बाहर निकल गई है। ऐसे में लोग देखते हैं कि वहां कैसे काम होता है और क्या काम होता है। अब हर वर्ग की लड़कियां व लड़के इस करियर को अपना रहे हैं। जाहिर है स्वीकार्यता बढ़ी है।

फिर भी कुछ मानदंड रखे गए हैं, जिन्हें पूरा करने वाले ही इसमें ट्रेनिंग के लिए चुने जाते हैं। 12वीं पास व निश्चित ऊंचाई वाले अभ्यर्थी ही इसमें आते हैं। लेकिन मैं एक और बात कहना चाहूंगा। आम धारणा यह है कि इसमें बहुत खूबसूरत होना लाजिमी है, लेकिन हम इससे इतर बात कहते हैं। हम एक अच्छा व्यक्तित्व चाहते हैं, जो समग्रता में खूबसूरत हो, उसका सर्विस इंडस्ट्री की तरफ रुझान हो, कस्टमर से सलीके से पेश आना जानता हो।

बाकी जो कुछ रह जाता है, वह हम ट्रेनिंग में संवार देते हैं। यहां हम एविएशन इंटस्ट्री के बारे में बताते हैं, हॉस्पिटेलिटी एंड ट्रैवल की समझ डालते हैं, ग्रूमिंग व पर्सनेलिटी पर विशेष ध्यान देते हैं, कम्युनिकेशन का तो खास रोल है, इसलिए अंग्रेजी व हिन्दी को मांजते हैं। स्विमिंग अनिवार्यत: सिखाते हैं, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर उन्हें नहीं रखा जाता, जिन्हें तैरना नहीं आता। इनके अलावा, गैलीलियो व फिडेलियो जैसे पैकेज सिखाते हैं, ताकि टिकटिंग व हॉस्पिटेलिटी की जानकारी हो जाए।

इस कोर्स में आने वालों में से तकरीबन 90 प्रतिशत का तो यही कहना होता है कि यह तो उनके बचपन की ख्वाहिश थी, लेकिन मुझे लगता है कि ग्लैमर पैसा और आसान योग्यता की वजह से इस प्रोफेशन के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इसे करने के लिए स्कॉलरशिप तो नहीं है, लेकिन कुछ राज्य सरकारें कुछ विशेष उम्मीदवारों को प्रोत्साहन राशि देती हैं या उनकी ट्रेनिंग का खर्च उठाती हैं।

जहां तक प्लेसमेंट का सवाल है तो तकरीबन 85 प्रतिशत बच्चे प्लेस हो जाते हैं। लोगों में ऐसी चर्चा है कि एविएशन सेक्टर कमजोर हो रहा है, लेकिन ऐसा है नहीं। एयरलाइन्स ने भर्ती अभियान चला रखा है। यह तो लॉन्ग टर्म करियर प्रोस्पेक्ट है। इसकी मांग तो बढ़ ही रही है।

मुझे तो एयर होस्टेस ही बनना था
अनु शर्मा, एयर होस्टेस, एयर डेक्कन

मेरे एयर होस्टेस बनने के पीछे कई कारण हैं। चूंकि मेरी हाइट अच्छी है और घर वालों सहित दूसरे जानकारों का कहना था कि मैं देखने में सुंदर हूं, लिहाजा मुझे एयर होस्टेस बनना चाहिए। यह बात मुझ से इतनी बार कही गई कि मुझे लगने लगा कि सचमुच मैं एयर होस्टेस बनने के लिए ही बनी हूं। बस फिर क्या था, मैंने यही सोच लिया कि अब तो एयर होस्टेस ही बनना है। मैंने इसके बाद अपने आपको वैसा ही बनने में लगा दिया। गाजियाबाद के एक संस्थान से मैंने 2007 में डिप्लोमा किया और जल्दी ही मुझे एयर डेक्कन में नौकरी मिल गई। घर वालों और परिचितों की बात सच हो गई कि मैं तो एयर होस्टेस बनने के ही लायक हूं। आज मैं उन सबके प्रति आभार प्रकट करती हूं कि उन्होंने जो आत्मविश्वास मुझ में भरा, उसने आज मुझे मेरे मनपसंद करियर तक पहुंचा दिया।

आज आसमान की ऊंचाइयां हैं और मैं हूं अपने सपनों के साथ। चूंकि इस फील्ड में सैलरी पैकेज भी बेहतर होता है, इसलिए सफलता की मंजिल आसान व करीब हो गई है। मेरी शुरुआती सैलरी 40 हजार रुपये प्रतिमाह है, जो आज की मेरी जरूरतों व उम्मीदों के लिहाज से कम नहीं है। हर तीन साल बाद एयर होस्टेस को प्रमोशन भी मिल ही जाता है। कहने को तो लोग कहते हैं कि यह ग्लैमर की नौकरी है, जो बाद में बेरौनक हो जाती है। मेरा तो सोचना है कि भले ही एयर होस्टेस की नौकरी 10 से 12 साल तक की होती है, लेकिन जब तक है, तब तक तो बेहतर ही रहती है। बाद में क्या होगा, मैंने नहीं सोचा। मैं तो बस इतना जानती हूं कि मुझे मेरा काम पसंद है और मैं मेहनत से काम करना चाहती हूं। हवाई जहाज में मेरा काम सर्विसिंग का होता है। हमेशा चेहरे पर मुसकराहट रखनी पड़ती है। हमें तो पढ़ाई के दौरान ही इस तरह से तैयार किया जाता है कि कोई परेशानी महसूस नहीं होती। हम जानते हैं कि हमें किस तरह पैसेंजर से बिहेव करना है, कैसे मुसकराना है, ठीक से कैसे सर्विस देनी है। चंद पलों के सफर में गैर-जिम्मेदारी के साथ नहीं चला जा सकता।

मैं अपनी ट्रेनिंग व एम्पलॉयमेंट से खुश हूं। मैं चाहूंगी कि जिन लड़कियों को आसमान में उड़ते हुए बादलों से बातों करनी है, वे इस प्रोफेशन को चुनें और उनके माता-पिता को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पंख फैलाने को आसमान नहीं देंगे तो उड़ना कैसे आएगा।

(श्याम नारायण प्रसाद,हिंदुस्तान,दिल्ली,12.5.2010)

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