केंद्र सरकार ने देश के पहले राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय इंदु की स्थापना को कल सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी। उम्मीद है अगले दो वर्षो के भीतर यह विश्वविद्यालय दिल्ली के नजदीक गुड़गांव (हरियाणा) में स्थापित हो जाएगा। 294 करोड़ रुपये की लागत वाले इस विश्वविद्यालय के लिए दो सौ एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने का काम शुरू किया जा रहा है। इसके संचालन के साथ ही रक्षा क्षेत्र से जुड़े मौजूदा चार सरकारी शैक्षणिक व प्रशिक्षण संस्थान इसके तहत काम करने लगेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में यह फैसला किया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर के बांधों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत नीति बनाने के उद्देश्य से एक कानून बनाने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी है। जल संसाधन मंत्रालय के इस प्रस्ताव के मुताबिक बांध सुरक्षा अधिनियम, 2010 संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। यह विधेयक राज्यों को बांध सुरक्षा को लेकर एकीकृत नीति बनाने में मदद करेगा। बांधों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए और किसी आपातकालीन परिस्थिति में क्या होना चाहिए, इसका पूरा इंतजाम संबंधित विधेयक के जरिए किया जाएगा। बांध को क्षति पहुंचने की स्थिति में जान-माल की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी विधेयक में विस्तार से उल्लेख होगा। कानून देश के सभी बांधों की समय-समय पर सुरक्षा जांच करने की भी व्यवस्था करेगा। सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा रणनीति बनाने में मदद करेगा। संस्थान रक्षा संबंधी नीतियों पर शोध कार्य भी करेगा। विश्वविद्यालय से सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय सैन्य रणनीति, राष्ट्रीय सूचना रणनीति और राष्ट्रीय तकनीकी रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी। कैबिनेट ने गुड़गांव के बिनोला में दो सौ एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अनुमति दे दी है। बताते चलें कि कारगिल युद्ध के बाद देश की सुरक्षा स्थिति पर अध्ययन करने के लिए गठित के. सुब्रह्मण्यम समिति ने देश में इस तरह के विश्वविद्यालय की जरूरत बताई थी।
(दैनिक जागरण,14.5.2010)
(दैनिक जागरण,14.5.2010)
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