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15 मई 2010

केंद्रीय विद्यालय में कोटे से दाखिले के नए नियम

केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों की सिफारिश पर दाखिले के कोटे की बहाली के बाद सरकार ने उसके कुछ तौर-तरीकों में बदलाव कर दिया है। कोटे के तहत दाखिले तो होंगे, लेकिन उसके लिए बाकी आवेदकों का हक नहीं मारा जाएगा। अब किसी कक्षा की निर्धारित सीटों के भरने के बाद ही कोटे के तहत दाखिला दिया जा सकेगा। जबकि सरकारी कर्मियों के तबादले से जुड़े कोटे में एक साथ स्थानांतरित पति-पत्नी वाले मामलों को पहली प्राथमिकता दी जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की मौजूदगी में हुई केंद्रीय विद्यालय संगठन व मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में नए बदलावों पर मुहर लग गई है। उसके तहत अब किसी कक्षा के लिए निर्धारित छात्रों की संख्या के दायरे में कोटे के बच्चों को दाखिला नहीं दिया जाएगा। मसलन, यदि किसी कक्षा के लिए 40 सीटें निर्धारित हैं, तो कोटे के बच्चों को उसके बाद ही दाखिला दिया जा सकेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए सांसदों की सिफारिश समेत कुल 17 तरह के कोटे का प्रावधान है। यही नहीं, अब तबादला होकर आने वाले सरकारी कर्मियों के उन बच्चों को दाखिले में पहली प्राथमिकता दी जाएगी, जो पति-पत्नी एक साथ स्थानांतरित होकर आए होंगे। विकलांग बच्चों के लिए केंद्रीय विद्यालयों के सभी 18 परिक्षेत्रों में फिलहाल एक-एक आदर्श केंद्रीय विद्यालय बनाने का भी फैसला किया गया। उन विद्यालयों में विकलांग बच्चों की जरूरतों की सभी सुविधाएं होंगी। इसके साथ ही केंद्रीय विद्यालयों के संस्कृत शिक्षकों को एक निश्चित अवधि की सेवा के बाद उन्हें हिंदी शिक्षक के रूप में प्रोन्नत करने का मौका देने का भी फैसला किया गया है। संस्कृत शिक्षकों को अभी तक समुचित प्रोन्नति

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