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14 मई 2010

कुछ खास है डीयू का इकोनोमिक्स ऑनर्स कोर्स

दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉमर्स और इकोनोमिक्स का बढ़ता प्रभाव ही है कि 12वीं के नतीजों में साइंस में 90 फीसदी या उससे अधिक लाने वाले बच्चे भी डीयू कैंपस पहुंचने के बाद कॉमर्स और इकोनोमिक्स की भाषा बोलने लगते हैं। लेकिन कॉमर्स और इकोनोमिक्स का क्रेज यूं ही नहीं बना है। डीयू के डेढ़ दर्जन नामी कॉलेज से बीए इकोनोमिक्स ऑनर्स करने के बाद ही कई बड़ी-छोटी कंपनियां हाथों-हाथ लेना शुरू कर देती हैं। 12वीं पास करने वाले बच्चों की सोच में बदलाव आने लगा है। अब उनका झुकाव ऐसे कोर्स की ओर बढ़ रहा है जिसमें कम वक्त में पढ़ाई पूरी हो और नौकरी शुरू हो जाए। हालांकि इंजीनियरिंग करने वाले बच्चों को चार साल बाद नौकरी मिलने की उम्मीद रहती है, लेकिन ऐसा मेडिकल के क्षेत्र में नहीं होता है। बीते साल सीबीएसई के 12वीं के नतीजे में दिल्ली टॉपर शुभाशीष भद्रा भी साइंस स्ट्रीम के होने के बावजूद बीए इको ऑनर्स में सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लिया था। डीयू के कुछ नामी कॉलेज में बीए इको ऑनर्स में 90 फीसदी से नीचे होने पर बात नहीं बनती। इसमें श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, लेडी श्रीराम कॉलेज, मिरांडा हाउस, आईपी, हिंदू, जीसस एंड मैरी आदि कॉलेज बच्चों की पहली पसंद हैं। हर साल डीयू के नामचीन कॉलेजों में इको ऑनर्स में दाखिले के लिए कट आफ में कुछ बढ़ोतरी हो जाती है। दिल्ली विश्वविद्यालय में हर साल दो कोर्स में नामांकन के लिए जबरदस्त मारामारी रहती ह­­­ै एक कॉमर्स और दूसरा इकोनोमिक्स ऑनर्स। यहां के ज्यादातर कॉलेजों में इकोनोमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई होती है। बीए इकोनोमिक्स ऑनर्स में नामांकन के लिए कट ऑफ लिस्ट हाई जाती है। एसआरसीसी के प्राचार्य डॉ. पीसी जैन कहते हैं कि बीए इको ऑनर्स के बाद ही बच्चों की नौकरी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मिल जाती है। उन्होंने बताया कि बीते पांच सालों में इकोनोमिक्स की ओर बच्चों का रूझान जबरदस्त बढ़ा है। एक जमाना था, जब साइंस का क्रेज डीयू में सिर चढ़कर बोलता था।
(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.5.2010)

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