सन् 1962 में सीबीएसई के बनने के बाद आज पहला मौका है, जब दसवीं के छात्रों को अंक के बजाए ग्रेड मिले हैं। छात्रों को मार्कशीट की जगह ग्रेड शीट मिलेगी। न कोई होगा टॉपर और न कोई फेल। कंपार्टमेंट आने के भी झंझट से बच्चों को मिलेगी मुक्ति। बस ई-1 और ई-2 ग्रेड वालों को ऊपर के ग्रेड लाने के दो मौके प्रदान किए जाएंगे।बारहवीं के नतीजों के मुकाबले इस बार दसवीं के नतीजों में कम उत्साह नजर आ रहा है। इसकी मुख्य वजह ग्रेडिंग प्रणाली से जारी होने जा रहे नतीजे हैं। जहां औसत छात्रों को ग्रेडिंग प्रणाली का लाभ होगा, वहीं मेरिट छात्रों को इसका नुकसान भी होगा। इस बार देशभर में दसवीं और बारहवीं के १६ लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। दसवीं कक्षा की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की संख्या ९०२५१७ थी। दसवीं बोर्ड में इस बार ८१० विकलांग छात्रों ने हिस्सा लिया। अगली कक्षा में जाने के लिए छात्र को कम से कम डी ग्रेड लाना ही पड़ेगा।
दसवीं कक्षा में ए, बी, सी, डी के इस नए गणित में ई ग्रेड पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा की कसौटी से गुजरना होगा। दसवीं में तय इस सिस्टम में ई ग्रेड ४० से कम प्रतिशत पाने वाले छात्रों के लिए है। मतलब इन छात्रों को अगली कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी और इन्हें योग्यता प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जाएगा। एक ओर हिसाब किताब अंकों वाला ही है। मतलब पास प्रतिशत नहीं पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा देनी होगी।
ई १ और ई २ ग्रेड पाने वाले छात्रों को पांच प्रयासों से अपने प्रदर्शन में सुधार दिखाना होगा तभी उन्हें अगली कक्षा के लिए योग्यता प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके अलावा जिन छात्रों ने अतिरिक्त विषय लिया हुआ है, उन्हें डी ग्रेड लाने के साथ ही अतिरिक्त विषय को भी पास करना जरूरी होगा। अगले प्रयासों में शामिल होने के लिए छात्र को पंजीकरण कराना जरूरी होगा। पंजीकरण न कराने की स्थिति में छात्र को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।
* ९१ से १०० प्रतिशत : ए १
* ८१ से ९० प्रतिशत : ए २
* ७१ से ८० प्रतिशत : बी १
* ६१ से ७० प्रतिशत : बी २
* ५१ से ६० प्रतिशत : सी १
* ४१ से ५० प्रतिशत : सी २
* ३३ से ४० प्रतिशत : डी
* २१ से ३२ प्रतिशतः ई १
* २० व इससे कम प्रतिशत : ई २
दसवीं कक्षा में ए, बी, सी, डी के इस नए गणित में ई ग्रेड पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा की कसौटी से गुजरना होगा। दसवीं में तय इस सिस्टम में ई ग्रेड ४० से कम प्रतिशत पाने वाले छात्रों के लिए है। मतलब इन छात्रों को अगली कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी और इन्हें योग्यता प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जाएगा। एक ओर हिसाब किताब अंकों वाला ही है। मतलब पास प्रतिशत नहीं पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा देनी होगी।
ई १ और ई २ ग्रेड पाने वाले छात्रों को पांच प्रयासों से अपने प्रदर्शन में सुधार दिखाना होगा तभी उन्हें अगली कक्षा के लिए योग्यता प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके अलावा जिन छात्रों ने अतिरिक्त विषय लिया हुआ है, उन्हें डी ग्रेड लाने के साथ ही अतिरिक्त विषय को भी पास करना जरूरी होगा। अगले प्रयासों में शामिल होने के लिए छात्र को पंजीकरण कराना जरूरी होगा। पंजीकरण न कराने की स्थिति में छात्र को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।
* ९१ से १०० प्रतिशत : ए १
* ८१ से ९० प्रतिशत : ए २
* ७१ से ८० प्रतिशत : बी १
* ६१ से ७० प्रतिशत : बी २
* ५१ से ६० प्रतिशत : सी १
* ४१ से ५० प्रतिशत : सी २
* ३३ से ४० प्रतिशत : डी
* २१ से ३२ प्रतिशतः ई १
* २० व इससे कम प्रतिशत : ई २
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