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18 मई 2010

यूपी में कॉलेज शिक्षकों के संस्वीकृत पद और मौजूदा स्थिति

उत्तरप्रदेश के विश्वविद्यालयों, राजकीय व अनुदानित कालेजों में शिक्षकों की कमी का संकट दूर नहीं हो रहा है। नया शैक्षिक सत्र शुरू होने को है और प्रदेश में उच्च शिक्षा से जुड़े ये शिक्षण संस्थान शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 32 फीसदी पद खाली हैं। वहीं राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के 38 प्रतिशत व अनुदानित कालेजों में 20 फीसदी पद रिक्त हैं। सूबे के राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 1634 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 524 खाली हैं। लखनऊ विवि में प्रोफेसर के 59 में से 32, रीडर के 135 में से 47 व लेक्चरर के 322 में से 82 पद रिक्त हैं। बरेली विवि में प्रोफेसर के सात में से चार, रीडर के 28 में से 12 व लेक्चरर के 40 में से 14 पद खाली हैं। आगरा विवि में प्रोफेसर के 19 में से 10, रीडर के 21 में से 10 व लेक्चरर के 70 में से 20 पद खाली हैं। झांसी विवि में प्रोफेसर के सात में से तीन, रीडर के 16 में से छह व लेक्चरर के 28 में से पांच पद रिक्त हैं। कानपुर विवि में प्रोफेसर के आठ में से तीन, रीडर के नौ में से दो और लेक्चरर का एक पद खाली है। जौनपुर विवि में प्रोफेसर के 12 में से नौ, रीडर के 23 में से 14 व लेक्चरर के 40 में से आठ पद रिक्त हैं। गोरखपुर विवि में प्रोफेसर के 34 में से 25, रीडर के 77 में से 21 व लेक्चरर के 250 में से 81 पद रिक्त हैं। फैजाबाद विवि में प्रोफेसर के सात में से पांच, रीडर के 17 में से छह व लेक्चरर के तीन पद खाली हैं। वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भी शिक्षकों की कमी है। राजकीय महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी का सर्वाधिक संकट है। सूबे के 134 राजकीय महाविद्यालयों में विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों के कुल 2239 पद सृजित हैं जिनमें से वर्तमान में 856 पद रिक्त हैं। वहीं प्रदेश के 335 अनुदानित कालेजों में शिक्षकों के लिए सृजित 15148 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 3768 पद खाली हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी का असर पढ़ाई की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। वर्ष 2009-10 के दौरान प्रदेश के सभी राजकीय व अनुदानित कालेजों में पढ़ने वाले कुछ विद्यार्थियों की संख्या 1995077 थी जबकि इनमें स्वीकृत 13511 में से सिर्फ 10637 पदों पर ही शिक्षकों की तैनाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो इन कालेजों में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:187 है जो कि मानक से कई गुना ज्यादा है।
(दैनिक जागरण,लखनऊ,18.5.2010 में राजीव दीक्षित की रिपोर्ट)

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