देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने और छात्रों की नामांकन दर में बढ़ोतरी के मकसद से गठित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की समिति ने आयोग को अपनी सिफारिशें सौंप दी है। समिति ने कहा है कि कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक साल में 180 दिन और रोजाना कम से कम पांच घंटे उपलब्ध रहें। यूजीसी की संयुक्त सचिव रेणु बत्रा ने दिल्ली में कहा कि आयोग ने विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षक-छात्र अनुपात और शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के संबंध में मापदंड निर्धारित करने के लिए पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.के.ए. तरीन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि स्थायी शिक्षकों को विश्वविद्यालयों में रोजाना कम से कम पांच घंटे, सप्ताह में 40 घंटे और साल में 180 शैक्षणिक दिन उपलब्ध रहना चाहिए। समिति ने केंद्रीय और डीम्ड विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षक-छात्र अनुपात की व्यवस्था देते हुए कहा कि विज्ञान संकाय में यह अनुपात 1:10, मानविकी व प्रबंधन संकाय में 1:15 और मीडिया व पत्रकारिता विभाग में 1:10 होना चाहिए। स्नातक स्तर पर सामाजिक विज्ञान संकाय में इसे 1:30, विज्ञान में 1:25, मीडिया एवं पत्रकारिता में इस अनुपात को 1:15 और बीएड में इसे एनसीटीई के मापदंडों के अनुरूप बनाने की सिफारिश की है।
(दैनिक जागरण,दिल्ली,13.5.2010)
(दैनिक जागरण,दिल्ली,13.5.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।