मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

18 मई 2010

म्यूजियम क्यूरेटर के तौर पर करियर

म्यूजियम क्यूरेटर के रूप में काम करने के लिए इतिहास में दिलचस्पी होना जरूरी है। साथ ही, पुरानी वस्तुओं के रख-रखाव का तरीका भी आता हो। इससे आगे की राह काफी आसान हो जाती है। म्यूजियम में पुरातन धरोहरों को संभालने की जिम्मेदारी क्यूरेटर की ही होती है।
अगर आपकी दिलचस्पी इतिहास, धरोहर और चीजों को सहेजकर रखने में है, तो म्यूजियम आपके लिए रोजगार की बेहतर जगह साबित हो सकती है। यहां आप 'म्यूजियम क्यूरेटर' के रूप में काम कर सकते हैं। 'म्यूजियम क्यूरेटर' बनना अपने आप में अलग अनुभव है। रोजगार के कई पारंपरिक क्षेत्रों से बिल्कुल अलग। हालांकि इस फील्ड में भाग्य आजमाने के लिए आपके पास प्रफेशनल डिग्री का होना जरूरी है। 'म्यूजियम क्यूरेटर' का काम अलग तरह का होता है। ये लोग हमेशा सांस्कृति से जुड़ी चीजों के साथ काम करते हैं, जैसे - पुराने सिक्के, शिल्प कृति या फिर आर्ट के दूसरे रूप। इसके अलावा, म्यूजियम में आने वाले लोगों को इनके विषय में सूचना देना व शिक्षित करना भी इनकी जिम्मेदारी होती है।
अपनी सभ्यता, संस्कृति और विकास के बारे में जानने की इच्छा हर किसी की होती है। अमूमन सभी लोग जानना चाहते हैं कि इनसान की विकास यात्रा किस तरह आगे बढ़ी? बात तब और अधिक दिलचस्प हो जाती है कि जब मनपसंद शौक से जुड़ी अच्छी जॉब भी मिल जाए। म्यूजियम क्यूरेटर एक ऐसा ही फील्ड है।

जिम्मेदारियां

म्यूजियम क्यूरेटर को कई सारे काम करने होते हैं। मसलन, कला कृतियों का चुनाव, खरीदारी, रिकार्ड मेंटेन करना, डिस्प्ले और एग्जिबिशन, बजट मैनेजमेंट, म्यूजियम व उसकी कलाकृतियों की पब्लिसिटी, फंड का प्रबंध, स्टाफ सुपरवाइजिंग, पीआर, मार्केटिंग आदि।

योग्यता

अब बात म्यूजियम क्यूरेटर बनने के लिए जरूरी योग्यताओं की। क्यूरेटर की शैक्षिक योग्यता दरअसल म्यूजियम के प्रकार पर निर्भर करती है। जिस फील्ड का म्यूजियम है, उसी बैकग्राउंड के क्यूरेटर की वहां डिमांड होती है। उसी फील्ड में अमूमन मास्टर डिग्री होल्डर को वहां रखा जाता है, जबकि कुछ जगहों पर पीएचडी की मांग भी होती है। संबंधित विषय से पीजी करने के लिए ग्रेजुएशन के साथ वर्क एक्सपीरियंस का होना भी जरूरी होता है। एक्सपीरियंस प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है कि किसी सीनियर के साथ काम किया जाए। वैसे, ज्यादातर म्यूजियम्स में प्रफेशनल ट्रेनिंग होल्डर्स को ही प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि म्यूजियम का रख-रखाव बेहद संवेदनशील काम होता है। एक छोटी-सी गलती बरसों पुरानी धरोहरों को नष्ट कर सकती है।

संभावनाएं

देश के किसी भी म्यूजियम में आपको मौका मिल सकता है। ये राष्ट्रीय , राजकीय या स्थानीय स्तर के हो सकते हैं। नैशनल म्यूजियम्स को केंद्र सरकार फंड देती है , जबकि रीजनल और लोकल म्यूजियम्स की आमदनी का जरिया स्थानीय संस्थाएं होती हैं। इनके अलावा , यूनिवर्सिटी म्यूजियम , इंडिपेंडेंट व स्पेशल म्यूजियम्स में भी जॉब मिल सकती है।

आमदनी

एक क्यूरेटर को शुरुआती दौर में 16 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह और सीनियर क्यूरेटर को 25 से 35 हजार रुपये प्रतिमाह तक मिल सकते हैं। बेहतरीन परफर्मेंस के आधार पर कोई क्यूरेटर उस म्यूजियम का डायरेक्टर भी बन सकता है।
(दैनिक नवज्योति,13 मई,2010)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।