मंदी की मार छंट चुकी है। छटनियां रुक चुकी हैं और कंपनियों में भर्तियों को लेकर जोश पूरे शबाब पर है। जिधर देखें उधर नौकरियों की बाहर का शोर सुनाई देने लगा है। सुस्ती के बाद यादातर कंपनियों ने कर्मचारियों की बहाली शुरू कर दी है। जाहिर है ये उन लोगों के लिए बेहतर रास्ता हो सकता है, जो बीते कुछ सालों से एक ही सैलरी पर काम कर रहे थे। उन्हें लग रहा होगा कि जब अवसर उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है तो क्यूं न नौकरी में फेरबदल कर देखें। नौकरी बदलने का विचार तो आखिर इसीलिए आता है कि अच्छी कमाई हो तो भविष्य के लिए कुछ धन भी जुटाए जाएं। खाने-घूमने पर ही सब खर्च हो जाए तो फिर नौकरी करना या नहीं करना, बात तो बराबर ही होगी न। आमतौर पर नई नौकरी वाइन करने पर 30 से 40 फीसदी के सेलरी बढ़ोतरी हो जाती है। इसलिए अगर ऐसे नौकरीपेशा अपनी इस बढ़ी हुई सेलरी में से निवेश की योजना बनाएं, तो ये काम काफी आसान हो जाएगा। पर ऐसा तभी कर पाएंगे, जबकि आपकी सेलरी 30 से 40 फीसदी बढ़ ही जाए। एक बात जेहन में रखें कि आप जो भी भागदौड़ करते हैं, वो सेलरी के लिए ही होती है।
कंपनी के बारे में पता करें
अगर आप नई नौकरी वाइन कर रहे हैं, तो सबसे पहले नई कंपनी से सैलरी के बारे में ठीक से बात करें। आप जिस भी कंपनी में आवेदन कर रहे हैं, वहां के ऑफर को ध्यान से देखें। जब आपको ये यकीन हो जाए, कि आपकी सेलरी में बढ़त हो रही है, तभी कंपनी बदलने का फैसला करें। इसके लिए इंटरव्यू के दौर से ही योजना बनानी होगी। अगर आपने कंपनी बदलने की पूरी योजना बना ली है, तो सबसे पहले अपनी सेलरी के बारे में आकलन करें। अपने सेलरी के सारे मदों को एक जगह लिखकर जोड़ें। आपको वर्तमान नौकरी में कितना वेतन मिलता है, इसके साथ जो भी दूसरे अलाउंस मिलते हैं उनकी भी गिनती कर लें ताकि नई जगह आपको जो सुविधाएं ऑफर की जाएं उनसे तुलना कर सकें। इसके अलावा बाजार को भी जेहन में रखें। जानें कि दूसरी जगहों पर आपकी योग्यता वाले व्यक्ति को कितनी सेलरी मिल रही है। इसी आधार पर नई कंपनी में अपनी सेलरी की बात करें। नहीं तो मुश्किल भी आ सकती है।
योग्यता का रखें ख्याल
नई नौकरी में आप कंपनी के ऑफर को स्वीकार करने में बहुत तेजी न दिखाएं। कोई भी निर्णय लेने से पहले हर चीज पर गौर करें। अगर इंटरव्यू के दौरान सेलरी से यादा उस कंपनी और काम में अपनी दिलचस्पी दिखाएं। सामान्य तौर पर सेलरी में 30 से 40 फीसदी के बढोतरी की उम्मीद की जाती है। पर इसकी मांग करते समय अपनी योग्यता का ध्यान भी रखें। इसके साथ ही बहुत यादा कंजर्वेटिव होने की भी जरूरत नहीं है। मतलब अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें। साथ ही खुद पर भरोसा रखें और किसी से अपने को कमतर न आंके। नया होने पर हो सकता है आपको सेलरी पर बातचीत का उतना खुला मौका न मिले। फिर भी अपने पर भरोसा रखें। सेलरी पर बातचीत हमेशा शांत होकर करें। इसे अपने अहम का मुद्दा न बनाएं। सेलरी आपकी जरूरत से यादा कंपनी की क्षमता पर निर्भर करती है। कई बार नौकरी बदलने के बाद भी मन मुताबिक सेलरी नहीं मिल पाती है। कंपनियां आपकी सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी कर देती हैं। इसलिए इसको भी जेहन में रखें(देशबन्धु,15 मई,2010)
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