देश में इस वक्त नर्सों की बेहद की कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल हर तीन डाक्टर के अनुपात में सिर्फ दो नर्से ही हैं। इस स्थिति को जल्द दुरुस्त करने की जरूरत को खुद मंत्रालय ने भी माना है। इसीलिए आने वाले कुछ सालों में करीब दस लाख नई नर्से तैयार करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत अगले दो साल में सभी जिलों में नर्सिग प्रशिक्षण संस्थान शुरू किया जाएगा। राजधानी में राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि नर्सो की कमी को तेजी से दूर करने के लिए मंत्रालय ने कई स्तर पर कदम उठाए हैं। इसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों में नर्स और सहायक नर्स दाई (एएनएम) के प्रशिक्षण के लिए कुल 269 नए स्कूल खोले जाएंगे। इनमें से 132 स्कूल एएनएम के प्रशिक्षण के लिए और 137 स्कूल नर्सो के प्रशिक्षण के लिए होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय की तैयारी है कि अगले दो साल में देश के हर जिले में कम से कम एक नर्सिग स्कूल खुल जाए। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में नर्सो की उपलब्धता में भारी फर्क भी दूर हो सकेगा। नर्सो की कमी दूर करने के इरादे से राज्य नर्सिग परिषदों को मजबूती दी जा रही है। राज्य स्वास्थ्य निदेशालय के तहत नर्सिग इकाई की भी स्थापना की जा रही है। आजाद ने बताया कि विवाहित महिलाओं को भी नर्सिग पाठ्यक्रम में दाखिला लेने की इजाजत दे दी गई है। पहले इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए महिला का अविवाहित होना अनिवार्य था। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में नर्सो की कमी को दूर करने के लिए तेजी से नियुक्तियां की जा रही हैं। इस योजना के तहत पिछले पांच साल के दौरान 75 हजार नर्स और एएनएम की भर्ती हो चुकी हैं।
(दैनिक जागरण,13.5.2010)
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