भोपाल स्थित माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान जुलाई 2010 से पर्यावरण विज्ञान संचार में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा तथा प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम प्रारंभ करने जा रहा है। इसके लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि के साथ मिलकर सप्रे संग्रहालय ने कम्युनिटी कॉलेज की स्थापना की है। मप्र में इस प्रकार का यह पहला कोर्स होगा। यह जानकारी सप्रे संग्रहालय के संस्थापक एवं संयोजक विजयदत्त श्रीधर एवं इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक केएस तिवारी ने दी। उन्होंने बताया कि सप्रे संग्रहालय-इग्नू कम्युनिटी कॉलेज का जोर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में नवाचार पर रहेगा। पर्यावरण विज्ञान संचार की समझ और हुनर को निखारने के लिए अनुभव-समृद्ध प्रकृति चिंतकों के सानिध्य में उपर्युक्त पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाएगा। डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक वर्ष का होगा, जिसके लिए न्यूनतम प्रवेश योग्यता किसी भी विषय में स्नातक उपाधि होगी। इसके लिए कुल 40 सीटें निर्धारित की गई हैं। सर्टिफिकेट कोर्स छह माह का होगा, जिसकी प्रवेश योग्यता हायर सेकेंड्री रखी गई है। इसके लिए 60 सीटें निर्धारित हैं। इस परियोजना में विद्वान प्राध्यापकों द्वारा कक्षा-अध्ययन तथा सिद्ध पुरुषों के साथ अनुभव और अनुभूति पर आधारित व्यावहारिक ज्ञान-दीक्षा के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। हमारी कोशिश सुदूर ग्रामों में कार्यरत आंचलिक संवाददाताओं से लेकर मीडिया के मुख्यालयों में पदस्थ संवाददाताओं, उप संपादकों, स्तंभकारों और विज्ञान लेखकों के साथ इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से ऐसा सार्थक संवाद विकसित करने की है, जिससे विज्ञान और प्रोद्योगिकी से संबंधित समाचारों, रिपोर्ट्स, खोजी खबरों, आलेखों तथा अन्य साहित्यिक एवं लोक विधाओं इत्यादि संप्रेषण के बहुविध आयामों की लोकप्रिय शैली और सलीका विकसित हो सके। अध्ययन-अध्यापन, संगोष्ठी, कार्यशाला, अंतरसंवाद और परीक्षा कार्यक्रम सपे्र संग्रहालय भवन में संचालित होंगे और प्रायोगिक परीक्षा प्रकृति की गोद में, घटना स्थलों पर, प्रयोगशाला में होगी। इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने का हमारा उद्देश्य हुनरमंद विज्ञान संचारक तैयार करना है और इसके लिए काफी कम फीस रखी गई है। उन्होंने बताया कि इस कोर्स के बाद आने वाले समय में अनुवाद, फीचर राइटिंग, एडिटिंग, प्रूफ रीडिंग, क्रिएटिव राइटिंग, साक्षात्कार और बौद्धिक संपदा अधिकार पर आधारित कोर्स को भी प्रारंभ किए जाने पर विचार किया जा रहा है।(दैनिक जागरण,भोपाल,18.5.2010)
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