बीएड के बाद अब बीटीसी। बीएड में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के मानकों के बारे में अनभिज्ञ रही उत्तरप्रदेश सरकार ने अब बीटीसी दाखिले को लेकर अपने ही नियमों की अनदेखी की है। बीटीसी की भर्ती के सिलसिले में 14 मई को जो शासनादेश जारी हुआ है, यदि उस पर अक्षरश: अमल हो गया तो हो सकता है कि दो साल का यह प्रशिक्षण हासिल करने के बाद कई सफल अभ्यर्थी सरकार के नियम के मुताबिक शिक्षक बनने से ही वंचित रह जाएं। राज्य में इस वर्ष बीटीसी के लिए दाखिले शुरू होने से पहले ही शिक्षकों की भर्ती की इस प्रक्रिया में नया पेंच फंस गया है। यह पेंच फंसा है शासन द्वारा अपने ही नियमों की अनदेखी करने से। बीटीसी-2010 में प्रवेश के लिए शासन ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए जो आयु सीमा तय की है, उसके मुताबिक पहली जुलाई 2010 को उनकी उम्र 21 वर्ष से कम और 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। 35 वर्ष के करीब पहुंच चुके सामान्य वर्ग के किसी अभ्यर्थी का यदि मेरिट लिस्ट के अनुसार चयन हो जाता है तो उसे दो वर्ष की बीटीसी ट्रेनिंग करनी होगी। ट्रेनिंग के बाद उसकी उम्र 37 साल के करीब हो जाएगी। वहीं दूसरी ओर अध्यापक सेवा नियमावली, 1981 के मुताबिक प्राथमिक विद्यालयों में सामान्य वर्ग के सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अधिकतम आयु 35 वर्ष ही है। जाहिर है कि नियमावली के मुताबिक ऐसे अभ्यर्थी ट्रेनिंग पाने के बाद मौजूदा नियम के तहत नियुक्ति के लिए अनुपयुक्त करार दे दिये जाएंगे। शासनादेश की इस विसंगति को लेकर नया बखेड़ा शुरू हो गया है। बेसिक शिक्षा परिषद ने इस बारे में राजकीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को पत्र लिखकर इस तथ्य की ओर उसका ध्यान आकर्षित कराया है। बहरहाल, अपने ही नियमों की अनदेखी से उपजी इस परिस्थिति में शासन के पास दो ही विकल्प हैं।
(दैनिक जागरण,लखनऊ,18.5.2010)
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