वर्षों पुरानी आडिट आपत्तियों के निराकरण के लिए राज्यपाल द्वारा लगाया गया शिविर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के लिए सौगात भरा दिख रहा है। खासकर अठारह वर्षों से अपनी नौकरी के लिए चिंतित तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को काफी राहत मिल सकती है। आधा सैकड़ा से अधिक पद इस शिविर में नियमित किए जा सकते हैं। करीब डेढ़ हजार आपत्तियों का ढेर लेकर पिछले तीन दिन से बैठी आडिट की टीम अब तक लगभग तीन सौ प्रकरणों का निराकरण कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो करीब पांच सौ प्रकरण और भी निपट सकते हैं, लेकिन विवि को सबसे बड़ा फायदा अनियमित पदों को लेकर होने की उम्मीद है। जानकारी के अनुसार 1992 के बाद शासन ने स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों के अलावा नए विभाग भी मंजूर कर दिए। इनके लिए शासन ने शैक्षणिक पद तो स्वीकृत कर दिए, लेकिन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद शासन की सक्षम स्वीकृति के बगैर ही चल रहे हैं। इसके चलते हर महीने इनके प्रोवीजनल वेतन पर आडिट द्वारा आपत्ति लगा दी जाती है। वहीं राज्य शासन से भी प्रमाण पत्र लेने की जरूरत रहती है। शिविर में आए अधिकारियों ने विवि के बढ़े हुए कार्यक्षेत्र, प्रायवेट कालेजों की संख्या, संबद्धता प्रकरण आदि को देखते हुए इन पदों को भी जरूरी माना है। इसके चलते पिछले अठारह सालों में अनियमित बने सारे प्रकरणों को नियमित करने पर भी सहमति बनती दिखने लगी है। हालांकि वर्ष 1994 से 98 के बीच रखे गए 140 कर्मचारियों को लेकर अभी भी विवि को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इनके लिए विवि को राज्य शासन से अनुमति लेना ही होगी। विवि ने कई बार इसका प्रस्ताव भेजा था, लेकिन हमेशा ही इसे नामंजूर कर दिया जाता था। (दैनिक जागरण,भोपाल,14.5.2010)
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