बीआइटी मेसरा व यूएस के हार्वे मड कॉलेज (एचएमसी) के बीच करार हुआ है. इसके तहत बीआइटी व एचएमसी के कुछ चुने हुए विद्यार्थी एक दूसरे के संस्थानों में जाकर वहां उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर प्रोजेक्ट तैयार करेंगे. इन विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट के लिए कुछ वैसा ही वास्तविक माहौल मिलेगा, जैसा मेडिकल के विद्यार्थियों को प्रयोग के दौरान मिलता है. इसलिए इस कार्यक्रम को ग्लोबल क्लिनिक प्रोग्राम नाम दिया गया है. इसमें वैसे प्रोजेक्ट चुने जायेंगे, जो वैश्विक महत्व के हो. क्लाइमेट चेंज कार्यक्रम के तहत भारत के सोलर मिशन कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए पहला प्रोजेक्ट स्मॉल स्केल थर्मल इनर्जी स्टोरेज अप्रोचेज पर आधारित होगा. करार के तहत एचएमसी के दो विद्यार्थी एंड्रयू जू व जेनिफर ली इन दिनों बीआइटी के दौरे पर हैं. 15 मई को यहां पहुंचे दोनों लोग यहां पांच जून तक रहेंगे. इसके बाद बीआइटी के अंतिम वर्ष के तीन छात्र सिद्धार्थ मेनन, सिद्धार्थ मुरारका व अभिषेक सदाने तीन सप्ताह की यात्रा (6-25 जून) पर यूएस जायेंगे. एचएमसी में ग्लोबल क्लिनिक कार्यक्रम के निदेशक डॉ लिसेटे डी-पेलिस व बीआइटी के कुलपति प्रो पीके बरहई ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी. कुलपति ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए बीआइटी को अपने पूर्व छात्र व आरपीएन ग्लोबल टेक्नोलोजीज कनाडा के संचालक आरपी सिंह का सहयोग मिला है. दोनों संस्थानों को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से कई विशेष व नये प्रोजेक्ट निर्माण में सफलता मिलेगी. संवाददाता सम्मेलन में एचएमसी के डॉ गॉर्डन पिकेट, दोनों संस्थानों के सभी पांच विद्यार्थी व बीआइटी की प्रो मंदिरा मुखर्जी भी उपस्थित थी.
क्या करेंगे विद्यार्थी :
ग्लोबल क्लिनिक कार्यक्रम के तहत एक दूसरे के संस्थान पहुंचे विद्यार्थी वहां अपने प्रोजेक्ट से संबंधित समस्याएं विस्तार से बतायेंगे व टीम वर्क का कौशल सीखेंगे. इसके अलावा शोध का तरीका, अपने प्रोजेक्ट के विभिन्न पहलुओं को समझना, एक प्लान पर सहमति, प्रोजेक्ट के विकल्प पर चर्चा, एक दूसरे से रिजल्ट शेयर करना, प्रोजेक्ट शिडय़ूल तैयार करना, डिजाइन पर अंतिम निर्णय व प्रोजेक्ट की लागत तय करना भी विद्यार्थियों के जिम्मे होगा, जिसे वह संस्थान के विशेषज्ञों की सहायता से अंजाम देंगे(प्रभात खबर,रांची,25.5.2010).
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