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31 मई 2010

शिक्षकों की अनिवार्य योग्यता में ढील का प्रस्ताव

सरकार देश में करीब 12 लाख शिक्षकों की कमी को देखते हुए उनकी नियुक्ति के लिए योग्यता की शर्तों में छूट देने पर विचार कर रही है। नियुक्त होने वाले शिक्षकों को तय समयसीमा में योग्यता हासिल करनी होगी। ऐसा नहीं कर पाने वालों की छुट्टी कर दी जाएगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि देश में शिक्षकों की भारी कमी है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘प्रशिक्षित’ शिक्षकों को नियुक्त करना महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए एक ऐसी योजना का प्रस्ताव किया गया है जिसके तहत केंद्र और राज्य-स्तरीय स्कूलों में न्यूनतम पात्रता के आधार पर तीन या पांच वर्ष की एक निर्धारित अवधि के लिए शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा और इस दौरान उन्हें जरूरी पात्रता हासिल करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से नियुक्त किए गए शिक्षकों को पढ़ाने का ‘अनुभव’ भी मिल जाएगा और वे जरूरी ‘शिक्षक प्रशिक्षण डिग्री’ से भी लैस हो जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के इस प्रस्ताव को लागू करने से प्रशिक्षित अनुभवी शिक्षकों का एक बड़ा समूह तैयार हो जाएगा। बहरहाल, उन्होंने कहा कि निर्धारित अवधि में जरूरी पात्रता नहीं हासिल करने वाले शिक्षक पद से हटाए जा सकेगे। देश में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून हालांकि एक अप्रैल को ही लागू कर दिया गया है लेकिन कई राज्यों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने भी देश में 12 लाख शिक्षकों की जरूरत बताई है और राज्यों से इस दिशा में प्रयास करने को कहा है।
उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने शिक्षकों की कमी और आरटीई को लागू करने के लिए धन की कमी जैसे विषयों पर मानव संसाधान विकास मंत्री कपिल सिब्बल से चर्चा की है(दैनिक ट्रिब्यून,31 मई,2010)।

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