यह सही है कि आपदा प्राकृतिक हो या मानवजनित, विनाश ही करती है। भूकंप, बाढ़ के अलावा आतंकवादी हमले और दंगों से होने वाली क्षति को पूरी तरह टाला तो नहीं जा सकता लेकिन इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। आपदा प्रबंधन के जानकारों की जरूरत सरकारी संस्थानों से लेकर निजी या स्वयंसेवी संस्थाओं तक होती है। दुनिया भर में जिस आंधी रफ्तार से विकास हो रहा है उससे आपदाओं की संभावना भी बढ़ गई है। किसी भी बड़े निर्माण की शुरुआत के वक्त ही उससे होने वाले संभावित नुकसान का खाका तैयार करके रख लिया जाता है और इसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जाती है। चूंकि यह विषय अभी दीगर विषयों की तरह लोकप्रिय नहीं हुआ है लिहाजा यहां रोजगार की संभावनाएं अधिक हैं। आपदा प्रबंधों का इस्तेमाल सिर्फ बड़े प्राकृतिक हादसों के लिए नहीं होता बल्कि आतंकवादी घटनाओं और दंगों के दौरान भी इनकी मदद ली जाती है।
आपदा प्रबंधन को व्यावसायिक शिक्षा की शक्ल में देखा जाए तो इसे तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। इसके लिए स्नातकोत्तर सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। कुछ संस्थाएं पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स कराती हैं। इसके अलावा इस विषय में एमबीए भी कर सकते हैं। सीबीएसई ने तो इसे अपने 10+2 पाठ्यक्रमों में शामिल किया है। इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन यूनिवर्सिटी ने पहली बार छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है। इस क्षेत्र में काम करने वाले आमतौर पर विभिन्न कार्य क्षमता के मुताबिक बंटे रहते हैं। प्रबंधन के कामों में रिस्क एंड बिजनेस क्वालिटी मैनेजमेंट का पद होता है। इनके जिम्मे संस्थान के आंतरिक खतरों के बारे में जानकारी रखना और नुकसान का संभावित आकलन करना होता है। आपातकालीन नियोजक की भूमिका ज्यादा जिम्मेदारियों से भरी होती है जिसे किसी भी काम या कार्यक्षेत्र में कौन-सी आकस्मिकता और दुर्घटनाएं संभावित हैं, इनका आकालन करना होता है। राहत और विकास से जुड़े लोगों का काम हादसों के बाद शुरू होता है। किसी आपदा के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य कैसे-कैसे शुरू किया जाए, यह इन्हीं लोगों द्वारा तय किया जाता है। यह केवल तात्कालिक राहत के बारे में ही नहीं सोचते बल्कि लोगों को ïज्यादा दिन तक राहत शिविरों में रखा गया तो उनकी बुनियादी जरूरतों, बच्चों की शिक्षा जैसे मसले भी तय करते हैं। इनके अलावा आपदा से नुकसान का आकलन करने वाले भी होते हैं।
इस क्षेत्र में आने वालों को यह सोचना पड़ेगा कि यह सिर्फ करिअर बनाने का •ारिया नहीं है। जो युवक सिर्फ नौकरी करने का भाव लेकर यहां आना चाहते हैं उनके लिए यही बेहतर होगा कि वे किसी अन्य क्षेत्र में जाएं। यह क्षेत्र आपसे सेवाभाव की मांग करता है। दूसरे के प्रति सद्भाव करने वाले मेहनती व कुशल बुद्धि के लोगों के लिए यह सबसे अच्छा क्षेत्र है। सरकारी संस्थाओं में तो इससे जुड़े हुए पद होते हैं, साथ ही कई बड़ी स्वयंसेवी संस्थाएं अच्छे वेतन पर इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को रखती हैं। सुनामी हादसे के बाद से सरकार ने आपदा प्रबंधन समिति बनाई है और इस विषय को अनिवार्य बनाया है।
तकनीकी शिक्षा प्राप्त लोगों के लिए यह एक अच्छा क्षेत्र है। यहां काम करते-करते आप आपदा से निपटने के लिए साफ्टवेयर भी बना सकते हैं। इस क्षेत्र में काम न केवल बड़े शहरों में बल्कि छोटे शहरों तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में विदेशों में जाकर काम करने के अनेक अवसर हैं। प्रमुख शिक्षण संस्थान निम्र हैं-:
1. नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, दिल्ली
2. डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट, भोपाल
3. सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे
4. नेशनल सिविल डिफेंस कालेज, नागपुर
5. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
(खुशदीप मोठसरा,दैनिक ट्रिब्यून,12 मई,2010)
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