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11 जून 2010

महाराष्ट्र में 11वीं में एडमिशन पर हाईकोर्ट का स्टे

मुंबई हाईकोर्ट ने इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन एग्जामिनेशन (आईसीएसई) बोर्ड की परीक्षा देने वाले कुछ विद्यार्थियों के पालकों द्वारा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में 11 वीं में एडमिशन पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है।

क्या है विवाद की जड़ :-
महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग ने 25 फरवरी 2010 को एक आदेश जारी किया है। इसके तहत राज्य में इस वर्ष ‘बेस्ट ऑफ फाइव’ फामरूले के तहत ११वीं में एडमिशन दिया जायेगा। ‘बेस्ट ऑफ फाइव’ के तहत महाराष्ट्र बोर्ड की सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी-10वीं) की परीक्षा में पास हुए विद्यार्थी ने जिन पांच विषयों में सबसे अधिक अंक पाये होंगे। उसे आधार मान उसके रिजल्ट का प्रतिशत तय किया जायेगा। महाराष्ट्र सरकार ने यह फामरूला सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की अंक देने की उदार नीति के मद्देनजर अमल में लाया है। चूंकि यह सुविधा आईसीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों को नहीं दी गई है। लिहाजा उनके पालकों ने इसे मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है।

क्या कहा अदालत ने :-
मुंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जे.एन. पटेल और एस.सी. धर्माधिकारी ने राज्य सरकार के एसएससी बोर्ड को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है। ‘बेस्ट ऑफ फाइव’ की सुविधा आईसीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों को क्यों नहीं दी गई? इस बारे में स्पष्टीकरण देने को भी राज्य सरकार को कहा गया है। मुंबई हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मसले पर सुनवाई के दौरान किसी प्रकार के संदेह की स्थिति न रहे इसके लिए साफ-साफ शब्दों में कहा है कि एडमिशन की प्रक्रिया बिना अदालत की अनुमति से शुरू न की जाये। अब 18 जून को फिर से इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि तब तक राज्य सरकार ११वीं के एडमिशन के मुद्दे पर कोई न कोई राह निश्चित ही निकाल लेगी(Dainik Bhaskar,10.6.2010)।

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