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11 जून 2010

सुपर-30 बनेगा सुपर-60

पैसे के अभाव में आईआईटी कॉलेज में पढ़ने का सपना पाले कुछ और गरीब छात्रों को जल्द ही आईआईटी कैंपस जाने का मौका मिलेगा। सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार अब जल्द ही सुपर-30 को सुपर-60 बनाने जा रहे हैं। वह 30 छात्रों की जगह 60 गरीब छात्रों को प्रतिवर्ष अपने कोचिंग में जगह देंगे। इसके लिए आनंद कुमार ने कानपुर, बनारस, गोरखपुर सहित उत्तर प्रदेश के कई अन्य जगहों पर जाकर नए बैच के लिए छात्रों की खोजबीन करनी शुरु कर दी है।

आनंद कुमार इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं जहां उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान आनंद कुमार ने ग्रामीण इलाकों के छात्रों की तरफ से बात रखते हुए सिब्बल से मांग की कि आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने के छात्रों को तीन मौके दिए जाएं। फिलहाल आईआईटी प्रवेश परीक्षा में छात्रों को बैठने के लिए सरकार दो ही मौका दे रही है। आनंद कुमार ने कहा कि शहर के छात्र तो इन दो मौकों में बाजी मार लेते हैं लेकिन ग्रामीण इलाके के छात्र इसमें पिछड़ जाते हैं। आनंद कुमार ने कपिल सिब्बल को पटना आने का न्यौता भी दिया।

क्या है सुपर-30

सुपर-30 की शुरुआत पटना में एक शिक्षा कार्यक्रम के तहत "रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स" के बैनर तले आनंद कुमार ने 2002 में थी। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से पिछड़े 30 मेधावी और प्रतिभावान छात्रों का चयन कर उन्हें आईआईटी-जेईई प्रवेश परीक्षा की निशुल्क तैयारी कराई जाती है। हाल ही में "टाइम" पत्रिका ने सुपर-30 का नाम एशिया के सबसे अच्छे शिक्षण संस्थान के रूप में प्रकाशित किया था।

2003 में सुपर-30 के 30 छात्रों में से 18 छात्रों ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी । जो कि अगले वर्ष 2004 में बढ़कर 22 हो गई । उसके बाद 2005 में 26 छात्रों ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बाजी मारी। पिछले 2 सालों से भी सुपर -30 के सभी छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हो रहे हैं।

रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स’ के बैनर तले चलने वाला ‘सुपर 30’ अपने सभी छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके रहने की व्यवस्था भी मुफ्त करता है । सुपर-30 के सभी छात्र गरीब घरों से आते हैं। जिनमें प्रतिभा तो कूटकूट के भरी होती है पर पैसे के अभाव में उच्च शिक्षा पाना उनका सपना होता है। सुपर-30 परीक्षा के माध्यम से इन्हीं सभी छात्रों का चयन दूर दराज के इलाकों से करता है और उन्हें आईआईटी के कैंपस तक पहुंचाता है।किसी जमाने में पैसे के अभाव में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला नहीं ले पाने वाले आनंद कुमार आज तारीख में लाखों छात्रों के भविष्य को संवारने में जुटे हैं(Kunal Kumar,Dainik Bhaskar,10.6.2010)।

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