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13 जून 2010

पटना में फिजिकल ट्रेनिंग के लिए नहीं आ रहे अल्पसंख्यक अभ्यर्थी

सिपाही में भर्ती के लिए किस तरह से दौड़कर आगे जगह बनानी है, फिर लांग और हाई जंप की सही तकनीक क्या होगी, यह सब बताने के लिए इंस्ट्रक्टर और कोच तैयार बैठे हैं। जगह भी तय है और फिर कोचिंग लेने वालों को पैसा भी नहीं देना है। इन सबके बावजूद स्थिति यह है कि अभ्यर्थी ही नहीं मिल रहे। अब तक सही तरीके से पचास विद्यार्थियों ने भी संबंधित संस्थान से ट्रेनिंग के लिए संपर्क नहीं किया है। यह हाल है अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की उस योजना का जिसके तहत सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों को मुफ्त में फिजिकल परीक्षा की ट्रेनिंग दी जानी है। मौलाना मजरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की देखरेख में पंद्रह जून से आरंभ होने वाला यह प्रशिक्षण आरा और पटना के दो केंद्रों पर होना है। इस बाबत विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों के पास यह सूचना है कि बैकलाग के तहत जो रिक्तियां थीं, उसके लिए हुई लिखित परीक्षा में लगभग 250 अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की है। उनके लिए मुफ्त में फिजिकल टेस्ट की कोचिंग होनी है पर मामला यहां अटका है कि सफल अभ्यर्थी संपर्क ही नहीं कर रहे हैं। समस्या यह है कि अगर एक सेंटर पर पचास से अधिक अभ्यर्थी प्रशिक्षण के लिए नहीं आते हैं तो वहां ट्रेनिंग कैंप चला पाना संभव नहीं होगा। इसके बाद एक ही सेंटर पर उन सभी अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण होगा जिन्होंने अलग-अलग सेंटर के लिए आवेदन दिए हैं। अरबी-फारसी विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षण के लिए पटना, आरा, भागलपुर व सिवान सहित कुल सात केंद्र बनाये हैं। विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए उन्होंने अपने स्तर से पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है(Dainik Jagran,Patna,13.6.2010)।

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