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01 जून 2010

दिल्ली विश्वविद्यालय का कंप्यूटर साइंस कोर्स

डीयू का बीएससी (ऑनर्स) कंप्यूटर साइंस कोर्स टॉप कोर्सेज में अपनी जगह बना चुका है। 15 कॉलेजों में चल रहे इस कोर्स को करने के बाद स्टूडेंट्स का करियर बेस काफी स्ट्रॉन्ग हो जाता है। इस कोर्स के बाद प्लेसमेंट की कोई कमी नहीं होती। हालांकि ज्यादातर स्टूडेंट प्लेसमेंट के बजाय एमसीए या एमएससी (कंप्यूटर साइंस) करना ज्यादा पसंद करते हैं ताकि और बेहतर मौके मिल सकें।

खास बात यह है कि 1997 में शुरू हुआ यह कोर्स तभी से सेमेस्टर सिस्टम में चल रहा है। इस समय साइंस के दूसरे कोर्सेज में सेमेस्टर को लेकर इतना विवाद खड़ा हो चुका है, लेकिन कंप्यूटर साइंस का यह कोर्स सेमेस्टर स्कीम में ही काफी पॉपुलर हुआ है। डीयू के कॉलेजों में इस कोर्स की टोटल सीटें करीब 751 हैं। जो भी स्टूडेंट्स प्लेसमेंट चाहते हैं, उन्हें प्लेसमेंट मिल जाता है। इस कोर्स को फुल प्लेसमेंट वाला कोर्स भी कहा जाता है।

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एस. के. गर्ग ने बताया कि यह कोर्स शुरू से ही काफी पॉपुलर रहा है। कंपनियों का भी इस कोर्स में काफी रुझान रहता है लेकिन काफी स्टूडेंट्स ग्रैजुएशन के बाद पोस्ट ग्रैजुएशन करना अधिक पसंद करते हैं और मल्टी इंटरनैशनल कंपनियों में जॉब पाते हैं। उन्होंने बताया कि साइंस, कॉमर्स और आर्ट किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट इस कोर्स को कर सकते हैं। लेकिन कॉमर्स और आर्ट वाले स्टूडेंट्स के मार्क्स में 5 पर्सेंट डिडक्शन कर दिया जाता है। यानी साइंस वाले स्टूडेंट्स को एडमिशन के बेहतर चांस होते हैं।

यह कोर्स सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम में चलता है और डीयू में ग्रैजुएशन लेवल पर सबसे महंगे कोर्सेज में से एक है। इस कोर्स की सालाना फीस 21 से 25 हजार रुपये तक अलग-अलग कॉलेजों में होती है। लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि प्राइवेट इंस्टिट्यूट में बीसीए करने पर स्टूडेंट्स को सालाना 50 हजार से अधिक फीस देनी पड़ती है, ऐसे में डीयू का यह कोर्स काफी बेहतर ऑप्शन स्टूडेंट्स के लिए लेकर आता है। हंसराज कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि कई स्टूडेंट इस कोर्स को करने के बाद प्लेसमेंट ठुकरा भी देते हैं क्योंकि वे कंप्यूटर साइंस में आगे की पढ़ाई करते हैं और अपने स्किल्स को और बेहतर करते हैं। इस कोर्स में 30 पेपर होते हैं।

13 साल पहले बीसीए और बीएससी (ऑनर्स) कंप्यूटर साइंस के कोर्स शुरू किए गए थे लेकिन दो साल बाद इन्हें बीआईटी और बीआईएस कोर्सेज में तब्दील कर दिया गया और कोर्स की अवधि तीन साल से बढ़ाकर चार साल कर दी गई। लेकिन दो साल बाद ही फिर से इन दोनों कोर्सेज की जगह बीएससी (ऑनर्स) कंप्यूटर साइंस का तीन साल का कोर्स शुरू कर दिया गया। खास बात यह थी कि बीआईटी और बीआईएस कोसेर्ज की इतनी ज्यादा डिमांड बढ़ गई थी कि कुछ सीटों के लिए हजारों स्टूडेंट्स लाइन में थे। लेकिन इन दोनों कोर्सेज को बंद करने से स्टूडेंट्स में काफी निराशा हुई। हालांकि कंप्यूटर साइंस ऑनर्स अब एक बार फिर से अपनी जगह बना चुका है।

कोर्स कंटेंट

इस कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम लागू है और कंप्यूटर साइंस के सबसे अधिक पेपर होते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर ग्राफिक्स, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, कंप्यूटर सिस्टम आकिर्टेक्चर, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स, सिस्टम सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर नेटवर्क, इकनॉमिक्स, डेटाबेस सिस्टम, मल्टीमीडिया ऐप्लीकेशन, डेटा स्ट्रक्चर, कैलकुलस, प्रोग्रामिंग फंडामेंटल जैसे इनपुट इस कोर्स का हिस्सा हैं।

टफ फाइट

जहां तक कटऑफ की बात है तो इस कोर्स में एडमिशन के लिए टफ फाइट रहती है। हंसराज कॉलेज में पिछले साल 93.67 पर्सेंट वाले स्टूडेंट्स को ही जनरल कैटिगरी में एडमिशन मिल पाया था। दौलतराम कॉलेज में 83 पर्सेंट कट ऑफ गई थी। एआरएसडी कॉलेज में 86, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में 83, केशव महाविद्यालय में 82 पर्सेंट वालों को ही इस कोर्स में एडमिशन मिला था।

इन कॉलेजों में है कंप्यूटर साइंस

आचार्य नरेंद देव कॉलेज, एआरएसडी कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंसेज, कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, हंसराज कॉलेज, केशव महाविद्यालय, पीजीडीएवी कॉलेज, रामलाल आनंद कॉलेज, शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, एसजीजीएस कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आईपी कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, एसपीएम कॉलेज राजगुरु कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंसेज(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,31.5.2010 में भूपेंद्र की रिपोर्ट)।

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