कानून की प़ढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अब अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। देश में हिन्दी और अंग्रेजी सहित नौ भाषाओं में यह परीक्षा आयोजित की जाएगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह व्यवस्था २००९-१० के सत्र में कानून की शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों पर लागू करने जा रही है। कानून की प़ढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत शुरू करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए पांच दिसंबर को पहली बार अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा होगी। इस परीक्षा में शामिल होने वाले सभी परीक्षार्थी पुस्तक और दूसरी सामग्री की मदद लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने बुधवार को यह घोषणा करते हुए वकालत का पेशा अपनाने के इच्छुक युवक युवतियों के लिए अखिल भारतीय परीक्षा शुरू करने संबंधी २०१०-२०१२ का दृष्टिपत्र कानून मंत्री वीरप्पा मोइली को सौंपा। इस समय देश में करीब ११ लाख वकील पंजीकृत हैं और हर साल करीब ६० हजार कानून के छात्र इस पेशे से जु़ड़ते हैं।
सुब्रमण्यम ने बताया कि यह परीक्षा साल में दो बार होगी और इसमें शामिल होने के लिए किसी प्रकार की कोई बंदिश नहीं है। इस परीक्षा में बैठने के इच्छुक व्यक्ति को पंजीकरण और परीक्षा शुल्क के रूप में १३ सौ रुपए का भुगतान करना होगा।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया इस परीक्षा की तैयारी से संबंधित सामग्री एक पुस्तक के रूप में सभी अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराएगी। अखिल भारतीय बार परीक्षा आयोजित करने का मकसद देश में वकालत के पेशे में एक न्यूनतम मानक और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। इस परीक्षा में कोई ग्रेडिंग या मेरिट प्रणाली नहीं अपनाई जाएगी । इसके नतीजे सिर्फ उत्तीण या अनुत्तीर्ण तक ही सीमित रहेंगे। इस परीक्षा के आयोजन में कानून के क्षेत्र में परामर्श देने वाली कंपनी रेनमेकर का सहयोग लिया जा रहा है। अखिल भारतीय बार परीक्षा की रूपरेखा तैयार करने में रेनमेकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस परीक्षा के आयोजन से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ किसी टकराव की सम्भावना से इनकार करते हुए सुब्रमण्यम कहते हैं कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया एक स्वायत्त संगठन है और उसे देश में कानून की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का अधिकार प्राप्त है(नई दुनिया,दिल्ली,3 जून,2010)।
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