स्पांसर योजना के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के 168 छात्रों को पढ़ाई के साथ नौकरी देने का आश्वासन दिया, लेकिन न तो उन्हें नौकरी मिली और न सर्टिफिकेट। यहां तक कि विभाग के जिम्मेदार लोगों को योजना की जानकारी तक नहीं है। वहीं एक अफसर का कहना है मामले का प्रस्ताव कैबिनेट में विचाराधीन है।
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को पैथोलॉजी एवं एक्स-रे डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 2006-07 में आवेदन मंगवाए गए थे। इसमें बताया था कि चयनित छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी। प्राइवेट संस्थानों में प्रवेश देने पर शिक्षण शुल्क शासन वहन करेगा।
प्रवेश की शर्त यह भी थी कि दो साल पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों को तीन साल शासन के अधीन सेवाएं देना होंगी। इसके तहत एक-एक लाख रु. का बांड भरना था। प्रदेशभर से कुल 168 छात्रों में इंदौर के 35 थे। डेढ़ साल पहले छात्रों ने परीक्षा पास कर ली लेकिन अब तक शासन के आदेश का इंतजार ही कर रहे हैं।
संस्थानों से मार्कशीट के साथ अन्य ओरिजनल दस्तावेज भी नहीं दिए जा रहे हैं। कुछ संस्थानों का कहना है कि फीस नहीं मिली और कुछ का कहना है कि आप बांडेड उम्मीदवार हैं।
छात्रों का कहना है हमें नौकरी के नाम पर आश्वासन ही मिल रहा है। मार्च में मुख्यमंत्री को भी समाधान ऑनलाइन में शिकायत की थी। तब स्वास्थ्य सचिव ने एक महीने में समाधान का आश्वासन दिया था। रेडियोग्राफर आशाराम राठौर ने बताया समस्या बताने भोपाल गए तो कहा गया विज्ञप्ति तो कैबिनेट में स्वीकृति के लिए गई है। लैब टेक्नीशियन जुबानसिंह और रेडियोग्राफर महेश रावल ने बताया तीन माह पहले समाधान ऑनलाइन में एक माह में समस्या निराकरण के लिए कहा था।
मुझे जानकारी नहीं
अभी तक छात्र मेरे पास नहीं आए इसलिए मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो छात्र समस्या बताएं।
महेंद्र हार्डिया, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री
मुझे मामले की जानकारी नहीं है।
ए.एन.मित्तल,संचालक स्वास्थ्य सेवाएं
मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। वहां से जब तक निर्णय नहीं हो जाता, हम कुछ स्पष्ट नहीं बता सकते।
पी.एन.एस. चौहान, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं(दैनिक भास्कर,इंदौर,28.6.2010)
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