राज्य के विशेष शिक्षण संस्थानों में कार्यरत विशेष शिक्षकों को समानीकरण से अप्रभावित रखा जाएगा। सरकार की इस मंशा का फायदा सामान्य शिक्षकों को भी बिना दिए मिल रहा है। ये अधिकतम ठहराव के बावजूद शहरी क्षेत्र में बने रहेंगे। जबकि इनमें से बहुत से सामान्य अध्यापकों के पास कोई 'खास काम' भी नहीं है।
समानीकरण के प्रस्तावों में स्पष्ट किया गया था, कि मूक-बधिर व अंध विद्यालयों के अलावा डाइट, उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थानों और राज्य के एकमात्र स्पोर्ट्स स्कूल में समानीकरण को लागू नहीं किया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह थी कि इन संस्थानों में लगे शिक्षकों को विशेष अध्यापन अथवा प्रशिक्षण देना होता है। ऎसे में यहां चयनित शिक्षकों को ही नियुक्त किया जाता रहा है। लेकिन, विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की उपलब्धता नहीं होने के कारण यहां सामान्य शिक्षकों को भी नियुक्त किया गया था।
सालों से जमे सामान्य शिक्षक 'विशेष की आड़ में समानीकरण के प्रस्तावों से बच रहे हैं। इनमें मूक-बधिर और अंध विद्यालयों में ब्रेल अथवा संकेत विधि से पढाने की दक्षता नहीं रखने वाले तथा डाइट व उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान में शिक्षण व्यवस्था के तहत लगे सामान्य शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा स्पोट्र्स स्कूल में खेल प्रशिक्षकों के अलावा विषय अध्यापक भी लगे हैं। इन सामान्य विषय अध्यापकों को भी स्पोट्र्स स्कूल में लगे होने के कारण विशेष का दर्जा बिना मांगे मिल रहा है। हरिराम महण, संयुक्त निदेशक, माध्यमिक शिक्षा का कहना है कि इन संस्थानों में विशेष नियमों के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। अगर इन संस्थानों में सामान्य शिक्षक हैं और समानीकरण से बच रहे हैं, तो उन्हें बाद में शामिल कर लिया जाएगा(राजस्थान बीकानेर,3 जून
समानीकरण के प्रस्तावों में स्पष्ट किया गया था, कि मूक-बधिर व अंध विद्यालयों के अलावा डाइट, उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थानों और राज्य के एकमात्र स्पोर्ट्स स्कूल में समानीकरण को लागू नहीं किया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह थी कि इन संस्थानों में लगे शिक्षकों को विशेष अध्यापन अथवा प्रशिक्षण देना होता है। ऎसे में यहां चयनित शिक्षकों को ही नियुक्त किया जाता रहा है। लेकिन, विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की उपलब्धता नहीं होने के कारण यहां सामान्य शिक्षकों को भी नियुक्त किया गया था।
सालों से जमे सामान्य शिक्षक 'विशेष की आड़ में समानीकरण के प्रस्तावों से बच रहे हैं। इनमें मूक-बधिर और अंध विद्यालयों में ब्रेल अथवा संकेत विधि से पढाने की दक्षता नहीं रखने वाले तथा डाइट व उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान में शिक्षण व्यवस्था के तहत लगे सामान्य शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा स्पोट्र्स स्कूल में खेल प्रशिक्षकों के अलावा विषय अध्यापक भी लगे हैं। इन सामान्य विषय अध्यापकों को भी स्पोट्र्स स्कूल में लगे होने के कारण विशेष का दर्जा बिना मांगे मिल रहा है। हरिराम महण, संयुक्त निदेशक, माध्यमिक शिक्षा का कहना है कि इन संस्थानों में विशेष नियमों के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। अगर इन संस्थानों में सामान्य शिक्षक हैं और समानीकरण से बच रहे हैं, तो उन्हें बाद में शामिल कर लिया जाएगा(राजस्थान बीकानेर,3 जून
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।