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28 जून 2010

यूपी में स्कूलों पर भारी पड़ेगा मातृत्व अवकाश

यूपी के प्राथमिक स्कूलों में तकरीबन 2.80 लाख शिक्षक तैनात हैं। इनमें से 45 फीसदी महिलाएं हैं। सरकार ने शिक्षिकाओं को दो साल (730 दिन) की चाइल्ड केयर लीव (बाल्य देखभाल अवकाश) की सुविधा दी है। इससे शिक्षिकाएं बहुत खुश हैं। विभिन्न जिलों में अब तक इस अवकाश के लिए दो हजार आवेदन प्राप्त हो चुके है। एक-एक शिक्षक की कमी झेल रहे विभाग में जुलाई से शुरू होने वाले सत्र में इस अवकाश के चलते बहुतेरे विद्यालयों में ताला लगने की संभावना जताई जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विद्यालयों में शिक्षक पहले से ही कम हैं। इसलिए लंबी छुट्टी पर जाने वाली शिक्षिका की जगह पर काम करने के लिए कोई दूसरा शिक्षक नहीं मिल पायेगा। उन्होंने बताया कि गाजीपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, मिर्जापुर, लखीमपुर, महाराजगंज, चंदौली जैसे जिलों पर ज्यादा फर्क पड़ेगा क्योंकि यहां शिक्षकों की संख्या पहले से काफी कम है। अन्य जिलों के हाल भी कुछ ठीक नहीं है। विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी के माध्यम से पिछले कुछ वर्षो में काफी नियुक्तियां की गईं हैं। इससे अब यह स्थिति बनी है कि बड़ी संख्या में विद्यालयों में कम से कम एक शिक्षक तो उपलब्ध हो गया है। यह अलग बात है कि इसमें अधिकांश महिलाएं हैं। इस वजह से इसमें से कुछ के भी लंबे अवकाश पर चले जाने की स्थिति में गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी और फिर विद्यालयों में ताला लगाना पड़ जायेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव इन्द्रपाल शर्मा इस स्थिति से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि विभाग यह मान कर चल रहा है कि अधिकतम पांच से दस प्रतिशत महिलाएं अवकाश पर जाएंगी। इनके स्थान की भरपाई उपलब्ध शिक्षकों से कराने का प्रयास किया जाएगा। हां कुछ जिलों में संकट गंभीर हो सकता है। उनका कहना था कि यहां शिक्षकों की संख्या पहले से ही काफी कम है। ऐसे में भरपाई करने में मुश्किल आएगी। फिर भी करीब 28 हजार शिक्षकों का नया बैच इस साल जुलाई में निकलने की तैयारी में है। इससे काफी समस्या हल हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की हालत और वहां की शिक्षक व्यवस्था को लेकर पहले से ही उंगलियां उठती रही हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संसकरण,28.6.2010)।

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