आमतौर पर लोग केपीओ को बीपीओ का एक्सटेंशन मान लेते हैं, पर सच्चाई यह है कि केपीओ बीपीओ से भिन्न है। दोनों की जरूरतें भी एक-दूसरे से अलग होती हैं। बीपीओ सेक्टर में लो-लेवल स्किल की जरूरत होती है, वहीं केपीओ के लिए नॉलेज और एक्सपर्टाइज काफी महत्त्व रखते हैं।
पिछले कुछ समय से नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग यानी केपीओ के प्रति शिक्षित युवा वर्ग की रुचि काफी बढ़ी है। बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ)की सफलता के बाद भारत में केपीओ सेक्टर का भी दायरा काफी बढ़ गया है।
एक रिपोर्ट में वर्ष 2010 तक ग्लोबल केपीओ सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत तक होने का अनुमान लगाया गया है। यही नहीं, 2010 तक केपीओ सेक्टर के 17 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 12 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में किस रफ्तार से केपीओ इंडस्ट्री का रहा है।
भारत की पहचान ग्लोबल स्तर पर ‘नॉलेज हब’ के रूप में उभर कर सामने आई है। यहां विभिन्न क्षेत्रों में हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कोई कमी नहीं है। यही वजह है कि विदेशी कंपनियां अपने स्पेशलाइज्ड वर्क को कराने के लिए आज भारत की ओर अपना रुख कर रही हैं। केपीओ के तहत स्पेशलाइज्ड आउटसोर्सिग सर्विसेज जैसे लीगल सर्विस, हेल्थकेयर सर्विस, रिसर्च, इंजीनियरिंग सर्विस, क्लीनिकल रिसर्च,डॉक्युमेंट राइटिंग,इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आदि कार्य आते हैं,जहां विशेष योग्यता, टेक्निकल स्किल और एनालिटिकल एबिलिटी की जरूरत पड़ती है।
केपीओ इंडस्ट्री से जुड़ने के बाद मिलने वाला पे-पैकेज तो काफी आकर्षक होता ही है,साथ-ही-साथ इंटरनेशनल बिजनेस एक्सपोजर और स्किल डेवलपमेंट का भी सुनहरा अवसर सामने आता है।
नॉलेज आउटसोर्सिग से फायदा
विदेशी कंपनियां अपने कामों को भारत में आखिर क्यों आउटसोर्स कर रही हैं। आउटसोर्सिग का पहला कारण तो यह है कि भारत टैलेंट प्रधान देश माना जाता है। यहां हाइली क्लालिफाइड प्रोफेशनल्स की कोई कमी नहीं है। ऐसे में विदेशी कंपनियों का काम भारत में उपलब्ध स्पेशलाइज्ड मैनपावर की वजह से कम लागत में हो जाता है, साथ ही काम की गुणवत्ता भी बनी रहती है। भारत में लेबर कॉस्ट अन्य देशों की तुलना में काफी कम है, जिस कारण इन कंपनियों के प्रोजेक्ट वर्क में 60 से 70% तक की कमी आ जाती है। जहां एक तरफ इन कंपनियों की लागत में कमी आती है,वहीं अपने देश में ही पर्याप्त काम करने का अवसर मिलने से ‘ब्रेन ड्रेन’की समस्या भी काफी हद तक कम हो सकती है। आज केपीओ के विस्तार से एक्सपर्टाइल डोमेन में रोजगार के काफी अवसर बढ़े हैं। इस तरह इससे दोनों पक्षों की जरूरतें पूरी हो जाती हैं। मुख्य रूप से आउटसोर्सिग से जो फायदे हैं, वो हैं :
कॉस्ट सेविंग
वर्क क्वालिटी
हाईली स्किल्ड मैनपावर
ऑपरेशनल एफिशिएंसी
केपीओ है बीपीओ से अलग
आमतौर पर लोग केपीओ को बीपीओ का एक्सटेंशन मान लेते हैं, पर सच्चई यह है कि केपीओ बीपीओ से भिन्न है। दोनों की जरूरतें भी एक-दूसरे से अलग होती हैं। बीपीओ सेक्टर में लो-लेवल स्किल की जरूरत होती है, वहीं केपीओ के लिए नॉलेज और एक्सपर्टाइज काफी महत्त्व रखते हैं।
बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) दरअसल आईटी पर आधारित एक सर्विस है, जहां प्रोफेशनलों का काम मुख्य रूप से कस्टमर केयर, टेक्निकल सपोर्ट, मार्केटिंग और सेल्स आदि को डील करना होता है। बीपीओ आईटीईएस इंडस्ट्री का एक प्रमुख हिस्सा है। इसके अतिरिक्त बीपीओ सेक्टर द्वारा टेली मार्केटिंग सर्विसेज, डाटा एंट्री वर्क, डाटा कंवजर्न सर्विसेज, ऑनलाइन फॉर्म प्रोसेसिंग सर्विसेज आदि को भी हैंडल किया जाता है। यहां लो-एंड सर्विस प्रोवाइड की जाती है। बीपीओ इंडस्ट्री में काम करने के लिए किसी हायर क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती। किसी भी विषय में ग्रेजुएट यहां काम करने के लिए योग्य माने जाते हैं। कुछ कंपनियां तो 10+2 पास युवाओं को भी जॉब ऑफर करती हैं। यहां मुख्य रूप से आपकी कम्युनिकेशन स्किल, एसेंट, कंज्यूमर बिहेवियर आदि को प्रमुखता दी जाती है। हां, अंग्रेजी भाषा की अच्छी जानकारी बीपीओ सेक्टर में एंट्री पाने के लिए पहली शर्त जरूर है। आजकल हिंदी भाषा सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के जानकारों के लिए भी अवसर खुले हैं।
केपीओ का बढ़ता दायरा
केपीओ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। केपीओ के तहत मुख्य रूप से जो क्षेत्र आते हैं, जहां प्रोफेशनलों की काफी मांग है, वो हैं :
इंजीनियरिंग एंड रिसर्च
इसके तहत इंजीनियरिंग से संबंधित कार्य जैसे टेक्निकल वर्क,वैल्यू इंजीनियरिंग,कंप्युटेशनल एनालिसिस, सॉफ्टवेयर वर्क, टेलिकॉम आर एंड डी, नेटवर्क मैनेजमेंट आदि काम आते हैं।
फाइनेंशियल सर्विसेज
फाइनेंस से जुड़े कई तरह के कामों को आउटसोर्स किया जा रहा है। फाइनेंशियल अकाउंटिंग, क्रेडिट रिसर्च, इक्विटी रिसर्च, फंड मैनेजमेंट, कॉरपोरेट एंड मार्केट रिसर्च, टैक्स मैनेजमेंट, ट्रेंड एनालिसिस आदि काम यहां किए जाते हैं।
लीगल सर्विसेज
लीगल डॉक्युमेंट रिव्यू, लीगल वर्क पब्लिशिंग, लीगल सर्विस, पेटेंट, कांट्रेक्ट ड्राफ्टिंग जैसे काम इसके अंतर्गत आते हैं।
एजुकेशन एंड ट्रेनिंग
ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम की बढ़ती लोकप्रियता और इससे होने वाली सुविधाओं के मद्देनजर एजुकेशनल सेक्टर भी केपीओ की हॉट च्वॉयस बन कर उभरा है। ई-ट्यूटरिंग,टेक्निकल राइटिंग, करिकुलम डिजाइन,कंटेंट डेवलपमेंट जैसे काम आउटसोर्स किए जा रहे हैं। ई-ट्यूटरिंग तो आजकल शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर जरिया बन कर उभरा है।
हेल्थकेयर एंड मेडिकल सर्विसेज
विदेशी कंपनियां केवल टेक्निकल और आईटी वर्क के लिए ही भारत की ओर अपना रुख नहीं कर रही हैं,बल्कि यहां उपलब्ध क्वालिफाइड मेडिकल और पैरा-मेडिकल प्रोफेशनल्स की उपलब्धता से भी प्रभावित हो रही हैं। यही वजह है कि भारत आज हेल्थकेयर के क्षेत्र में इन कंपनियों की पहली पसंद बन कर सामने आया है। जेनेटिक प्रोफाइलिंग, एचआईवी, क्लिनिकल रिसर्च, मेडिकल राइटिंग आदि इसके अंतर्गत आते हैं। बायोटेक्नोलॉजी और फॉर्मास्युटिकल के क्षेत्र में भी काफी स्कोप देखने को मिल रहा है।
कुछ अन्य क्षेत्र
इन सबके अतिरिक्त ट्रेनिंग एंड कंसल्टेंसी, कंटेंट डेवलपमेंट, इंटेलक्चुअल प्रॉपर्टी, डाटाबेस सर्विसेज आदि विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में भी काफी काम आउटसोर्स किया जा रहा है।
किसके लिए हैं अवसर
चूंकि केपीओ इंडस्ट्री में स्पेशलाइज्ड और एक्सपर्टाइज्ड वर्क को हैंडल किया जाता है, ऐसे में सेक्टर से जुड़ने के लिए किसी विशेष क्षेत्र में ऊंची क्वालिफिकेशन और स्पेशलाइजेशन का होना जरूरी है। यहां आपको ऐसे काम करने होंगे, जिसे करने के लिए आपके पास उस क्षेत्र में विशेषज्ञता का होना जरूरी होगा। यह पूरी तरह से नॉलेज एक्सपर्टाइज पर आधारित सेक्टर है, जहां हाई-एंड सर्विसेज प्रोवाइड की जाती है। हालांकि केपीओ सेक्टर से जुड़ने के लिए किसी विशेष क्वालिफिकेशन का निर्धारण नहीं किया गया है, फिर भी कुछ विशेष प्रोफेशनल ग्रुप हैं, जिनके लिए इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं :
इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स (बीई, बीटेक, एमटेक)
मेडिकल प्रोफेशनल, फॉर्मास्यूटिकल एक्सपर्ट्स, बायोटेक्नोलॉजी
मैनेजमेंट प्रोफेशनल (एमबीए)
आईटी एंड सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल (एमसीए)
सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट्स)
लीगल एक्सपर्ट्स
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स,
इकोनॉमिस्ट्स
रिसर्चर्स
केपीओ सेक्टर में काम करने के लिए डोमेन एक्सपर्टाइज के अलावा कुछ स्किल सेट की जरूरत पड़ती है, जैसे-
कम्युनिकेशन स्किल
टीम वर्क
इंग्लिश लैंग्वेज नॉलेज
इंटरपर्सनल स्किल
कंप्यूटर नॉलेज
डाटा एनालिसिस स्किल
एनॉलिटिकल स्किल एंड थिंकिंग एबिलिटी
कंसेप्चुएलाइजेशन नॉलेज आदि।
पे-पैकेज
पिछले कुछ समय से नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग यानी केपीओ के प्रति शिक्षित युवा वर्ग की रुचि काफी बढ़ी है। बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ)की सफलता के बाद भारत में केपीओ सेक्टर का भी दायरा काफी बढ़ गया है।
एक रिपोर्ट में वर्ष 2010 तक ग्लोबल केपीओ सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत तक होने का अनुमान लगाया गया है। यही नहीं, 2010 तक केपीओ सेक्टर के 17 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 12 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में किस रफ्तार से केपीओ इंडस्ट्री का रहा है।
भारत की पहचान ग्लोबल स्तर पर ‘नॉलेज हब’ के रूप में उभर कर सामने आई है। यहां विभिन्न क्षेत्रों में हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कोई कमी नहीं है। यही वजह है कि विदेशी कंपनियां अपने स्पेशलाइज्ड वर्क को कराने के लिए आज भारत की ओर अपना रुख कर रही हैं। केपीओ के तहत स्पेशलाइज्ड आउटसोर्सिग सर्विसेज जैसे लीगल सर्विस, हेल्थकेयर सर्विस, रिसर्च, इंजीनियरिंग सर्विस, क्लीनिकल रिसर्च,डॉक्युमेंट राइटिंग,इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आदि कार्य आते हैं,जहां विशेष योग्यता, टेक्निकल स्किल और एनालिटिकल एबिलिटी की जरूरत पड़ती है।
केपीओ इंडस्ट्री से जुड़ने के बाद मिलने वाला पे-पैकेज तो काफी आकर्षक होता ही है,साथ-ही-साथ इंटरनेशनल बिजनेस एक्सपोजर और स्किल डेवलपमेंट का भी सुनहरा अवसर सामने आता है।
नॉलेज आउटसोर्सिग से फायदा
विदेशी कंपनियां अपने कामों को भारत में आखिर क्यों आउटसोर्स कर रही हैं। आउटसोर्सिग का पहला कारण तो यह है कि भारत टैलेंट प्रधान देश माना जाता है। यहां हाइली क्लालिफाइड प्रोफेशनल्स की कोई कमी नहीं है। ऐसे में विदेशी कंपनियों का काम भारत में उपलब्ध स्पेशलाइज्ड मैनपावर की वजह से कम लागत में हो जाता है, साथ ही काम की गुणवत्ता भी बनी रहती है। भारत में लेबर कॉस्ट अन्य देशों की तुलना में काफी कम है, जिस कारण इन कंपनियों के प्रोजेक्ट वर्क में 60 से 70% तक की कमी आ जाती है। जहां एक तरफ इन कंपनियों की लागत में कमी आती है,वहीं अपने देश में ही पर्याप्त काम करने का अवसर मिलने से ‘ब्रेन ड्रेन’की समस्या भी काफी हद तक कम हो सकती है। आज केपीओ के विस्तार से एक्सपर्टाइल डोमेन में रोजगार के काफी अवसर बढ़े हैं। इस तरह इससे दोनों पक्षों की जरूरतें पूरी हो जाती हैं। मुख्य रूप से आउटसोर्सिग से जो फायदे हैं, वो हैं :
कॉस्ट सेविंग
वर्क क्वालिटी
हाईली स्किल्ड मैनपावर
ऑपरेशनल एफिशिएंसी
केपीओ है बीपीओ से अलग
आमतौर पर लोग केपीओ को बीपीओ का एक्सटेंशन मान लेते हैं, पर सच्चई यह है कि केपीओ बीपीओ से भिन्न है। दोनों की जरूरतें भी एक-दूसरे से अलग होती हैं। बीपीओ सेक्टर में लो-लेवल स्किल की जरूरत होती है, वहीं केपीओ के लिए नॉलेज और एक्सपर्टाइज काफी महत्त्व रखते हैं।
बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) दरअसल आईटी पर आधारित एक सर्विस है, जहां प्रोफेशनलों का काम मुख्य रूप से कस्टमर केयर, टेक्निकल सपोर्ट, मार्केटिंग और सेल्स आदि को डील करना होता है। बीपीओ आईटीईएस इंडस्ट्री का एक प्रमुख हिस्सा है। इसके अतिरिक्त बीपीओ सेक्टर द्वारा टेली मार्केटिंग सर्विसेज, डाटा एंट्री वर्क, डाटा कंवजर्न सर्विसेज, ऑनलाइन फॉर्म प्रोसेसिंग सर्विसेज आदि को भी हैंडल किया जाता है। यहां लो-एंड सर्विस प्रोवाइड की जाती है। बीपीओ इंडस्ट्री में काम करने के लिए किसी हायर क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती। किसी भी विषय में ग्रेजुएट यहां काम करने के लिए योग्य माने जाते हैं। कुछ कंपनियां तो 10+2 पास युवाओं को भी जॉब ऑफर करती हैं। यहां मुख्य रूप से आपकी कम्युनिकेशन स्किल, एसेंट, कंज्यूमर बिहेवियर आदि को प्रमुखता दी जाती है। हां, अंग्रेजी भाषा की अच्छी जानकारी बीपीओ सेक्टर में एंट्री पाने के लिए पहली शर्त जरूर है। आजकल हिंदी भाषा सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के जानकारों के लिए भी अवसर खुले हैं।
केपीओ का बढ़ता दायरा
केपीओ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। केपीओ के तहत मुख्य रूप से जो क्षेत्र आते हैं, जहां प्रोफेशनलों की काफी मांग है, वो हैं :
इंजीनियरिंग एंड रिसर्च
इसके तहत इंजीनियरिंग से संबंधित कार्य जैसे टेक्निकल वर्क,वैल्यू इंजीनियरिंग,कंप्युटेशनल एनालिसिस, सॉफ्टवेयर वर्क, टेलिकॉम आर एंड डी, नेटवर्क मैनेजमेंट आदि काम आते हैं।
फाइनेंशियल सर्विसेज
फाइनेंस से जुड़े कई तरह के कामों को आउटसोर्स किया जा रहा है। फाइनेंशियल अकाउंटिंग, क्रेडिट रिसर्च, इक्विटी रिसर्च, फंड मैनेजमेंट, कॉरपोरेट एंड मार्केट रिसर्च, टैक्स मैनेजमेंट, ट्रेंड एनालिसिस आदि काम यहां किए जाते हैं।
लीगल सर्विसेज
लीगल डॉक्युमेंट रिव्यू, लीगल वर्क पब्लिशिंग, लीगल सर्विस, पेटेंट, कांट्रेक्ट ड्राफ्टिंग जैसे काम इसके अंतर्गत आते हैं।
एजुकेशन एंड ट्रेनिंग
ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम की बढ़ती लोकप्रियता और इससे होने वाली सुविधाओं के मद्देनजर एजुकेशनल सेक्टर भी केपीओ की हॉट च्वॉयस बन कर उभरा है। ई-ट्यूटरिंग,टेक्निकल राइटिंग, करिकुलम डिजाइन,कंटेंट डेवलपमेंट जैसे काम आउटसोर्स किए जा रहे हैं। ई-ट्यूटरिंग तो आजकल शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर जरिया बन कर उभरा है।
हेल्थकेयर एंड मेडिकल सर्विसेज
विदेशी कंपनियां केवल टेक्निकल और आईटी वर्क के लिए ही भारत की ओर अपना रुख नहीं कर रही हैं,बल्कि यहां उपलब्ध क्वालिफाइड मेडिकल और पैरा-मेडिकल प्रोफेशनल्स की उपलब्धता से भी प्रभावित हो रही हैं। यही वजह है कि भारत आज हेल्थकेयर के क्षेत्र में इन कंपनियों की पहली पसंद बन कर सामने आया है। जेनेटिक प्रोफाइलिंग, एचआईवी, क्लिनिकल रिसर्च, मेडिकल राइटिंग आदि इसके अंतर्गत आते हैं। बायोटेक्नोलॉजी और फॉर्मास्युटिकल के क्षेत्र में भी काफी स्कोप देखने को मिल रहा है।
कुछ अन्य क्षेत्र
इन सबके अतिरिक्त ट्रेनिंग एंड कंसल्टेंसी, कंटेंट डेवलपमेंट, इंटेलक्चुअल प्रॉपर्टी, डाटाबेस सर्विसेज आदि विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में भी काफी काम आउटसोर्स किया जा रहा है।
किसके लिए हैं अवसर
चूंकि केपीओ इंडस्ट्री में स्पेशलाइज्ड और एक्सपर्टाइज्ड वर्क को हैंडल किया जाता है, ऐसे में सेक्टर से जुड़ने के लिए किसी विशेष क्षेत्र में ऊंची क्वालिफिकेशन और स्पेशलाइजेशन का होना जरूरी है। यहां आपको ऐसे काम करने होंगे, जिसे करने के लिए आपके पास उस क्षेत्र में विशेषज्ञता का होना जरूरी होगा। यह पूरी तरह से नॉलेज एक्सपर्टाइज पर आधारित सेक्टर है, जहां हाई-एंड सर्विसेज प्रोवाइड की जाती है। हालांकि केपीओ सेक्टर से जुड़ने के लिए किसी विशेष क्वालिफिकेशन का निर्धारण नहीं किया गया है, फिर भी कुछ विशेष प्रोफेशनल ग्रुप हैं, जिनके लिए इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं :
इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स (बीई, बीटेक, एमटेक)
मेडिकल प्रोफेशनल, फॉर्मास्यूटिकल एक्सपर्ट्स, बायोटेक्नोलॉजी
मैनेजमेंट प्रोफेशनल (एमबीए)
आईटी एंड सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल (एमसीए)
सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट्स)
लीगल एक्सपर्ट्स
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स,
इकोनॉमिस्ट्स
रिसर्चर्स
केपीओ सेक्टर में काम करने के लिए डोमेन एक्सपर्टाइज के अलावा कुछ स्किल सेट की जरूरत पड़ती है, जैसे-
कम्युनिकेशन स्किल
टीम वर्क
इंग्लिश लैंग्वेज नॉलेज
इंटरपर्सनल स्किल
कंप्यूटर नॉलेज
डाटा एनालिसिस स्किल
एनॉलिटिकल स्किल एंड थिंकिंग एबिलिटी
कंसेप्चुएलाइजेशन नॉलेज आदि।
पे-पैकेज
केपीओ इंडस्टारीज में काम करने वाले प्रोफेशनल अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। ऐसे में यहां मिलने वाली सैलरी भी आकर्षक होती है। कुछ कार्य अनुभव के बाद ही यहां मिलने वाला पैकेज 5 से 8 लाख रुपये प्रति वर्ष हो जाता है। 5-6 वर्ष के अनुभव के बाद तो वार्षिक पे-पैकेज 12 से 15 लाख तक हो सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि इन प्रोफेशनल्स को अपने डोमेन में चैलेंजिंग वर्क करने का पर्याप्त अवसर भी मिलता रहता है।
(संजीव कुमार,नई दिशाएं,हिंदुस्तान,दिल्ली,2 जून,2010)
एक बहुत ही उपयोगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएं05.06.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
अच्छी जानकारी वाली पोस्ट है! शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लए आभार।
जवाब देंहटाएं--------
रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
चिट्ठाचर्चा से आप तक पहुंची हूँ मैं ,
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने ,हमारे देश का टैलेंट विश्व में झंडा फहरा रहा है