हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग ने स्कूलों की परीक्षा परिणामों की नई मूल्यांकन नीति के तहत बच्चों की पढ़ाई के प्रति लापरवाह शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ऐसे शिक्षक जिनके आठवीं, दसवीं, जमा एक और जमा दो कक्षाओं के परिणाम खराब रहे हैं उन्हें वार्निग देने के आदेश जारी हो गए हैं। साथ ही बेहतर रिजल्ट होने पर एसीआर में बेहतरी के अंक दिए जाएंगे।
मार्च 2010 में ली गई परीक्षाओं में खराब रिजल्ट रहने देने वाले शिक्षकों पर अब गाज गिरना तय हो गया है। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों के मुखियाओं को निर्देश जारी किए हैं कि इन कक्षाओं में 25 प्रतिशत के कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को अति शीघ्र वार्निग लेटर जारी करते हुए उनसे जबाब मांगा जाए। विभाग ने अपनी नई मूल्यांकन नीति को लागू करते हुए ऐसे शिक्षकों की एसीआर में पुअर रिमार्क की एंट्री करने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह अगर अगले साल भी इनका रिजल्ट खराब रहता है तो इनकी इंक्रीमेंट को रोकने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
75 प्रतिशत से अधिक परीक्षा परिणाम होने पर एसीआर में आउटस्टेंडिंग, 65 प्रतिशत से अधिक रिजल्ट पर वेरी गुड की एंट्री करने के निर्देश भी दिए हैं। विदित रहे कि सरकार ने स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नई मूल्यांकन नीति बनाई थी, लेकिन स्कूलों में शैक्षणिक सत्र पहले से शुरू होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था। स्कूलों में अब नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है तो इस सत्र से नई मूल्यांकन नीति को लागू करने के निर्देश इसी महीने जारी कर दिए गए हैं।
शिक्षा निदेशालय ने यह आदेश भी दिए हैं कि नियमित शिक्षकों की तरह अनुबंध आधार पर कार्यरत शिक्षकों की एसीआर को भी उनके परीक्षा परिणामों के आधार पर भी लिखा जाए। पैरा, ग्रामीण विद्या उपासक और दूसरी कैटेगिरी के शिक्षकों के लिए भी यही नीति लागू रहेगी। इसके अलावा सभी स्कूलों के मुखियाओं को यह आदेश भी दिए गए हैं कि उन्हें फेल रहे छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ शैक्षणिक सत्र के पहले महीने में ही आवश्यक रूप से बैठक करनी होगी ।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. ओपी शर्मा का मानना है कि विभाग ने परीक्षा परिणामांे के प्रति शिक्षकों की जबावदेही सुनिश्चित की है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को और सुधारना है(दैनिक भास्कर,शिमला,21.6.2010)।
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