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15 जून 2010

करनाल यूनिवर्सिटी में रोल नंबर का झंझट खत्म

यूनिवर्सिटी और कालेजों से बार-बार नया रोल नंबर प्राप्त करने का झंझट खत्म होने जा रहा है। नई योजना के तहत ग्रेजुएशन कक्षाओं में पहले साल जो रोल नंबर मिलेगा, उसी रोल नंबर पर तीनों साल परीक्षाएं देनी होंगी। यूनिवर्सिटी ने कालेजों में यह सिस्टम इसी साल से लागू कर दिया है, जबकि यूनिवर्सिटी लेबल पर यह अगले साल लागू हो सकेगा।

हर साल नए सेशन पर कालेजों में दाखिले होते हैं और विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाएं आयोजित की जातीं हैं। जहां कालेजों को एक बार एडमीशन पा चुके विद्यार्थियों को बार-बार नए रोल नंबर अलॉट किए जाते हैं, वहीं यूनिवर्सिटी भी उनकी परीक्षाओं के लिए हर साल रोल नंबर भेजती है। इस तरह विश्वविद्यालय को भी हर साल बेवजह का काम करना पड़ता है। किसी का रोल नंबर गलत होने, किसी का रोल नंबर छूट गया, किसी का नाम गलत हो गया जैसी समस्याएं आती हैं। लेकिन नए सिस्टम से जहां कालेज व यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों का वर्कलोड कम होगा, वहीं विद्यार्थियों को भी रोल नंबर संबंधी टेंशन से मुक्ति मिल जाएगी।

आठ डिजिट का होगा नंबर

नए सिस्टम के तहत कालेजों की तरफ से प्रथम वर्ष जारी किया जाने वाला रोल नंबर 8 डिजिट होगा, जबकि यूनिवर्सिटी द्वारा 16 डिजिट का रोल नंबर जारी करने की योजना है। रोल नंबर इस ढंग से दिया जाएगा कि उसको देखकर यह पता चल जाएगा कि विद्यार्थी कौन से साल का परीक्षार्थी है और वह किस कोर्स से संबंधित है(रमेश पाल, करनाल,Dainik Bhaskar,15.6.2010)।

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