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15 जून 2010

‘नॉर्मन बरलॉग इंस्टीट्यूट’ हरियाणा की झोली में जाने के कयास

अगर सब कुछ ठीक रहा तो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मुकुट में एक और हीरा जड़ जाएगा। इंटरनेशनल मेज एंड ह्वीट इंप्रूवमेंट रिसर्च सेंटर (सिमिट) एचएयू के रामधन फार्म में ‘नॉर्मन बरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया’ बनाने का मन बना रहा है। सिमिट की टीम ने 9 जून को फार्म का मुआयना किया और वहां की मिट्टी, पानी और रोड कनेक्शन की जानकारी दर्ज की।

हालांकि इस दौड़ में हरियाणा के अलावा छह और प्रदेश (राजस्थान, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश) भी हैं फिर भी इंस्टीट्यूट की सौगात हरियाणा की झोली में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में मई में हुई बैठक में इंस्टीट्यूट के लिए हरियाणा की दावेदारी सबसे मजबूत दिखाई दी। बैठक में उक्त सातों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।

हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गत 22 मई को इंस्टीट्यूट के लिए हिसार के आसपास जरूरी पांच सौ एकड़ जमीन देने पर सहमति भी जता दी थी। इसके बाद नॉर्मन बरलॉग फाउंडेशन और सिमिट ने हरियाणा में इंस्टीट्यूट की संभावनाओं के लिए दौरा करने की बात कही थी।

इंस्टीट्यूट के लिए प्रदेश में दो जगहों पर विचार किया जा रहा है जिनमें एचएयू का रामधन फार्म पहले नंबर पर है। पानीपत के सफींदो रोड स्थित गांव कवि (शहर से 20 किमी दूर) की पांच सौ एकड़ जमीन दौड़ में दूसरे नंबर पर है। पिछले हफ्ते सिमिट की टीम ने दोनों जगहों का दौरा किया।

नौ जून को हिसार पहुंची सिमिट की साइट सेलेक्शन कमेटी की टीम ने रामधन फार्म का निरीक्षण किया। टीम में सिमिट के दो प्रतिनिधि डॉ. राज गुप्ता, डॉ. अजय कुमार के अलावा इंडियन काउंसिल फॉर मेज रिसर्च के डॉ. साईंदास और इंडियन काउंसिल फॉर व्हीट रिसर्च के डॉ. एसएस सिंह शामिल थे।

एचएयू के कुलपति डॉ. एएस खोखर ने टीम को फार्म के बारे में आवश्यक जानकारियां उपलब्ध करवाईं। डॉ. खोखर ने बताया कि टीम ने पानीपत के कवि गांव से भी ये सभी जानकारियां इकट्ठा की हैं(Dainik Bhaskar,Hisar,15.6.2010)।

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