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19 जून 2010

हिमाचल में कैदियों के लिए संस्कृत

शायद देववाणी संस्कृत का पठन—पाठन कैदियों के अधीर मन में धैर्य और संतोष का संचार कर सके यह सोचकर भाषा, कला एवं संस्कृत विभाग ने उन्हें संस्कृत पढ़ाने का फैसला किया है।

इस अभियान की शुरुआत शीघ्र ही आदर्श जेल कंडा से की जाएगी। इसके बाद कैदियों को पौराणिक ग्रंथों व वेदों का भी अध्ययन करवाया जाएगा। सब भाषाओं की जननी व सबसे समृद्ध भाषा का गौरव लिए संस्कृत भाषा में अध्ययन से कैदियों को आत्मगौरव होगा। इस तरह आदर्श जेल कंडा एक गुरुकुल के रूप में भी प्रतिष्ठित होगी।

सलाखों में बंद कैदियों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति के साथ—साथ तनाव को दूर करने के लिए भी संस्कृत में मंत्रोचारण करना भी सिखाया जाएगा। भाषा, कला एवं संस्कृत विभाग संस्कृत के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था को साथ लेकर इस पहल को कुछ ही दिनों में आरंभ किया जाएगा। एक महीने की इस वर्कशॉप कंडा जेल से शुरू की जा रही है। इसके बाद प्रदेश की अन्य जेलों में भी ऐसी वर्कशॉप लगाई जाएंगी।

कंडा में इस समय करीब 445 पुरुष व महिला कैदी बंद है। इनमें 149 बंदी विचाराधीन है। जबकि 18 महिलाएं विभिन्न अपराधों में सजा काट रही हैं। कार्यशाला में सबसे पहले कैदियों को संस्कृत में संवाद करना सिखाया जाएगा। इसके बाद संस्कृत के माध्यम से आध्यात्मिक जीवन पर बल देने के अलावा उच्च चरित्र निर्माण को लेकर भी संस्कृत विद्वानों के लेक्चर रखे जाएंगे।

दूसरी जेलों में भी कराएंगे

"इसके संस्कृत में काम करने वाली संस्था को साथ जोड़कर जेलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। कंडा जेल में एक महीने की कार्यशाला से इस विशेष अभियान की शुरूआत की जाएगी। सभंव हुआ तो आने वाले समय में ऐसा अभियान एनजीओज के साथ अन्य जेलों में भी किया जाएगा।"

डॉ. प्रेम शर्मा निदेशक. प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृत विभाग

सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा

"जेल में बंदियों के गुड कंडक्ट के लिए होने वाले कार्यक्रमों को प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए। विभाग की यह पहल सराहनीय है। इससे बंदियों के जीवन पर अवश्य ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यहां से जाने के बाद बंदियों को एक सामान्य जीवन व्यतीत करने में कोई परेशानी पेश नहीं आएगी।"

सुशील ठाकुर, सुपरिटेंडेंट कंडा जेल।
(दैनिक भास्कर,शिमला,19.6.2010)

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