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22 जून 2010

यूपी को बदलने होंगे कालेजों की संबद्धता के मानक

मानकों की अनदेखी कर संबद्धता हासिल करने वाले कालेजों पर नकेल कसने को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नया कदम उठाया है। यूजीसी ने कालेजों की संबद्धता के मानक और सख्त कर दिये हैं। यूजीसी ने इसकी जानकारी विश्वविद्यालयों को दी है। हालांकि राज्य सरकार को अभी भी यूजीसी के नये मानकों की बाबत फैसला करना बाकी है। जमीन जैसे मामलों में तो राज्य को अपने मानक बदलने पड़ेंगे। संबद्धता के लिए सिर्फ मेट्रोपोलिटन शहरों के कालेजों को जमीन के मानक में रियायत दी गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालय द्वारा कालेजों को संबद्धता) विनियम, 2009 के मुताबिक यदि संबद्धता के लिए आवेदन करने वाला कालेज मेट्रोपोलिटन शहर में है तो विश्वविद्यालय के स्थलीय निरीक्षण के समय उसके पास कम से कम दो एकड़ जमीन होनी चाहिए। यदि वह अन्य क्षेत्र में है तो उसके पास कम से कम पांच एकड़ (20234 वर्ग मीटर) जमीन होनी चाहिए। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने कालेजों को संबद्धता देने के लिए शहरी क्षेत्र में 5000 वर्ग मीटर और ग्रामीण क्षेत्र में 10,000 वर्ग मीटर जमीन का मानक तय किया है। यूजीसी ने संबद्धता के लिए प्राभूत राशि भी बढ़ा दी है। यदि कोई कालेज संबद्धता के लिए आवेदन करता है तो प्राभूत की निर्धारित धनराशि सावधि जमा के तौर पर विश्वविद्यालय के पक्ष में बंधक रखनी होती है। शासन ने विभिन्न पाठ्यक्रमों की संबद्धता के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित की हैं। वर्तमान में कला संकाय के लिए दो लाख रुपये, विज्ञान के लिए तीन लाख रुपये तथा बीएड कोर्स के लिए ढाई लाख रुपये है। यूजीसी ने कला, विज्ञान और वाणिज्य संकायों के लिए प्राभूत की धनराशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया है। प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के लिए इसे 35 लाख रुपये कर दिया गया है। यूजीसी ने कालेज को स्थायी संबद्धता अब पांच साल बाद देने का मानक तय किया है। वहीं मौजूदा व्यवस्था के तहत शासन कालेजों को स्थायी संबद्धता अधिकतम तीन वर्ष के बाद देता है। यूजीसी ने यह नई शर्त रखी है कि जिस स्थान के लिए संबद्धता मिलती है, यदि उससे हटकर निर्माण किया जाता है तो कालेज की संबद्धता बिना विश्वविद्यालय की अनुमति के स्वत: समाप्त हो जाएगी(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,22.6.2010)।

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