हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) द्वारा वर्ष 2001, 2003 और 2004 में की गई एचसीएस भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर अनियमितताएं पाई गई हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश जांच रिपोर्ट में एचपीएससी के सचिव व परीक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो के अनुसार एचपीएससी के पूर्व सचिव ने व्यक्तिगत तौर पर उत्तर पुस्तिकाएं परीक्षकों को सौंपी। परीक्षकों द्वारा तैयार अवार्ड लिस्ट भी तत्कालीन सचिव द्वारा संशोधित की गई थी। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल के दौरान एचसीएस की भर्ती के खिलाफ पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल और दो परीक्षार्थियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और भर्ती की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी। हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो के अधीक्षक पतराम सिंह ने इन भर्तियों के संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट व दलाल के वकील विक्रम जैन को जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में एचसीएस परीक्षा के परीक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षकों ने उत्तर पुस्तिकाओं में कई जगह कटिंग की और ओवरराइटिंग करके छात्रों के नंबर कम या ज्यादा किए। करीब 22135 उत्तर पुस्तिकाओं के रजिस्ट्रेशन नंबर के क्रमांक में गड़बड़ी पाई गई है। परीक्षकों ने अपनी ओवरराइटिंग और कटिंग को सत्यापित तक नहीं किया और उत्तर-पुस्तिकाओं में अलग पृष्ठों पर अलग हिस्सों में लिखे गए प्रश्नों के लिए भी नंबर दिए। कई उत्तर पुस्तिकाओं को दोबारा भी चेक किया, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है। एचपीएससी के तत्कालीन सचिव ने व्यक्तिगत तौर पर दिल्ली, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर और हिसार में रहने वाले परीक्षकों को उत्तर पुस्तिकाएं सौंपी और वापस प्राप्त की थी। इन्हीं शहरों में चेक की गई उत्तर पुस्तिकाओं में सबसे अधिक गड़बडि़यां पाई गई हैं। गोरखपुर के प्रो. जगदीश सिंह, इलाहाबाद के डॉ. विवेक पांडे, वाराणसी के डॉ. के.डी. पांडे, दिल्ली के डॉ. पवन बाला, इलाहाबाद के डॉ. विद्याधर मिश्रा, करनाल के आरके पूनिया, वाराणसी के डॉ. महेश्वरी प्रसाद, हैदराबाद के प्रो. वीचंद्रा मौली और दिल्ली के डॉ. आरके खत्री चेक की गई उत्तर पुस्तिकाओं में बड़े स्तर पर गड़बडि़यां पाई गईं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,22.6.2010)।
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