सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से मुकाबले के लिए तैयार यूपी बोर्ड अब हिंदी माध्यम के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की भी मान्यता देगा। माध्यमिक विद्यालयों में हिंदी के अलावा सभी विषयों को अंग्रेजी में पढ़ाने के लिए मान्यता नीति में संशोधन कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र ने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। जारी शासनादेश के मुताबिक पुराने विद्यालय भी भाषा का माध्यम बदल सकेंगे। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति में संशोधन भी किया जाएगा। फरवरी में माध्यमिक शिक्षामंत्री के साथ शिक्षा अधिकारियों की लखनऊ में हुई बैठक में माध्यमिक शिक्षा अधिनियम एक्ट का भी संदर्भ आया था। बताया गया था कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र के अधिनियम के अध्याय-7 में साफ उल्लेख है कि विद्यालयों को सिर्फ हिंदी माध्यम से ही मान्यता मिलेगी। नए खुलने वाले माध्यमिक विद्यालयों को अधिनियम 7क (क) के तहत मान्यता दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि इस अधिनियम में संशोधन कर देने से भाषा की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। बुधवार को इसी संशोधन पर सरकारी मुहर लगा दी गई है। अब तक हिंदी माध्यम के विद्यालयों में जो विद्यार्थी विषयों की परीक्षा अंग्रेजी भाषा में देना चाहते थे, उन विद्यार्थियों को इसकी छूट थी लेकिन कक्षा में पढ़ाई हिंदी में ही होती थी। 5 किमी के दायरे में नहीं होगा दूसरा माध्यमिक विद्यालय : अगर पांच किलोमीटर के दायरे में एक माध्यमिक स्कूल है, तो उस क्षेत्र में दूसरे माध्यमिक स्कूल को मान्यता नहीं दी जाएगी। बुधवार को माध्यमिक शिक्षामंत्री रंगनाथ मिश्र ने यह निर्णय लिया। सूत्रों ने बताया कि इस बात का ख्याल मान्यता देते समय माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र द्वारा विशेष तौर पर रखा जाएगा। अंग्रेजी माध्यम की मान्यता मिलने के बाद यूपी बोर्ड से मान्यता लेने वालों की कतार लग जाएगी(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,4 जून,2010 में ऋषि मिश्र की रिपोर्ट)।
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