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20 जून 2010

इंजीनियरिंगःसोच-समझकर करें ट्रेड चयन

बारहवीं के बाद स्टुडेंट्स द्वारा अपनाए जाने वाले तकनीकी पाठयक्रमों में इंजीनियरिंग आज सर्वाधिक लोकप्रिय और आकर्षण से भरा है। आज इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नित्य नए ट्रेड शुरू हो रहे हंै। प्राय: सभी महत्वाकांक्षी अभ्यर्थी इस ऊहापोह में रहते है कि उनके लिए कौन सा ट्रेड सर्वाधिक मुफीद हो सकता है। प्लेसमेंट के लिए कौन सा ट्रेड बढि़या रहेगा। आधी-अधूरी जानकारी और मित्रों की देखादेखी के आधार पर ऐसे ट्रेड का चयन कर लेते हैं जिसकी न तो उन्हें सही जानकारी होती है और न ही उनकी अभिरूचि होती है। फलत: बाद में उन्हें अनेक प्रकार की जैसे ट्रेड बदलना, पढ़ाई बीच में छोड़ देना, रिजल्ट खराब हो जाना आदि तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: इनसे बचने के लिए इंजीनियरिंग के विभिन्न ट्रेड, उनके अध्ययन क्षेत्र, रोजगार कीसंभावनाओं आदि के बारे में जानकारी अपेक्षित होती है। तो आइए, जानते है विविधताओं से भरे इस क्षेत्र के विभिन्न ट्रेडों के बारे में - एयरोस्पेस इंजीनियरिंग : औद्योगिक क्षेत्र में मिलिट्री और सिविल अप्लीकेशन के उभार के कारण एयरोस्पेस के क्षेत्र में काफी तेजी आई है। टी.सी.एस., सत्यम, केड्स और इंफोसिस जैसी कई निजी कपंनियों के डिजाइन सेवाओं में प्रवेश करने से रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। साथ ही, विशेषज्ञता हासिल कर आप स्पेसक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के रूप में काम कर सकते हैं। साथ ही, हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लि., इंडियन स्पेस आर्गेनाइजेशन, डी.आर.डी.ओ., नेशनल एयरोस्पेस लैब्स जैसे संगठन बड़े अवसर मुहैया कराते हैं। इन्वायरन्मेंटल इंजीनियरिंग : पाल्यूशन कंट्रोल की समस्या को लेकर इन्वायरन्मेंटलिस्ट की काफी मांग है। यही कारण है कि इसका आकर्षणबढ़ा है। किसी भी बड़े निर्माण कार्य से पहले इन इंजीनियरों को यह पता लगाना होता है कि इन्वायन्रमेंट पर इन निर्माणों का असर क्या होगा। योजना में जरूरी सुझाव, बदलाव का परामर्श देते हैं। इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग : इसमें इलेक्टि्रकल सर्किट, पावर सिस्टम, मशीन और ट्रांसफार्मर्स, इलेक्टि्रकल मेजरिंग, इंस्ट्रूमेंट्स और आरोमेटिक कंट्रोल सिस्टम्स का गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। पाठयक्रम की समाप्ति के पश्चात इलेक्टि्रकल फील्ड से जुड़े मुख्य क्षेत्रों जैसे- पावर ग्रिड, थर्मल पावर प्लांट्स या कम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग, मोबाइल कम्युनिकेशन सिस्टम्स, आप्टीकल कम्युनिकेशन आदि के साथ-साथ आटोमोबाइल इंजीनियरिंग, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम्स में भी रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। एनर्जी इंजीनियरिंग : आज ऊर्जा संरक्षण की काफी जरूरत है। खास तौर से अक्षय ऊर्जा से जुड़ी एजेंसियों में एनर्जी के स्त्रोतों के बारे में विशेष रूप से प्रशिक्षित मानव शक्ति की मांग बढ़ी है। मेरीन इंजीनियरिंग : मेरीन इंजीनियरिंग बड़े जलपोतों के निर्माण और रखरखाव से संबंधित है। इस क्षेत्र में बड़े एंप्लायर में शिपिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया, इंडियन नेवी, जहाजों की निगरानी करने वाली संस्थाएं और जहाजों के निर्माण से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावे मरीन बीमा, टीचिंग और ट्रेनिंग जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। पेट्रो इंजीनियरिंग : पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का सरोकार पृथ्वी और समुद्र के नीचे छिपे तेल और गैस का पता लगाना होता है। इसमें ड्रिलिंग, लागिंग, तेल क्षेत्र विकास और रिजर्वायर इंजीनियरिंग भी शामिल हैं। बतौर पेट्रोकेमिकल इंजीनियर आपका मुख्य काम रिफाइनिंग, प्रोसेसिंग और प्रोडक्ट को मार्केट के लायक बनाना होता है। इस क्षेत्र में आपको कैरियर बनाने के लिए चार वर्षीय बी.टेक(पेट्रोलियम, कैमिकल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग में से एक) के पाठयक्रम से शुरुआत करनी होगी। इंडस्टि्रयल इंजीनियरिंग : ऐसे इंजीनियर मानव संसाधान, प्राकृतिक संसाधन, मानव निर्मित संस्थाओं तथा उपकरणों के सही समीकरण का चयन करते हैं और प्रबंध एवं परिचालन के बीच अंतराल को दूर करते हैं। साथ ही यह भी तय करते हैं कि किस उपकरण का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाए। टेक्सटाइल इंजीनियरिंग : कपड़ा निर्माण की मशीनरी तथा इसमें उपयोग होने वाली सामग्री का अध्ययन कर टेक्सटाइल इंजीनियर के रूप में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। सिविल इंजीनियरिंग : इसके विशेषज्ञ इमारत, सड़क, पुल आदि के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं। केमिकल इंजीनियरिंग : यह क्षेत्र रसायनों से जुड़ा है। इसके तहत विभिन्न रसायनों के गुण व उनके निर्माण प्रक्रिया का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। सिरामिक इंजीनियरिंग : टाइल्स से लेकर अंतरिक्षयानों के बाहरी कवर बनाने में सिरामिक का उपयोग होता है। कम्प्यूटर साइंस : कम्प्यूटर मशीनरी व उसके कार्य करने की तकनीकी की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के बाद हार्डवेयर व साफ्टवेयर इंजीनियरिंग के रूप में काम किया जाता है। आटोमोबाइल इंजीनियरिंग : लाखों की संख्या में विभिन्न माडल्स की कार, जीप, बस, ट्रैक्टर, बाइक आदि का उत्पादन किया जा रहा है। यह आटोमोबाइल इंजीनियरिंग के बढ़ते के्रज की ओर इशारा करता है(दैनिक जागरण,पटना,20.6.2010)।

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