पंजाब यूनिवर्सिटी और उससे संबद्ध कॉलेजों के टीचर्स को प्रमोशन के लिए सीनियोरिटी से ज्यादा रिसर्च वर्क पर ध्यान पड़ेगा। अब प्रमोशन का आधार सीनियोरिटी नहीं रिसर्च के क्षेत्र में किया गया प्रदर्शन होगा। यह नियम जल्द लागू होंगे। इस संबंध में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की सिफारिशों को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद पीयू ने नई व्यवस्था लागू होगी।
यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के टीचर्स के प्रमोशन के लिए अलग—अलग दिशा—निर्देश तय किए गए हैं। 7 जून को दिल्ली में होने वाली यूजीसी की बैठक में नए नियमों को लागू करने की औपचारिक मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
यह है मकसद
इसका मकसद है कि रिसर्च से सामाजिक क्षेत्र को फायदा मिल सके। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते वक्त भी कुछ दिशा—निर्देश तय किए थे।
चेन्नई में तैयार हुआ फार्मूला
फिर यूजीसी ने टीचर्स को इस काम के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते नया फामरूला तैयार करने का फैसला किया था। यूजीसी ने यह फामरूला तैयार करने का जिम्मा चेन्नई यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. एसपी थयागराजन की अध्यक्षता में गठित कमेटी को सौंपा। इस कमेटी ने प्रमोशन के लिए नए दिशा—निर्देश तैयार कर यूजीसी को सौंपे। यूजीसी ने इन्हें मंजूरी के लिए मंत्रालय के पास भेजा। इसे मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।
अब यह फार्मूला पीयू और उससे संबद्ध कॉलेजों पर लागू होगा। इस फामरूले के तहत प्रमोशन के लिए सीनियोरिटी के साथ रिसर्च पब्लिकेशन मुख्य आधार बनेगा। टीचर्स का कहना है कि इन दिशा—निर्देशों के साथ कोई हिडन कंडीशन नहीं होनी चाहिए। पंजाब फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर आर्गेनाइजेशन और पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (पुटा) के प्रेसिडेंट प्रो. मनजीत सिंह कहते हैं, ‘रिसर्च के काम को बढ़ावा देने की बात हम पहले से कर रहे हैं। लेकिन जबरदस्ती थोपे जाने वाले नियमों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
(दैनिक भास्कर,5 जून,2010 में चंडीगढ़ से अधीर रोहाल की रिपोर्ट)
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