बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा में पास हर दूसरे अभ्यर्थी का सिपाही बनना तय है, क्योंकि दस हजार पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा में सिर्फ 20 हजार लोग ही उत्तीर्ण हुए हैं। सूबे में पहली बार हुई इस परीक्षा में निगेटिव मार्किग के कारण बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फेल हुए हैं। परीक्षा परिणाम ने तय रिक्तियों से पांच गुना ज्यादा अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा में शामिल करने की शासन की मंशा पर पानी फेर दिया है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, अनुसूचित जाति-जनजाति वालों के लिए 32 और सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 40 रखा गया था। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी न्यूनतम अंक के फेर में भी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गये। निगेटिव मार्किग के प्रावधान ने भी परीक्षा परिणाम पर असर डाला। अधिकारियों ने बताया कि पूर्व में तय भर्ती मानदंडों के कारण अब घोषित परिणाम पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा, लेकिन आगे से निगेटिव मार्रि्कग के प्रावधान को हटाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, अब विभाग फुलवारी शरीफ स्थित बीएमपी परिसर में इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के आधार पर होने वाली शारीरिक परीक्षा की तैयारी में जुट गया है जो कि 7 से 17 जुलाई तक होगी(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,20.6.2010)।
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