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20 जून 2010

एनसीएचईआर के दायरे में मेडिकल व कानून की पढ़ाई

केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) ने मेडिकल व कानून की शिक्षा को प्रस्तावित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग (एनसीएचईआर) के दायरे में रखे जाने को मंजूरी दे दी है। साथ ही उसने कृषि व अन्य शिक्षा को भी इसके दायरे में लाने की हिमायत की है। इतना ही नहीं, केब ने शैक्षिक सत्र 2011 से गणित व विज्ञान के एक समान पाठ्यक्रम को लागू करने पर भी अपनी मुहर लगा दी है। अलबत्ता एनसीएचईआर के कई प्रावधानों पर राज्यों ने एतराज भी जताया है। शिक्षा के मामले में केंद्र, राज्यों, शिक्षाविदों व अन्य पक्षों की राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रभावी संस्था केब की शनिवार को यहां हुई बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने एक सीधा सवाल किया। उन्होंने पूछा कि क्या यह बोर्ड मेडिकल व कानून या फिर दूसरी शिक्षा को भी एनसीएचईआर के दायरे में लाने का पक्षधर है। बोर्ड के ज्यादातर सदस्यों ने खुलकर इस पर हामी भर दी। इतना जरूर रहा कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल व अन्य कुछ राज्यों ने एनसीएचईआर के कुछ प्रावधानों पर आशंकाएं जताईं और सवाल भी उठाए। बसपा सरकार शासित उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी ने कहा विश्वविद्यालय खोलने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान राज्यों के अधिकारों में दखल है। उन्होंने कहा कि यह तो शिक्षा को एक जगह केंद्रित करने जैसा है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित रजिस्ट्री से ही राज्यों के कुलपतियों के चयन की बाध्यता का भी सवाल उठाया। ऐसे ही सवाल हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ दूसरे राज्यों में भी उठाये। टास्क फोर्स के सदस्यों और सिब्बल ने भी साफ किया कि राष्ट्रीय रजिस्ट्री से ही कुलपतियों के चयन की बाध्यता राज्यों के लिए नही है। अन्य सवालों के जवाब के बाद राज्यों ने खुलकर तो कोई विरोध नहीं किया। अलबत्ता उनकी आपत्तियों के मद्देनजर राज्यों समेत सभी पक्षों को अगले चार हफ्ते के भीतर अपनी आपत्तियों को टास्क फोर्स के पास भेजने पर सहमति बन गयी। सिब्बल ने कहा कि केब ने 2011 से गणित व विज्ञान के समान पाठ्यक्रम पर भी अपनी मुहर लगा दी है। कॉमर्स के भी समान पाठ्यक्रम का सुझाव आया है। उस पर अंतिम फैसला भी केब को ही करना होगा। केब ने फर्जी सर्टिफिकेट आदि को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक डिपोजिटरी को मंजूरी दे दी है। सरकार संसद के अगले सत्र में उसके लिए विधेयक लाएगी। गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित टास्क फोर्स ने एनसीएचईआर का एक ऐसा मसौदा तैयार किया है जिस पर कानून बनने के बाद विश्र्वविद्यालय अनुदान, आयोग अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, दूरस्थ शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद जैसे उच्च शिक्षा के निकायों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,20.6.2010)।

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