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05 जून 2010

सफल उम्मीदवारों की सूची में नाम होने के आधार पर नौकरी का हक नहीं- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरी में रिक्त स्थानों पर नियुक्तियां हो जाने की स्थिति में भर्ती के लिए सफल उम्मीदवारों की सूची में नाम शामिल होने के आधार पर कोई नौकरी पाने का अधिकारी नहीं हो जाता है।

न्यायमूर्ति बीएस चौहान और स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने कहा है कि रिक्त स्थानों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद चयनित सूची में शेष बचे उम्मीदवारों की नियुक्तियों के लिए सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता । न्यायाधीशों ने उ़ड़ीसा सरकार की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद चयनित उम्मीदवारों की सूची निरर्थक हो जाती है और नौकरी पाने से वंचित रह गया व्यक्ति इस सूची में स्थान पाने के आधार पर नियुक्ति के लिए कोई दावा नहीं कर सकता।

न्यायाधीशों ने इसके साथ ही उ़ड़ीसा हाईकोर्ट का २६ अक्टूबर, २००५ और राज्य के प्रशासनिक न्यायाधिकरण का सात अप्रैल, २००० का फैसला निरस्त कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा, रिक्त स्थानों पर भर्तियां सरकारी नियमों के अनुरूप ही की जा सकती हैं।

इस मामले में न्यायाधिकरण ने १९९५ में कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची में शामिल सभी अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का निर्देश उ़ड़ीसा सरकार को दिया था। राज्य सरकार ने सोनपुर जिले में कनिष्ठ लिपिकों के १५ रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए २५ जून, १९९५ को आवेदन मंगाए थे। रिक्त स्थानों पर भर्ती के लिए ब़ड़ी संख्या में आवेदन आए और सरकार ने चयन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही रिक्त पदों की संख्या १५ से ब़ढ़ाकर ३३ कर दी थी। इन पदों पर नियुक्तियों के लिए प्रशासन ने ६६ उम्मीदवारों का चयन करके एक सूची तैयार की थी। कनिष्ठ लिपिकों के रिक्त पदों पर भर्तियों का काम पूरा हो जाने के बाद चयनित उम्मीदवारों की सूची में शेष रह गए अभ्यर्थियों ने न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया था(नई दुनिया,दिल्ली,5 जून,2010)।

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