हरियाणा में अध्यापक पात्रता परीक्षा की मूल्यांकन प्रणाली जादुई पिटारे से कम नहीं। 2008 में 2188 परीक्षार्थियों ने गणित की परीक्षा दी और पास हुआ महज एक, लेकिन कृपा अंक (ग्रेस मार्क्स) का तिलिस्म चला और 41 पास हो गए। ग्रेस मार्क्स ने भगवान बनकर अलग-अलग विषयों के हजारों परीक्षार्थियों की नैया पार कर दी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने अध्यापक पात्रता परीक्षा के संबंध में हरीश कुमार की आरटीआई याचिका के तहत यह जानकारी दी है। बोर्ड के दस्तावेजों के मुताबिक, 2008 में प्रवक्ता श्रेणी में 15 परीक्षार्थियों ने उर्दू की परीक्षा दी, लेकिन पास एक भी नहीं हुआ। बोर्ड ने कृपा अंक देकर एक को पास कर दिया गया। अर्थशास्त्र विषय में भी कृपा अंक देकर 5 को पास किया गया। समाजशास्त्र, पंजाबी, इतिहास और बायोलाजी में भी यह हाल रहा। इसी तरह से शिक्षक वर्ग की पात्रता परीक्षा में साइंस में 5810 परीक्षार्थियों में से महज पांच पास हुए। बोर्ड ने नाक बचाने के लिए कृपा अंक देकर पास छात्रों की संख्या एक हजार 137 कर दी। गणित में 64 पास हुए, लेकिन कृपा अंक से पास होने वालों की संख्या दो हजार 398 कर दी गई। गृह विज्ञान में महज दो पास हुए और कृपा अंक के दम पर यह संख्या 129 हो गई। जुलाई, 2009 की परीक्षा में भी कृपा अंक का फंडा खूब चला। प्रवक्ता वर्ग में इस वर्ष भी गणित में एक छात्र पास हुआ, जबकि ग्रेस मार्क्स से आंकड़ा 131 कर दिया गया। अर्थशास्त्र में एक भी पास नहीं हुआ और कृपा अंक के कमाल से 91 पास हो गए। इसी तरह का हाल अन्य विषयों में रहा। इस वर्ष मास्टर वर्ग की साइंस की परीक्षा में महज दस पास हुए और कृपांक के दम पर यह आंकड़ा 259 हो गया। गणित में 114 पास हुए और कृपांक के चलते यह संख्या 600 हो गई। गृह विज्ञान में 14 पास हुए और ग्रेस मार्क्स से आंकड़ा 31 किया गया। दिसंबर, 2009 में शिक्षा बोर्ड ने ग्रेस मार्क्स के मामले में अपनी कृपा कम की(अश्विनी शर्मा, करनाल,Dainik Jagran,13.6.2010)।
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