खेल-खेल में पुलिस महकमे ने यह काम शुरू किया कि आराम से बैठे जवानों को थोड़ा संवेदनशील बना उन्हें सड़क पर टहल रहे ऐसे बच्चों को स्कूल पहुंचाने का जिम्मा दिया जिन्हें अभिभावक स्कूल नहीं भेजते। बीते दो महीने में 25 हजार बच्चे स्कूल पहुंच गए। इस पर पहले जो काम हुआ उसके आंकड़े पुलिस ने ठीक से नहीं जुटाए, पर दो महीने के आंकड़े मिले तो पुलिस मुख्यालय ने इसे नई उपलब्धियों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया। पुलिस के प्रयास से बच्चों को स्कूल पहुंचाने में कटिहार जिले ने तो रिकार्ड ही बना डाला। अप्रैल में वहां 3,946 तथा मई में 1,413 बच्चों को पुलिस ने स्कूल पहुंचाया। दूसरे नंबर पर जहानाबाद रहा जहां अप्रैल में 1,960 तथा मई में 203 बच्चों को पुलिस ने स्कूल पहुंचाया। एडीजी (पुलिस मुख्यालय) पीके ठाकुर ने कहा कि इस काम में अब प्रशिक्षण लेकर लौटे प्रोबेशनल सब इंस्पेक्टर को भी लगाया जाएगा। इससे अभियान में रफ्तार आएगी। छुट्टी के बाद स्कूल खुलने पर अभियान तेज होगा। बच्चों को स्कूल पहुंचाने के काम में अपेक्षाकृत छोटे जिलों में पुलिस की उपलब्धियां काफी उल्लेखनीय हैं(Dainik Jagran,17.6.2010)।
बहुत अच्छी जानकारी।
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