नए सत्र की शुरुआत के साथ ही बच्चों के एडमिशन के लिए अभिभावकों की दौड़ भाग शुरू हो गई है। लेकिन इस बार निजी स्कूल की मनमानी नहीं चलने वाली है। स्कूलों पर लगाम कसने के लिए महाराष्ट्र सरकार एक नया निर्देश जारी करते हुए दाखिले की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की पहल की है। राज्य सरकार ने कहा है कि अगर कोई स्कूल किसी बच्चे को नर्सरी क्लास में दाखिला देने से मना करता है तो उस पर जुर्माना लगेगा। इसके अलावा, दाखिला देने के लिए अगर स्कूल डोनेशन लेता है तो स्कूल पर उस राशि का 10 गुना जुर्माना लगाया जाएगा। महाराष्ट्र शिक्षा विभाग ने यह फैसला लेते हुए सभी निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे बच्चों को दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकते। विभाग से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, स्कूल दाखिले के दौरान जांच या छंटाई की प्रक्रिया नहीं अपना सकते। दाखिला पारदर्शी और लॉटरी प्रणाली पर आधारित होना चाहिए। जो स्कूल इसका उल्लंघन करेंगे, उन्हें इसके लिए पहली बार पचीस हजार और अगले हर उल्लंघन के लिए पचास हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई स्कूल दाखिले के लिए डोनेशन लेता है तो उसे इसकी दस गुना राशि जुर्माने के तौर पर चुकानी होगी। मांगे जाने पर दाखिला फॉर्म आसपास के सभी लोगों उपलब्ध कराना होगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया, राज्य सरकार शिक्षा के अधिकार के कानून के तहत सभी को शिक्षा दिलाने के लिए गंभीर है और स्कूलों के द्वारा अपनाई जाने वाली दाखिले की दोषपूर्ण प्रक्रिया को इसमें बाधा नहीं बनने दिया जाएगा। हम इस नोटिस को अपने वेबसाइट पर भी डाल रहे हैं। इस फैसले से अभिभावकों के बीच खुशी की लहर है लेकिन उन्हें आशंका है कि सीटें कम होने की स्थिति में बहुत से बच्चों को पसंद के स्कूलों में दाखिला लेने से महरूम होना पड़ सकता है। हालांकि निर्देश के बाद स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगने की संभावना है(Dainik Jagran,13.6.2010)।
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