ग्रामीण अंचलों में खेल प्रतिभाएं अब खेतों में नहीं बल्कि मिनी खेल स्टेडियम में अभ्यास करेंगी। अभ्यास कराने के लिए स्टेडियम में कोच तो उपलब्ध होगा साथ ही शहर के स्टेडियम की तरह यहां भी सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
खेल विभाग द्वारा बनवाएं जा रहे जिले में छह मिनी खेल स्टेडियम का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है और खेल विभाग की मानें तो अगले महीने से इन स्टेडियमों में खिलाड़ी पसीना बहाते दिखाई देंगे।
अम्बाला जिले में दो वर्ष पहले छह मिनी खेल स्टेडियम ग्रामीण क्षेत्रों में बनाने का फैसला लिया गया था जिसके लिए अम्बाला एक ब्लाक में गांव मोहड़ा, अम्बाला ब्लाक दो में खतौली, शहजादपुर ब्लाक में बिचपड़ी, नारायणगढ़ ब्लाक में साहा, बराड़ा ब्लाक में गांव सरकपुर और साहा को स्टेडियम के निर्माण के लिए चुना गया था।
दिलचस्प बात हैं कि इन गांवों की पंचायतों ने भी खेलों में रूचि दिखाते हुए खेल स्टेडियम के लिए साढ़े छह एकड़ से ज्यादा जमीन खेल विभाग को उपलब्ध कराई जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो सका। छह मिनी खेल स्टेडियमों का निर्माण इस समय पूरा हो चुका है। केवल अपरोच रोड, पानी के कनेक्शन व छोटे-मोटे अन्य काम शेष रह गए हैं।
एक महीने में शुरू
विभिन्न ब्लाक में छह खेल स्टेडियमों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और मामूली कार्य केवल शेष बचे हैं। आने वाले एक महीने में सभी स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए शुरू कर दिए जाएंगे। प्रत्येक स्टेडियम के निर्माण में 40 से 50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।
सुभाष शर्मा, डीएसओ, अम्बाला।
क्या मिलेगी सुविधाएं
लगभग 50 लाख की लागत से बनने वाले एक मिनी स्टेडियम में मल्टी परपस हाल, आफिस के लिए कमरे, सुरक्षा के लिए चार दिवारी, पीने का पानी तो होगा जबकि खेलने के लिए बास्केटबाल व वालीबाल कोर्ट, एथलेटिक ट्रैक, खो-—खो के लिए जगह होगी।
इसके अलावा हाकी व फुटबाल खेलने के लिए भी स्टेडियम में मैदान विकसित किए गए हैं। मार्केट बोर्ड की देखरेख में बन रहे इन स्टेडियमों में खेल विभाग के अधिकारी भी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं।
टैलेंट निकलेगा गांव से
खेल स्टेडियम के ग्रामीण क्षेत्रों में बनने से यहां से टैलेंट मिल सकेगा। अक्सर खेल सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण अंचलों के खिलाड़ी आगे आने से वंचित रह जाते हैं।
खेल विभाग के कोच इन स्टेडियम में जाकर खिलाड़ियों को खेल के उपकरण व प्रशिक्षण भी मुहैया कराएंगे। कोच रेगुलर बेसिस पर यहां तैनात होंगे या फिर अस्थाई तौर पर यह फिलहाल विभाग ने अभी तय नहीं किया गया है(रमिन्द्र सिंह,अम्बाला,दैनिक भास्कर,19.6.2010)।
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