जीव विज्ञान की पढ़ाई के दौरान अब मेंढ़क और दूसरे जानवरों की चीरफाड़ पर रोक लगेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से गठित विशेषज्ञों की एक कमेटी ने इस संदर्भ में अंतिम फैसला ले लिया है। इसकी आधिकारिक घोषणा आज होगी। जीव विज्ञान के विभिन्न विषयों की उच्च शिक्षा में प्रायोगिक अध्ययन के लिए विभिन्न जंतुओं की चीरफाड़ की जाती है।
इस चीरफाड़ के विकल्प तलाशने के लिए बनाई गई कमेटी (एक्सपर्ट कमेटी टू कंसिडर डिसकंटीन्यूएशन ऑफ डिसेक्शन ऑफ एनिमल्स इन जूलॉजी, लाइफ साइंसेज) कोर मैम्बर्स और एक्सपर्ट के दो समूहों में बंटी थी। कमेटी की इस सप्ताह शुरू हुई कॉन्फ्रेंस के दौरान शनिवार को यह फैसला लिया गया कि स्नातक स्तर पर जंतुओं के विच्छेदन पर पूर्ण रोक लगेगी।
लैब में केवल फैकल्टी ही आसानी से उपलब्ध किसी प्रजाति के जंतु का विच्छेदन कर छात्रों को दिखा सकेंगे, वहीं स्नातकोत्तर स्तर पर भी जो छात्र विच्छेदन नहीं करना चाहें उन्हें इसके स्थान पर जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) से जुड़े प्रोजेक्ट करने का विकल्प दिया गया है, मगर इस स्तर पर केवल चूहों के विच्छेदन की ही अनुमति दी गई है। उच्च शिक्षण संस्थानों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 और प्रिवेंशन ऑफ क्रुअलिटी टू एनिमल एक्ट 1960 का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। बायोलॉजी और जूलॉजी पढ़ाने वाले संस्थानों में विच्छेदन पर निगरानी के लिए कमेटी भी बनाई जाएगी।
विच्छेदन के विकल्पों की कमेटी की मीटिंग में सिफारिश की गई है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में इसके विकल्पों को लागू कराने के प्रयास किए जाएंगे। - डॉ. रीना माथुर, सदस्य, एक्सपर्ट कमेटी
नए सिलेबस में 25 से घटाकर 5 अंक किए
एमडीएस यूनि., अजमेर में एकेडमिक काउंसिल में एक प्रस्ताव पास कर जंतु विच्छेदन को कम करने का पहला प्रयास किया है। यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. के.के. शर्मा ने एक नया सिलेबस तैयार कर जंतु विच्छेदन के टॉपिक के 25 से घटाकर 5 अंक कर दिए हैं।
जीव विज्ञान की पढ़ाई के दौरान जंतुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए कोर कमेटी गठित की थी, जिसने अंतत: स्नातक स्तर पर जंतु विच्छेदन पर रोक लगाने का फैसला लिया है। - डॉ. बी. के शर्मा, सदस्य, कोर कमेटी(पुष्पेन्द्र शर्मा,दैनिक भास्कर,जयपुर,27.6.2010)
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